Fwd: [technical-hindi] Re: 8-बिट फोंट-कोड का मानकीकरण

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Hariraam

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Apr 16, 2011, 9:41:11 AM4/16/11
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From: Hariraam <hari...@gmail.com>
Date: 2011/4/16
Subject: Re: [technical-hindi] Re: 8-बिट फोंट-कोड का मानकीकरण
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रवि जी,
 
आपका कहना सही है।
 
इस चर्चा का मूल विषय था - Font-code-standardisation
बाद में किसी ने बदलकर 8-बिट फोंट-कोड का मानकीकरण कर दिया।
 
युनकोडित 16 बिट ओपेन टाइप फोंट्स में भी बहुत प्रकार की विभिन्नताएँ व समस्याएँ हैं। किसी फोंट में कोई वर्ण कैसा प्रकट होता है तो दूसरे फोंट में अलग प्रकार से। संयुक्ताक्षरों के कूट निर्धारित नहीं हैं, sorting order व indexing में कई प्रकार की त्रुटियाँ हैं।
 
केवल 16-बिट ओपेन टाइप फोंट कम्प्यूटर में इन्स्टाल हों और युनिकोड सक्रिय हो, इससे भी काम नहीं चलता, OS के rendering इंजन पर पूरी तरह निर्भर रहना पड़ता है।
 
यदि कुछ वर्ष पहले (सन् 2002 में) ही INSFOC का मानकीकरण हो गया होता तो आज इतनी परेशानियाँ न आती। ड्राफ्ट कोड जारी किए गए थे, सभी कृपया इनका अवलोकन करें--
 
इसे पीछे लौटना नहीं कहेंगे, आपके अनुसार ही आगामी 5 वर्षों तक के समय को 8-बिट और 16-बिट का संक्रान्ति काल कहेंगे, जो तकनीकी खामियाँ भारतीय लिपियों के वर्णों में हैं, उनका सही कारण यूजर समझें तो भविष्य में आनेवाली पीढ़ियों को परेशानियों से बचाया जा सकेगा।
 
जबतक Open Source में और निःशुल्क, कोई अच्छा DTP/Designing सॉफ्टवेयर, Offset printing tools, जो Indic युनिकोड समर्थित हो, भारतीय जनता को, छोटे-मोटे प्रेसवालों को, उपलब्ध नहीं हो जाता, 8-बिट फोंट्स का प्रयोग होता रहेगा।
 
फोंट-कोड के मानक निर्धारित कर जारी कर देने में, मेरे विचार में, लागत कुछ नहीं है। न ही ज्यादा कोई परेशानी है।
 
आपने कहा -- "बाजार में कोई लेवाल ही नहीं रहेगा।" इसका अर्थ शायद आर्थिक सन्दर्भ में नहीं होगा। मानक न तो कहीं बेचे जाते हैं, न ही कोई खरीदता है। हाँ, कुछ लोग मानकों का अनुकरण करते हैं, कुछ लोग नहीं।
 
सोचिए, यदि आज युनिकोड मानक ही नहीं होते, तो क्या हम इस प्रकार ई-चर्चा कर पाते? अन्तर्राष्ट्रीय मंच पर अग्रणी बने रहने के लिए हर कहीं मानक आवश्यक होते हैं।
 
आप ही के अनुसार, मानक निर्धारित न हों तो आपके कहे अनुसार आगामी 5 वर्षों तक आम जनता को परेशानियाँ झेलनी पड़ेगीं और करोड़ों रुपये के राष्ट्रीय Man-hour और बर्बाद होंगे। जितने बर्बाद हो गए, उन्हें तो हम वापस लौटा नहीं सकते, लेकिन भविष्य में चाहें तो बचाए जा सकते हैं।
 
यदि आपके जैसे बुद्धिजीवी भी ऐसे ही सोचें कि 5 वर्षों तक लोगों को परेशानियाँ झेलने दो, तो जनता को परेशानियों से कौन बचाएगा?
 
