Short Story-7. `पाप-पुण्य ।`
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"मैं
किसी पाप-पुण्य में नहीं मानता..! Please forgive me and now get
lost." कहते हुए मनचले देवांग ने, गर्लफ्रेन्ड मनीषा से पीछा छुड़ा लिया ।
अत्यंत
दुःखी मन और 'भारी पैर' के साथ, कॉलेज की बॉय्स हॉस्टल की सीढ़ियां उतर कर,
मनीषा `भारी पैर, हल्का करने`, हॉस्टल के सामने स्थित अस्पताल की सीढ़ियां
चढ़ गई..!
छह माह पश्चात्, कॉलेज की बॉय्स हॉस्टेल के उसी कमरे
में, नयी गर्लफ्रेन्ड पायल के सामने देवांग, वही घीसा-पीटा डायलोग, बोल रहा
था, "मैं किसी पाप-पुण्य में नहीं मानता..! Please forgive me
and..!"
" एक मिनट...!" अचानक ज़ोर से चीखती हुई, मनीषा कमरे में
दाखिल हुई," देवांग, आज के बाद, तुम ऐसा पाप दोहरा भी नहीं सकोगे ? जिस
पायल को तुम आज छोड़ रहे हो, वह मेरी फ्रेन्ड है और..अ..अ..अ..!" मनीषा
ने एक लंबी सांस भरी और आक्रोशित मन से फिर चिल्लाई,
" तेरे जैसे किसी मनचले की वजह से पिछले एक साल से,
वह HIV+ की मरीज़ है । तेरे साथ, मैंने ही उसे प्लांट किया था,
अब हिसाब बराबर, Now you get lost..! पायल, चल यहाँ से...!"
मनीषा के चीखने की आवाज़ सुन कर इकट्ठा हुए, बॉय्स हॉस्टल के सारे लड़के अवाक् थे और शायद हॉस्टल की (पुण्यशाली?) सीढ़ीयां भी....!
मार्कण्ड दवे । दिनांकः २६-०४-२०१४.