नमो नमो दुर्गे सुख करनी !
नमो नमो दुर्गे दुःख हरनी !!
निरंकार है ज्योति तुम्हारी !
तिहूँ लोक फैली उजियारी !!
शशि ललाट मुख महाविशाला !
नेत्र लाल भृकुटि विकराला !!
रूप मातु को अधिक सुहावे !
दरश करत जन अति सुख पावे !!
तुम संसार शक्ति लै कीना !
पालन हेतु अन्न धन दीना !!
अन्नपूर्णा हुई जग पाला !
तुम ही आदि सुन्दरी बाला !!
प्रलयकाल सब नाशन हारी !
तुम गौरी शिवशंकर प्यारी !!
शिव योगी तुम्हरे गुण गावें !
ब्रह्मा विष्णु तुम्हें नित ध्यावें !!