जैसा
की आप जानते हैं, कई संघटनों के
संघर्ष के बाद केन्द्र सर्कार ने नरेगा की मज़दूरी दर को महंगाई सूचकांक (खेतिहर मज़दूरों के लिए) के हिसाब से
बढ़ाने की मांग
को मान लिया है (अप्रल २००९ को “बेस” मानते हुए, जिसका मतलब है कि १ जनवरी
२०११ से
ज्यादातर राज्यों में १२० रूपये की मज़दूरी हो गयी है). यह एक अधूरी जीत ही
है,
क्योंकि अभी भी न्यूनतम मज़दूरी देने की मांग को नहीं माना गया है. न्यूनतम
मज़दूरी
ना देने का केंद्र सर्कार का यह निर्णय नरेगा मज़दूरों के कानूनी हकों का
उल्लंघन
है, और उच्चतम न्यायलय के द्वारा बंधुआ मज़दूरी कहा
गया है.
जिन्होंने हमसे नरेगा डी वी डी की मांग की है, हम उन्हें यह सूचित करना चाहते हैं कि हम जल्द ही उन्हें डी वी डी भेजेंगे. अगर आप अभी भी डी वी डी पाना चाहते हैं तो हमें लिख सकते हैं. यह अपडेट नयी नरेगा वेबसाइट पर भी उपलब्ध है.
२
फरवरी को, नरेगा की पांचवी सालगिरह के दिन, देशभर में कई
संघटनों ने नरेगा में अपने अधिकारों के लिए धरने और प्रदर्शन आयोजित कराये.
इनकी
जानकारी आखरी खंड में है. अगर आप रोज़गार अपडेट के माध्यम से नरेगा सम्बन्धी
लेख या
जानकार भेजना चाहते हैं तो ro...@gmail.com पर लिखें.
आशीष
--
Dear Friends