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ज़ख्मो से लहुलुहान और जंजीरो में जकड़ा राजू पिछले 6 महीनो से खुले आसमान के नीचे इस कडकडाती ठण्ड में तिल तिल कर दम तोड़ने को मजबूर है लेकिन उसकी कोई सुनने वाला नहीं है । राजू बेजुबान है बावजूद इसके उसने इलाहाबद हाईकोर्ट का दरवाजा भी खटखटाया लेकिन अदालत की चौखट से भी उसे रिहाई की जगह मिली तारीख के बाद तारीख । अपनी रिहाई के इन्साफ की जंग लड़ रहा यह राजू कोई इंसान नहीं बल्कि बेजुबान हाथी है जो अपने ऊपर स्वामित्व साबित करने की लड़ाई में पिछले 6 महीने से सरकारी कैद में है ।
.जिस हड्डी गला देने वाली सर्दी में आप घर से बाहर भी निकलते है तो गर्म कपड़ो के बीच खुद को समेटकर निकलते है उसी बारिश और कड़ाके की ठण्ड में यह बेजुबान हाथी राजू पिछले 6 महीनो से खुले आसमान के नीचे दिन और रात काटने को मजबूर है । राजू का बदन ज़ख्मो से लहुलुहान है बावजूद उसके पैरो में मोटी जंजीरे डालकर उसे कैद कर दिया गया है । राजू इस समय सरकार द्वारा बनाई गई एक अस्थायी जेल में हिरासत में है । जैसे जैसे सर्दी अपना सितम ढहा रही है राजू की मुसीबते भी बढ़ती जा रही है । जैसे जैसे राजू की सेहत गिर रही है राजू का मालिक शाहिद भी परेशान है ।
राजू को 29 जुलाई को 2013 को इलाहाबद के वन विभाग के अधिकारियो ने उस हिरासत में ले लिया था जब उसने भूख प्यास की मार से तंग आकर अपने महावत मोहन को कुचलकर मार दिया था । गजराज को हिरासत में लेने के बाद जब वन विभाग के अधिकारियो को वन्य जीव प्राणी अधिनियम के तहत कोई दण्डातमक अपराध और धारा नहीं मिली तो उन्होंने राजू को ऐसे कानूनी पचड़े में फसा दिया जिसके बाद वह आज ६ महीने बीत जाने के बाद भी आज़ाद नहीं हो पाया । अधिकारियो ने राजू को हिरासत में लेने के बाद उसे लेकर आसमान के नीचे अस्थायी जेल में तन्हाई के हाल में कैद कर दिया । राजू को यह कहकर अधिकारियो ने रिहा करने से इंकार कर दिया की राजू पर किसका मालिकाना हक़ है यह अभी साफ़ नहीं है ।
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.मजबूर होकर राजू की रिहाई के लिए उसके मालिक ने अदालत का दरवाजा खट खटाया लेकिन वहा भी उसका मालिक राजू की रिहाई की जंग हार गया और ए सी जे एम् की कोर्ट ने राजू की रिहाई उसकी याचिका को खारिज कर दिया । अदालत के मुताबिक़ राजू का मालिक शाहिद उस पर अपना मालिकाना हक़ साबित नहीं कर पाया इसलिए उसकी याचिका पोषणीय ही नहीं है । राजू के मालिक शाहिद ने फिर भी हार नहीं मानी और उसने अब इलाहबाद हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया है ।
-राजू ने सूबे की सबसे बड़ी अदालत में दरवाजा तो खटखटाया है लेकिन फ़िलहाल उसे अगर कुछ मिला है तो बस अदालत से तारीख के बाद तारीख । अब जरा यह भी जान लीजिये की आखिर पूरे कानूनी पचड़े की जड़ है क्या जिसके चलते राजू तन्हाई की यह कैद काटने को मजबूर है । राजू की कैद के समय वैन विभाग ने वन्य जीव प्सरंक्षण अधिनियम -1972 की धारा 9 /51 के तहत कार्यवाही करते हुए राजू के मालिक शाहिद को यह साबित करने को कहा की वह साबित करे की उसके पास हाथी रखने और राजू हाथी के मालिकाना हक़ के कागजात है ।