'जन आज़ादी 75: आज़ादी की राह पर:' जन आंदोलनों और जन संगठनों से समर्थन हेतु अपील: लिंक पर एन्डॉर्स करे और जुड़े

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Aug 14, 2021, 11:57:19 PM8/14/21
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जन आंदोलनों और जन संगठनों से अपील

'जन आज़ादी 75:  आज़ादी की राह पर' अभियान को अपना समर्थन दें और जुड़ें

जन आंदोलनों का राष्ट्रीय समन्वय द्वारा राष्ट्रव्यापी अभियान की शुरुआत

9 अगस्त, 2021 से 15 अगस्त, 2022 तक

अभियान को समर्थन देने / एन्डॉर्स करने के लिए लिंक: https://tinyurl.com/evtfnt36

 

प्रिय साथियों,

जन आंदोलनों का राष्ट्रीय समन्वय ने एक देश-व्यापी अभियान की शुरुआत की है, जिसका नाम है जन आज़ादी 75: आज़ादी की राह पर । यह अभियान 9 अगस्त 2021 से 15 अगस्त 2022 तक चलेगा, जिसके अंतर्गत हम स्वतंत्रता संग्राम के मूल्यों और सपनों को याद करते हुए, पिछले 75 वर्षों में जन संघर्षों का प्रतिरोध, योगदान और चुनौतियों को रेखांकित करेंगे | साथ में, पूरे देश के समकालीन संघर्षों को और लोकतांत्रिक भारत के हमारी परिकल्पना को मजबूती देने का प्रयास जारी रहेगा। ‘भारत छोड़ो आंदोलन’ और ‘अंतर्राष्ट्रीय आदिवसी दिवस’ के ऐतिहासिक दिन को चिह्नित करते हुए, देश भर के लोगों और संगठनों द्वारा 9 अगस्त को सैकड़ों जगहों पर इस अभियान की शुरुआत की गई और लगातार 15 अगस्त तक सप्ताह भर के कार्यक्रम हुए |

हम आपको जन आज़ादी 75 अभियान का हिस्सा बनने के लिए आमंत्रित करते हैं, जिससे हम देश के लोगों से गहरा संपर्क बना पाएंगे और लोकतंत्र, सांझी संस्कृति, मानव अधिकार, सामाजिक-पर्यावरणीय न्याय और संवैधानिक मूल्यों की सुरक्षा के विषयों पर समझ और संघर्ष मजबूत करेंगे |

हमारा मानना है कि हम सबको एक बड़े स्तर पर एक-दूसरे के साथ तत्काल जुड़ाव बनाने की आवश्यकता है:

क.  स्वतंत्रता संग्राम और स्वाधीनता से पहले और बाद के विभिन्न जनांदोलनों की आकांक्षाओं के अपूर्ण एजेंडा को देखते हुए;

ख. स्वतंत्रता संग्राम और उसके विविध धाराओं के आदर्शों, और हमारे संविधान के मौलिक मूल्यों से प्रेरणा और ऊर्जा लेते हुए;

ग.   सत्ताधारियों द्वारा दी गई ‘खैरात’ के रूप में नहीं, बल्कि लोगों के संघर्षों के कारण पिछले 75 वर्षों में प्राप्त उपलब्धियों को याद दिलाते हुए;

घ.   आज के समय की चुनौतियों को समझना और सामाजिक-आर्थिक और पर्यावरणीय न्याय प्राप्त करने के लिए मजबूत संघर्ष का निर्माण करते हुए, सांप्रदायिक, पूंजीवादी, आपराधिक, भ्रष्ट और कॉर्पोरेट ताकतों के साथ-साथ फासीवादी शक्तियों का मुकाबला करने के लिए..

