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to saidha...@googlegroups.com
कितने खुशनसीब थे वो लोग जो तेरे साथ रहे होंगे साईं जिनके दुःख दर्द तूने खुद सहे होंगे साईं कितने खुशनसीब थे वो पल जिस में तूने बातें की होंगी साईं अपने चाहने वालों से चंद मुलाकातें की होंगी साईं कितने खुशनसीब थे वो दिन जो अब कभी लौट कर नहीं आयेंगे साईं अपनी यादों में ही हम जिन्हें समेट पाएंगे साईं कितनी खुशनसीब थी वो रातें जिन में तू सोया होगा साईं अपने भक्तों के सुनहरे भविष्य का सपना संजोया होगा साईं कितनी खुशनसीब थी वह कफनी जिसको तूने पहना होगा साईं तेरे तन से लिपटा लगता कोई गहना होगा साईं कितनी खुशनसीब है वो धूनी जिसे तूने खुद जलाया होगा साईं अपने हाथों से राख को जिनके माथे पर लगाया होगा साईं कितनी खुशनसीब है वह धरती जिस पर तूने चरण रखे होंगे साईं तर गया होगा उसका भी कण-कण साईं....,
"बाबा मालिक" "ॐ साईं राम"
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Posted By Sunil to Sai Dham Family at 8/31/2012 05:07:00 PM