सादर।
 
-- हरिराम
 
 


 
2011/4/15 Ravishankar Shrivastava <ravir...@gmail.com>
मेरा मानना है कि ...आज जब हर किस्म के कंप्यूटर उपकरण और यहाँ तक कि मोबाइल उपकरण भी
यूनिकोड हिंदी समर्थन प्रदान करने लगे हैं, पुराने 8 बिट फॉन्ट में लौटना
किसी भी सूरत में संभव नहीं है.
और, ज्यादा नहीं, आने वाले 5 वर्षों में सभी हार्डवेयर साफ़्टवेयर
यूनिकोड समर्थित हो जाएंगे, तब न तो 8 बिट की जरूरत होगी और न ही उनके
प्रयोक्ता अधिक संख्या में बचेंगे. नई टेक्नोलॉजी की सुविधाओं का प्रयोग
हम सभी को करना चाहिए, भले ही शुरूआत में अड़चनें आएँ.
मेरा फिर से अनुरोध है कि यह संभव ही नहीं है नए सिरे से 8 बिट हिंदी
फ़ॉन्ट का मानकीकरण किया जाए. बाजार में कोई लेवाल ही नहीं रहेगा.
यूनिकोड के साथ आगे बढ़ो दोस्तों, इसी में भविष्य है.

सादर,
रवि



--
हरिराम
प्रगत भारत <http://hariraama.blogspot.com>
(सड़कों के किनारे, बाजारों के बीच, बस्तियों के बीच कूड़ा-करकट जलाकर वायु-प्रदूषण फैलाने वालों का कड़ा विरोध करें।)

Hariraam

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Apr 16, 2011, 10:26:52 AM4/16/11
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कार्य शुरू करने के लिए आवश्यक है --
1. अधिकांशतः प्रचलित 8-बिट देवनागरी फोंट्स की (समान कोड-प्वाइंट वाले फोंट्स में से सिर्फ एक फोंट) कीएक एक प्रति किसी एक मुक्त सर्वर स्थान पर भण्डारित की जाए। (ध्यान रहे कि जो फोंट कॉपीराइट हों, उनके घोषित नियमों का अनुपालन जाए।)
2. अभी तक निर्मित फोंट-कोड-कनवर्टरों के तुलनात्मक मैप के चार्ट भी वहाँ संग्रहीत किए जाएँ।
3. विकल्प रिप्लेशमेंट, रेगुलर एक्सप्रेशन्स आदि के लॉजिक की व्याख्या संग्रहीत की जाए।
4. सी-डैक तथा TDIL द्वारा जारी किए फोंट कोड मानकीकरण के ड्राफ्ट (http://tdil.mit.gov.in/INSFOC.PDF) भी वहाँ रखा जाए।
5. एक समेकित ड्राफ्ट कोड-चार्ट बनाकर वहाँ रखा जाए।
6. सभी इस पर अपने फीडबैक दें और तदनुसार ड्राफ्ट कोड-चार्ट में परिवर्तन किया जाए।

कृपया कोई मुक्त सर्वर स्पेश सुनिश्चित करने हेतु सुझाव दें।

-- हरिराम


On 15-04-2011 07:02, narayan prasad wrote:
<<कूट निर्धारण का काम ऐसे होना चाहिये कि भारतीय भाषाओं के साझे वर्ण-चिह्नों का कूट समान हो। >>

इस बात को मैं अपने पूर्व सन्देश में बता चुका हूँ । निम्नलिखित अंश पर ध्यान दें -
"अब इन उपलब्ध 156 कूट बिन्दुओं में ही सभी देवनगरी वर्णों और वर्णखंडों को रखना है । इनमें से 128 का प्रयोग यूनिकोड में प्रदत्त क्रम को ही रखा जाय तो आगे भी आसानी रहेगी ।"

<<यानि सभी भाषा लिपियों के साझे मूल वर्ण तथा साझे संयुक्ताक्षर तो समान कूट बिन्दुओं पर रखे जायें तथा भिन्न संयुक्ताक्षरो/चिह्नों को अलग से एक तरफ (प्राइवेट एरिया टाइप में) रखा जाय। इसके अलावा सभी चिह्नों को जहाँ तक हो सके किसी क्रम से कूट-बिन्दु दिये जायें।>>

पूरी तरह सहमत ।

---नारायण प्रसाद

2011/4/14 ePandit | ई-पण्डित <sharma...@gmail.com>
एक बात और मेरे दिमाग में है। 8 बिट में यूनिकोड की तरह सभी भारतीय भाषाओं के चिह्न तो आ नहीं सकते। एक ही भाषा के भी आ जायें बहुत है, तो इसलिये कूट निर्धारण का काम ऐसे होना चाहिये कि भारतीय भाषाओं के साझे वर्ण-चिह्नों का कूट समान हो।.............भिन्न संयुक्ताक्षरो/चिह्नों को अलग से एक तरफ (प्राइवेट एरिया टाइप में) रखा जाय। इसके अलावा सभी चिह्नों को जहाँ तक हो सके किसी क्रम से कूट-बिन्दु दिये जायें।



ePandit | ई-पण्डित

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Apr 18, 2011, 5:07:46 AM4/18/11
to indi...@googlegroups.com, technic...@googlegroups.com
अधिकांशतः प्रचलित 8-बिट देवनागरी फोंट्स की (समान कोड-प्वाइंट वाले फोंट्स में से सिर्फ एक फोंट) कीएक एक प्रति किसी एक मुक्त सर्वर स्थान पर भण्डारित की जाए।