वर्ष-भर चलने वाले कार्यक्रमों की शृंखला के माध्यम से, जन आज़ादी 75 स्वतंत्रता संग्राम के इतिहास की सच्चाई और आज तक जिन लोगों ने राष्ट्र-निर्माण में वास्तविक योगदान दिया है उनका विवरण देश के सामने रखेगा। साथ ही, हम सत्ता-धारकों, विशेष रूप से वर्तमान सरकार जो कि हमारे लोकतंत्र को पूरी तरह से नष्ट करने के लिए तैयार है, के खिलाफ़ लोगों द्वारा बनाई गई चार्ज-शीट भी पेश करेंगे |

यह अभियान लोगों के साथ गहन जुड़ाव बनाने का वर्ष होगा और हम विभिन्न कार्यक्षेत्र के लोगों, जैसे कि महिलाओं, युवाओं, छात्रों, अध्यापकों, अभिभावकों, कर्मचारियों, शैक्षणिकों, मज़दूरों, किसानों, दलित, आदिवासी, विमुक्त समुदायों, धार्मिक, जातीय और भाषागत अल्पसंख्यकों, विकलांगता के साथ जी रहे लोगों, ट्रांसजेन्डर और क्वीयर लोगों, ट्रेड यूनियनों, संघर्ष और विकल्पों पर काम कर रही जन समूहों, व अन्य वर्गों तक पहुँच बनाने का प्रयास करेंगे।

हम उम्मीद करते हैं कि आपका संगठन इस अभियान को समर्थन देगा और सक्रीयता के साथ जुड़ेगा |

(अपने संगठन की ओर से समर्थन देने के लिए https://tinyurl.com/evtfnt36 पर क्लिक करें और फॉर्म भरें)

संवाद, संघर्ष और निर्माण में आपके साथ,

जन आंदोलनों का राष्ट्रीय समन्वय (NAPM)

कृपया ऊपर दिए गए लिंक में समर्थन के लिए अपील का पूरा पत्र, अभियान से जुडने के विभिन्न तरीके व अन्य दस्तावेज़ों को अवश्य देखें। 


पूरा अपील नीचे है 

'जन आज़ादी 75:  आज़ादी की राह पर' 

9 अगस्त, 2021 से 15 अगस्त, 2022 तक

 

प्रिय साथियों,


15 अगस्त 2021 के दिन, हम भारतीय स्वाधीनता के 75वें वर्ष में प्रवेश कर चुके हैं । समाज के विभिन्न तपकों के लाखों लोगों के लंबे समय से चले आ रहे साहसी संघर्षों और बलिदानों के कारण हमें अंग्रेज़ों और सैंकड़ों राजाओं के दमनकारी शासन से स्वतंत्रता मिली। स्वतंत्रता आंदोलन केवल अंग्रेज़ों की छल, लूट और शोषण की राजनीति के खिलाफ एक अखंड लड़ाई नहीं थी, बल्कि इसमें आदिवासियों, दलितों और उत्पीड़ित जातियों, औरतों, किसानों, भूमिहीन मज़दूरों, विद्यार्थियों, युवाओं और सभी धर्मों के लोगों की आत्म-सम्मान, समानता और मौलिक अधिकारों के संघर्ष भी शामिल थे।


इन संघर्षों के सपनों को हम केवल आंशिक रूप से ही साकार कर पाए हैं और हमें सच्ची स्वतंत्रता समानता, गरिमा, सामाजिक न्याय और सभी के लिए मानवाधिकार प्राप्त करने के लिए एक लंबा रास्ता तय करना बाकी है। इसी के साथ-साथ, आज हम उन मूल आदर्शों, जिनके साथ भारत का निर्माण हुआ था और हमारे संविधान के मूल सिद्धांतों जिन्हें डॉ. बी.आर. अम्बेडकर द्वारा बड़ी मेहनत से तैयार किया गया था, पर एक कड़े हमले होते हुए देखते हैं। हाँलाकि स्वतंत्रता आंदोलन में जिन धार्मिक कट्टरपंथी संस्थानों की कोई सकारात्मक भूमिका नहीं रही, और जो स्वतंत्रता आंदोलन की निंदा करते थे, अंग्रेज़ों की प्रशंसा और यहाँ तक कि महात्मा गांधी की हत्या तक कर दी, आज दुर्भाग्यवश इस देश को चला रहे हैं।


