[Sai Dham Family] 8/14/2012 06:54:00 PM

0 views
Skip to first unread message

Sunil

unread,
Aug 14, 2012, 9:24:11 AM8/14/12
to saidha...@googlegroups.com
कई बार निराश और हताश लोग साईं से यह ही शिकायत करते है, साईं हम कब से आपको पुकार रहे है, आप क्यों नहीं सुनते, पर क्या सचमुच साईं नहीं सुनते ?
सच तो यह है, हम ही साईं की आवाज सुन कर भी अनसुनी कर दे देते है. यदि कोई याचक (Beggar ) दानकर्ता से 

अपनी ही इच्छा पूर्ति की अपेक्षा रखे तो सदा इच्छा पूर्ति नहीं होती, यदि राजा सोने का हार दे, और हम जिद पर अड़ जाएँ की हमें चांदी या हीरे हा हार चाहिए, तो दानकर्ता क्या करेगा, यदि मंदिर में जाओ तो जो प्रसाद मिलता हो ग्रहण करना पड़ता है, यदि हलवा हो और हम खीर की उम्मीद में हलवा को मना कर दे, तो खीर कब मिलेगी यह तो भगवान ही जाने.

पर ऐसा नहीं है कि किसी कि इच्छा पूरी नहीं होती, अगर कोई याचक कहे मुझे सोना नहीं चांदी चाहए तो साईं राजा उसकी यह इच्छा जरूर पूरी करते है, पर पहले उसे इस काबिल बनाते है, उसके कर्मो को काटते है, जो उसके और उसकी इच्छा पूर्ति में बाधक है और इसमें समय लगता है, इसलिए sharadha और saburi के पथ पर चलना पड़ता है, पर क्योंकि वोह बहुत कठिन है इसलिए हम यह मान लेते है, साईं तो सुनते ही नहीं है, पर क्योंकि कोई और दरवाजा नहीं दिखता इसलिए साईं को छोड़ते भी नहीं .

सचमुच हम बहुत अहसान फरामोश है साईं, कभी इस बात का शुक्रिया नहीं करते कि हमें एक अच्छी जिन्दगी दी, पड़ने लिखने का मौका दिया, एक अच्छा परिवार दिया, जिन्दगी में हर मुसीबत में आगे बड कर हमें बचाया , इस पाप कि दुनिया से हमें निकलने और पावन करने के लिए स्वं पाप की उस आग को अपने ऊपर झेल लिया . पर एक इन्सान नहीं मिला तो साईं हमारी नहीं सुनते, हम अपने को आप का भक्त कहते है, पर हम बहुत कमजोर है साईं, हम आपको अपना जीवन क्या समर्पित करेंगे वोह तो हम किसी भी इन्सान को समर्पित कर देते है, शायद मन में यह ख्याल रखते हुए की हम आपके काबिल नहीं ..................पर आप कहते हो न एक बार मेरी शरण में तो आओ, तुमारी जिन्दगी मेरी responsibilty होगी, पर आयेंगे तब न ...................हमें इतनी शक्ति देना साईं की हम आपको सुन सके, हमारा अहम् और जिद आपकी आवाज हम तक पहुँचने ही नहीं देता, हम लाख कहें साईं हमारी नहीं सुनते पर सच तो यह है हम ही आपकी नहीं सुनते, ignore करते है उन सब संदेशो को जो अलग अलग माध्यम से आप हम तक पहुंचाते हो , हम इस काबिल तो नहीं, फिर भी हमें माफ़ कर देना, बच्चे तो गलती करते ही है न, पर साईं कभी बुरा नहीं मानते, सदा भला करते है, किसी को भी अपने दरवाजे से बाहर नहीं भेजते ......................... जीवन में जब कोई भी साथ देने वाला नहीं बचता, कोई मित्र, माता पिता पति या पत्नी बच्चे .............. आप तब भी साथ नहीं छोड़ते ..................यह साथ सदा बनाये रखना साईं, हम मुरख माया के प्रभाव में यह समझ नहीं पाते, पर आपका नाम ही इस जीवन की अग्नि में जलते हुए जीवन को शीतलता प्रदान करता है !


--
Posted By Sunil to Sai Dham Family at 8/14/2012 06:54:00 PM
Reply all
Reply to author
Forward
0 new messages