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‘धोरडोः गुजरात के सरहदी पर्यटन की वैश्विक पहचान’
विषय पर आधारित गुजरात की झांकी गणतंत्र दिवस
पर नई दिल्ली के कर्तव्य पथ पर प्रदर्शित की जाएगी
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संयुक्त राष्ट्र विश्व पर्यटन संगठन (यूएनडब्ल्यूटीओ) के सर्वश्रेष्ठ पर्यटन गांवों की सूची में शामिल धोरडो की झांकी के जरिए उसकी जीवटता और ‘विकसित भारत’ की परिकल्पना को साकार कर रहे देश एवं राज्य के सरहदी पर्यटन को दिखाने का प्रशंसनीय प्रयास
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झांकी के मुख्य आकर्षणः धोरडो के ‘भूंगा’ के रूप में पहचाने जाने वाले घर, स्थानीय हस्तकला और रोगन आर्ट, रण उत्सव, टेंट सिटी और यूनेस्को द्वारा हाल ही में ‘अमूर्त सांस्कृतिक विरासत’ घोषित किया गया गुजरात का गरबा
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नई दिल्ली, 22 जनवरी, 2024:
गुजरात राज्य ने हमेशा ही अपने सामाजिक, राजनीतिक, औद्योगिक और सांस्कृतिक विकास के माध्यम से देश को एक नई दिशा दिखाई है। इस उपक्रम को कायम रखते हुए इस वर्ष 26 जनवरी, 2024 को नई दिल्ली के कर्तव्य पथ पर आयोजित गणतंत्र दिवस की राष्ट्रीय परेड में राज्य की सांस्कृतिक विरासत को उजागर करने वाली ‘धोरडोः गुजरात के सरहदी पर्यटन की वैश्विक पहचान’ विषय पर आधारित झांकी का प्रदर्शन किया जाएगा।
उल्लेखनीय है कि हाल ही में संयुक्त राष्ट्र विश्व पर्यटन संगठन (यूएनडब्ल्यूटीओ) ने धोरडो को दुनिया के सर्वश्रेष्ठ पर्यटन गांवों की सूची में शामिल किया है। यह सीमावर्ती गांव अपनी जीवटता और ‘विकसित भारत’ की परिकल्पना को साकार करने के साथ ही राज्य एवं देश के सरहदी पर्यटन को बढ़ावा देता है।
इस वर्ष गणतंत्र दिवस की परेड में 16 राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों तथा केंद्र सरकार के विभिन्न विभागों की 9 झांकियों सहित कुल 25 झांकियों का प्रदर्शन किया जाएगा। प्राप्त जानकारी के अनुसार 75वें गणतंत्र दिवस के अवसर पर मुख्य अतिथि के रूप में फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों मौजूद रहेंगे।
अमृत काल के इस पहले गणतंत्र पर्व में, गुजरात की इस झांकी के जरिए यह प्रदर्शित किया गया है कि, कैसे पर्यावरणीय, भौगोलिक और प्राकृतिक विषमताओं से भरे कच्छ के रण में स्थित राज्य का सीमावर्ती गांव धोरडो अनेक प्रतिकूल परिस्थितियों के बावजूद पर्यटन क्षेत्र में सिरमौर स्थल बनकर उभरा है।
झांकी के अगले हिस्से में घूमते हुए ग्लोब में गुजरात की भौगोलिक स्थिति को दर्शाया गया है। पूरी दुनिया में गुजरात के नक्शे और ‘भूंगा’ नामक पारंपरिक कच्छी घरों से पहचाने जाने वाले धोरडो को दिखाने के साथ ही इस झांकी में स्थानीय हस्तकला, रोगन आर्ट, परम्परागत कच्छी संगीत और कौशल जैसे विषयों को दर्शाया गया है। पारंपरिक वेशभूषा में सुसज्जित विदेशी पर्यटकों को डिजिटल तरीके से भुगतान कर यहां की कलाकृतियों को खरीदते हुए भी दिखाया गया है, जो इस गांव की परम्परा के साथ-साथ डिजिटल प्रगति को भी दिखा रहा है।
परम्परा, पर्यटन, टेक्नोलॉजी और विकास के शानदार संयोजन के कारण ही धोरडो को संयुक्त राष्ट्र विश्व पर्यटन संगठन (यूएनडब्ल्यूटीओ) की सर्वश्रेष्ठ पर्यटन गांवों की सूची में शामिल किया गया है, जो वास्तव में ‘विकसित भारत’ की संकल्पना को साकार करता है। इसके अलावा, झांकी में रण उत्सव, टेंट सिटी और कच्छ की विभिन्न कढ़ाई-बुनाई कला को प्रदर्शित किया गया है।
झांकी में पारंपरिक पोशाक में गरबा नृत्य करती महिलाएं गुजरात की ऐतिहासिक संस्कृति का प्रतिनिधित्व कर रही हैं। हाल ही में ‘यूनेस्को’ ने गुजरात के गरबा को ‘अमूर्त सांस्कृतिक विरासत’ में शामिल किया है, जो प्रत्येक गुजराती तथा भारतीय के लिए एक गर्व की बात है।
गुजरात सरकार के सूचना विभाग की ओर से प्रस्तुत इस झांकी के निर्माण में सूचना एवं प्रसारण सचिव श्रीमती अवंतिका सिंह औलख, सूचना निदेशक श्री धीरज पारेख, अतिरिक्त निदेशक श्री अरविंद पटेल के मार्गदर्शन में श्री पंकजभाई मोदी तथा उप सूचना निदेशक श्री संजय कचोट योगदान दे रहे हैं। झांकी का निर्माण स्मार्ट ग्राफ आर्ट एडवर्टाइजिंग प्राइवेट लिमिटेड के श्री सिद्धेश्वर कानूगा कर रहे हैं।
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