यह प्रतिगामी ताकतें अब इतिहास को दोबारा लिख रही हैं, झूठ फैला रही हैं, अल्पसंख्यकों और प्रगतिशील लोगों के खिलाफ नफ़रत और लक्षित हिंसा कर रही हैं, झूठा श्रेय ले रही हैं। क्रूर बल, निगरानी और राज्य तंत्र की ताकत से प्रचार माध्यमों का उपयोग कर, स्वतंत्रता संग्राम की असली धरोहर को बेशर्मी से तोड़-मरोड़ कर पेश कर रहे हैं। देश के सामाजिक-राजनीतिक-आर्थिक तंत्र का विनाश करके, देश और उसके प्राकृतिक-सार्वजनिक संसाधनों को बेच कर, संसद, चुनाव आयोग और न्यायपालिका सहित सभी लोकतांत्रिक संस्थानों के अधिकार क्षेत्र को सीमित करते हुए, प्रगतिशील कानूनों का प्रभाव कम करते हुए, लोक-विरोधी कानून लाते हुए और लगातार संघीय ढांचे को चोट पहुंचते हुए, वे विविधता और सांझी-संस्कृति पर आधारित 'नागरिकता' और 'भारत की परिकल्पना' के चरित्र पर हमला करने पर तुले हुए हैं।


जैसा कि हम सब जानते हैं, स्वतंत्रता संग्राम हमेशा एक साझी विरासत और इतिहास और वास्तविक लोक-केंद्रित लोकतांत्रिक राष्ट्रीयता के स्तंभों पर खड़ा रहा, जबकि अंग्रेज़ों ने सांप्रदायिक नफ़रत और बंटवारे की रणनीति अपनाने की बहुत कोशिश की। आंदोलनों ने संविधान के माध्यम से स्वतंत्र भारत में भी इस विरासत को बनाए रखा, जिसका जन्म स्वतंत्रता संग्राम और शहीद भगत सिंह जैसे दूरदृष्टाओं के क्रांतिकारी दृष्टिकोण से हुआ। वर्तमान सरकार द्वारा निरंतर तरीके से झूठा अभियान भी चलाया जा रहा है कि वर्ष 2014 से पहले, देश में 'कोई सार्थक काम नहीं हुआ' और यह तो केवल मोदी सरकार का ही प्रयास है कि भारत की 'खोई हुई महिमा' को वापस लाने और देश को 'प्रगति के रास्ते' चलाने का प्रयास किया जा रहा है! जहाँ एक ओर इस देश के लोगों को हमेशा ही सत्ताधारकों की तानाशाही का विरोध करना पड़ा है, लेकिन यह कहना बेहद अन्यायपूर्ण और अवास्तविक होगा कि पिछले सात दशकों के लाखों आम लोगों के संघर्षों से देश में कोई महत्वपूर्ण बदलाव नहीं आया है।


इस पर ज़ोर देने की कोई आवश्यकता नहीं होनी चाहिए कि 1947 से पहले और बाद, देश में जो भी सामाजिक-राजनीतिक, कानूनी, संस्थागत और आर्थिक कार्यक्षेत्र के बदलाव देखे गए हैं, वे प्रमुख रूप से आम लोगों के जन आंदोलनों के कारण हुए हैं। यहाँ तक कि पिछले 7 वर्षों में भी, जबरदस्त राजकीय दमन, यू.ए.पी.ए. जैसे दमनकारी कानूनों के उपयोग और मानव अधिकार कार्यकर्ताओं की मनमानी गिरफ़्तारियों के बावजूद, हमने किसानों, मज़दूरों, दलित, आदिवासियों, औरतों; विशेषकर मुसलमान समुदाय की औरतों, छात्रों, ट्रांसजेन्डर व्यक्तियों आदि के ऐतिहासिक आंदोलनों को उभरते हुए देखा है। लोकतंत्र को गहरा करने और सभी लोगों के लिए स्वतंत्रता, शांति, समानता हासिल करने के सामूहिक आग्रह के कई प्रेरणादायक उदाहरण सामने आए हैं।