आपकी आवश्यकता के अनुसार गूगल साइट बिलकुल सही जगह है। यहाँ एक साइट बना दी है तथा कृतिदेव के दो मुफ्त संस्करण KrutiDev 010 तथा KrutiDev 011 अपलोड कर दिये हैं। कृपया अन्य मुफ्त संस्करण बतायें जिन्हें वहाँ डाला जा सके।


अभी तक निर्मित फोंट-कोड-कनवर्टरों के तुलनात्मक मैप के चार्ट भी वहाँ संग्रहीत किए जाएँ।

तुलनात्मक मैप से मैं आपका आशय नहीं समझा।

विकल्प रिप्लेशमेंट, रेगुलर एक्सप्रेशन्स आदि के लॉजिक की व्याख्या संग्रहीत की जाए।

जरा यह भी समझायें कि इससे आपका क्या मतलब है, क्या आप चाहते हैं कि विभिन्न प्रोग्रामिंग भाषाओं में रेगुल ऍक्सप्रैशन का सिण्टैक्स बताया जाय?

सी-डैक तथा TDIL द्वारा जारी किए फोंट कोड मानकीकरण के ड्राफ्ट भी वहाँ रखा जाए।

रख दिया, कोई और ऐसा दस्तावेज रखना हो तो बतायें।

एक समेकित ड्राफ्ट कोड-चार्ट बनाकर वहाँ रखा जाए।

इस पर आप कार्य शुरु करें बाद में बाकी लोग राय देंगे।


2011/4/16 Hariraam <hari...@gmail.com>

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Shrish Benjwal Sharma (श्रीश बेंजवाल शर्मा)
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Hariraam

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Apr 18, 2011, 10:18:04 AM4/18/11
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यदि NGO मानक संस्थान बने, तो कई प्रकार के मानकों के कार्य करने पड़ेंगे।

 
2011/4/18 ePandit | ई-पण्डित sharma...@gmail.com
हरिराम जी पहले तो ये बतायें कि आप 8 बिट फॉण्ट कोड के मानकीकरण की योजना बना रहे हैं या 16 बिट या फिर दोनों के।
 
 
प्रथम चरण में 8 बिट
 
द्विताय चरण में 16 बिट
 
दूसरी बात यदि16 बिट की योजना बना रहे हैं तो ये बतायें कि क्या यह यूनिकोड पर आधारित होगा या बिलकुल अलग? यदि यूनिकोड पर आधारित होगा तो नया क्या किया जायेगा?
 
युनिकोड से अलग फिलहाल कोई कल्पना करना भी उचित नहीं।
 
प्राथमिकता दी जा रही है ऐसे 16 बिट युनिकोडित ओपेन टाइप देवनागरी फोंट के विकास हेतु, जो बिना OS के rending engine का सहारा लिए भी पूरा सही आउटपुट दे सके। Graphics, DTP, Designing, साफ्टवेयरों व image-setter. offset printing के उपकरणों हेतु भी उपयुक्त हो सके। 
 
TDIL, MIT द्वारा सकल-भारती नामक OT font विकसित हो रहा है, जो सभी भारतीय लिपियों के लिए एक-समान width, height, thickness, linespacing इत्यादि गुणों से युक्त होगा।
 
यदि 16 बिट की बात कर रहे हैं तो क्या 8 बिट की अब जरुरत है जबकि सभी प्रोग्राम 16 बिट हैण्डल कर सकते हैं?
 
क्योंकि पुराने सॉफ्टवेयर, यथा पेजमेकर आदि  16 बिट (युनिकोड) के लिए समर्थ नहीं हो सकते, कदापि। उनके लिए 8 बिट ही एकमात्र आसरा है। और इनका उपयोग मुद्रण उद्योग में लगभग 5 वर्षों तक होता रहेगा।
 
सफल प्रोग्राम या OS वही माना जाता है, जिसमें Backward Compatibility हो। किन्तु Windows 7 के 64 बिट वाले वर्सन में पुराने 16 बिट वाले कोई प्रोग्राम नहीं चल सकते। Backward Compatibilty नहीं है। इसके विपरीत Linux के किसी भी flavour में 7 बिट से लेकर 64 बिट तक के सारे प्रोग्राम चल पाते हैं।
 
-- हरिराम
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