जिस प्रकार वर्तमान सरकार 'स्वतंत्रता के 75 वर्षों' को 'अमृत महोत्सव' के रूप में उपयोग करने की कोशिश कर रही है, जिससे कि वह राष्ट्रवाद के अपने संकीर्ण, विभाजनकारी नीती को और ज़्यादा फैला सके, जबकि, जैसे कि हमने महामारी के दौरान देखा कि वह लाखों लोगों के स्वास्थ्य और रोजगार के अधिकार की सुरक्षा करने में पूरी तरह से नाकामयाब रही है - इसलिए, अब समय आ गया है कि ‘हम भारत के लोग’ स्वतंत्रता संग्राम के असली उत्तराधिकारी के रूप में खुद को मुखर करें। हम स्वतंत्र देश इसलिए बन पाए क्योंकि विविध धर्मों, जेन्डर और सामाजिक पहचान के साथ-साथ किसानों-मज़दूरों, दलित-बहुजन आदिवासियों, अपसंख्यकों, युवाओं और औरतों ने कंधे-से-कंधा मिलाकर संघर्ष किया। आज भी, यह सभी वर्ग नव-साम्राज्यवाद और मनुवाद के खिलाफ वर्तमान आजादी आंदोलनों में में सबसे आगे की पंक्ति में खड़े हैं, जिसकी उन्हें भारी कीमत चुकानी पड़ रही है।


इस पृष्टभूमि में, जन आंदोलनों का राष्ट्रीय समन्वय ने एक देश-व्यापी अभियान की शुरुआत की है, जिसका नाम है जन आज़ादी 75: आज़ादी की राह पर । यह अभियान साल भर, 9 अगस्त 2021 से 15 अगस्त 2022 तक चलेगा, जिसके अंतर्गत हम स्वतंत्रता संग्राम के मूल्यों और सपनों को याद करते हुए, पिछले 75 वर्षों में जन संघर्षों का प्रतिरोध, योगदान और चुनौतियों को रेखांकित करेंगे | साथ में, पूरे देश के समकालीन संघर्षों को और लोकतांत्रिक भारत के हमारी परिकल्पना को मजबूती देने का प्रयास जारी रहेगा। ‘भारत छोड़ो आंदोलन’ और ‘अंतर्राष्ट्रीय आदिवसी दिवस’ के ऐतिहासिक दिन को चिह्नित करते हुए, देश भर के लोगों और संगठनों द्वारा 9 अगस्त को सैकड़ों जगहों पर इस अभियान की शुरुआत की गई और लगातार 15 अगस्त तक सप्ताह भर के कार्यक्रम हुए |


हम आपको जन आज़ादी 75 अभियान का हिस्सा बनने के लिए आमंत्रित करते हैं, जिससे हम देश के लोगों से गहरा संपर्क बना पाएंगे और लोकतंत्र, सांझी संस्कृति, मानव अधिकार, सामाजिक-पर्यावरणीय न्याय और संवैधानिक मूल्यों की सुरक्षा के विषयों पर समझ और संघर्ष मजबूत करेंगे | यह इस देश के भूत, वर्तमान और भविष्य को देखने की एक पहल है, जिसके तीन प्रमुख पहलू हैं: राजनीतिक स्वतंत्रता, राजनीतिक सफ़र और राजनीतिक चुनौतियाँ। हाँलाकि हम जानते हैं कि हम सब के अपने अलग-अलग विविध वैचारिक दृष्टिकोण हैं, यह समय है कि हम अपने लोकतंत्र और संविधान को कॉर्पोरेट लूट और फासीवादी ताकतों से बचाने, और सभी के लिए सामाजिक-आर्थिक न्याय पाने की व्यापक लड़ाई में हम एक-दूसरे के साथ हाथ मिलाकर काम करें।


हमारा मानना है कि हम सबको एक बड़े स्तर पर एक-दूसरे के साथ तत्काल जुड़ाव बनाने की आवश्यकता है:


क.  स्वतंत्रता संग्राम और स्वाधीनता से पहले और बाद के विभिन्न जनांदोलनों की आकांक्षाओं के अपूर्ण एजेंडा को देखते हुए;


ख. स्वतंत्रता संग्राम और उसके विविध धाराओं के आदर्शों, और हमारे संविधान के मौलिक मूल्यों से प्रेरणा और ऊर्जा लेते हुए;


ग.   सत्ताधारियों द्वारा दी गई ‘खैरात’ के रूप में नहीं, बल्कि लोगों के संघर्षों के कारण पिछले 75 वर्षों में प्राप्त उपलब्धियों को याद दिलाते हुए;


घ.   आज के समय की चुनौतियों को समझना और सामाजिक-आर्थिक और पर्यावरणीय न्याय प्राप्त करने के लिए मजबूत संघर्ष का निर्माण करते हुए, सांप्रदायिक, पूंजीवादी, आपराधिक, भ्रष्ट और कॉर्पोरेट ताकतों के साथ-साथ फासीवादी शक्तियों का मुकाबला करने के लिए..


वर्ष-भर चलने वाले कार्यक्रमों की शृंखला के माध्यम से, जन आज़ादी 75 स्वतंत्रता संग्राम के इतिहास की सच्चाई और आज तक जिन लोगों ने राष्ट्र-निर्माण में वास्तविक योगदान दिया है उनका विवरण देश के सामने रखेगा। साथ ही, हम सत्ता-धारकों, विशेष रूप से वर्तमान सरकार जो कि हमारे लोकतंत्र को पूरी तरह से नष्ट करने के लिए तैयार है, के खिलाफ़ लोगों द्वारा बनाई गई चार्ज-शीट भी पेश करेंगे | यह अभियान लोगों के साथ गहन जुड़ाव बनाने का वर्ष होगा और हम विभिन्न कार्यक्षेत्र के लोगों, जैसे कि महिलाओं, युवाओं, छात्रों, अध्यापकों, अभिभावकों, कर्मचारियों, शैक्षणिकों, मज़दूरों, किसानों, दलित, आदिवासी, विमुक्त समुदायों, धार्मिक, जातीय और भाषागत अल्पसंख्यकों, विकलांगता के साथ जी रहे लोगों, ट्रांसजेन्डर और क्वीयर लोगों, ट्रेड यूनियनों, संघर्ष और विकल्पों पर काम कर रही जन समूहों, व अन्य वर्गों तक पहुँच बनाने का प्रयास करेंगे।


हम उम्मीद करते हैं कि आपका संगठन इस अभियान को समर्थन देगा और सक्रीयता के साथ जुड़ेगा | 

(अपने संगठन की ओर से समर्थन देने के लिए https://tinyurl.com/evtfnt36 पर क्लिक करें और फॉर्म भरें)


संवाद, संघर्ष और निर्माण में आपके साथ,

जन आंदोलनों का राष्ट्रीय समन्वय (NAPM)

 

आप इन तरीकों से जन आज़ादी 75 अभियान में जुड़ सकते हैं:

 

1.     जन आज़ादी अभियान का समर्थन: आप इस फॉर्म (https://tinyurl.com/evtfnt36) को भर कर, अपने संगठन की और से समर्थन दे सकते हैं| अपने संगठन के सदस्यों से, राज्य स्तर के स्थानीय कार्यक्रमों में भागीदारी करने का औपचारिक रूप से अनुरोध कर सकते हैं।

 

2.     अभियान शपथ: कृपया अभियान शपथ को अपनाकर, विभिन्न भाषाओं में अनुवाद करें, इसका प्रचार करें। यह भी सुनिश्चित करें कि शपथ को सभी सभाओं के दौरान सामूहिक रूप से पढ़ा जाए।

 

3.     स्थानीय कार्यक्रमों का आयोजन: चूंकि यह एक-वर्षीय अभियान है, हम आपसे अनुरोध करते हैं कि आप अपने स्थानीय, गाँव-बस्ती स्तर पर बैठकों, जिला, राज्य-स्तरीय कार्यक्रमों का आयोजन करें, जिसमें जन आज़ादी 75 के बैनर तले  शांतिपूर्ण विरोध, धरने, प्रेस वार्ताएँ, मोमबत्ती अभियान, प्रशासन को ज्ञापन देना, खुले पत्र लिखना, यात्राएं, विमर्श मंच, कार्यशालाएँ, वबीनर आदि आयोजित किए जा सकते हैं – भौतिक और वर्चुअल दोनों स्तरों पर। कृपया ध्यान दें कि यह सभी कार्यक्रम संवैधानिक ढांचे के अंतर्गत हों और केवल लोकतान्त्रिक मांगें उठाई जाएँ।

 

4.     अभियान सामग्री तैयार करना: एक-दूसरे के साथ काम करने का एक अच्छा तरीका है लोक-अनुकूल, विभिन्न भाषाओं में सामग्री तैयार करना और उसका प्रचार प्रसार। विशेष रूप से ऐसे मुद्दों पर जिन पर आपका अभियान/संस्था का काम है , उन विषयों से संबंधित सामाग्री आप जन आज़ादी की टीम व अन्य लोगों के साथ भी साझा कर सकते हैं। इस कार्य के तहत आप ऑडियो-विजुअल सामग्री, पोस्टर, पर्चे, गाने, नारे, मीम, विश्लेषणपूर्ण लेख आदि भी तैयार कर सकते हैं।

 

5.     अभियान हैशटैग: हम सब से अनुरोध करते हैं कि अभियान सामग्री (जैसे कि पोस्टर, फेस्बूक पोस्ट, इंस्टा स्टोरीज़, विडिओ आदि) के लिए #JanAzadi75 हेशटैग का प्रयोग करें। 

 

6.     प्रोफाइल पिक्चर फ्रेम: आप अपनी संस्था के सदस्यों से अनुरोध कर सकते हैं कि वे अपने सोशल मीडिया प्रोफाइल पिक्चर फ्रेम पर जन आज़ादी 75 का उपयोग करें।

 

7.     मीडिया कवरेज: सुनिश्चित करें कि जन आज़ादी 75 अभियान व आपके नेटवर्क / संगठन द्वारा उठाए जा रहे अन्य मुद्दों को उचित मीडिया कवरेज मिले, जिसमें, प्रिन्ट, टेलिविज़न, डिजिटल और सोशल मीडिया,शामिल हो ।

 

8.     सोशल मीडिया एकजुटता: हम आपसे अनुरोध करते हैं कि आप हर सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर अपने कार्यक्रमों को साझा करें और आपकी हर पोस्ट पर @napmindia को टैग करे और #JanAzadi75 हैशटैग लिखें, जिससे कि हम मुद्दों पर और अधिक वर्चुअल एकजुटता बना सकें। आप इस हैशटैग के साथ ट्विटर स्टॉर्म, फेस्बूक कंटेन्ट शेयरिंग आदि भी शुरू कर सकते हैं।

 

9.     वालन्टीर-कार्य: आप अपने संगठन के और से अभियान के विभिन्न कार्यों में शामिल हो सकते हैं, जैसे कि आयोजन, लेखन, डिजिटल सहायता, कला, मीडिया संपर्क, शोध और जानकारी एकत्रित करना, अन्य संगठनों से संपर्क करना इत्यादी कार्य

प्रमुख अभियान सामग्री के लिंक:

(हिन्दी और अंग्रेज़ी में)

सरल पर्चा, जिसे देश के आम लोगों को ध्यान में रख कर बनाया गया है:

https://janazadi75napm.wordpress.com/pamphlets/

 

शपथ/ जन आज़ादी अभियान का प्रण:

https://janazadi75napm.wordpress.com/campaign-oath/

 

प्रेस नोट और फोटो (अभियान के पहले सप्ताह से):

https://janazadi75napm.wordpress.com/inaugural-week-actions/

 


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