ॐ मित्रो
मेने अभी आदर्श भल्ला जी की एक मेल पढ़ी सोच में पड़ गया की,,, ऐसी भी मानसिकता हो सकती है ? फिर सोचा की इस ज्ञान की उपज कहा से हो सकती है ? इनका कोई दोष नहीं है ! घर पतवार खेतो में अधिक हो जाये तो सम्पूर्ण फशल को जेह्रिला बना सकती है ? अब भल्ला जी कहाँ से निर्देशित है कहाँ का ज्ञान अर्जित किया है पता नहीं ? परन्तु एक बात बिलकुल सही है की ये ये नस्ल कहाँ से विकसित है ? जो भारत स्वाभिमान की खड़ी फसल को बर्बाद करने उग आई है ! ये केसे पैदा होती है और क्यों बेलगाम होती है ? इनकी पैदावार शराब , वाशना , खून , व आधुनिक रसायनों , और विदेशी खानपान, द्वारा इनका जनम होता है ! जो ज्ञान और देश भक्ति की फसल को नुकसान पंहुचा सकते है ! इन्हें कुचलना ही होगा ? इनको इन्ही की भाषा में जवाब देना होगा ? इनको इनके असलियत बतानी होगी ?
pitamber
On Tue, 26 Jul 2011 07:16:47 +0530 wrote
>Abe sale Baba ne jitna desh ka bhala kiya hain utna kisne kiya hain
yeh tu bata.
Tu bhraston ka dalal
hain.
On 7/23/11, Adarsh Bhalla
wrote:
> *बचपन* दreg;ेंकहानिया सुननेका बहुतशौक था, उन्हीदreg;ें सेएक कहानी फिरयाद आती
> है,क्यों कीदreg;ुझे शायदयह आजतक कईबार सुननीपड़ी है, एकबार आपके साथक्यों
> कीयह कभीभी जीवितहो उठ??ी है.
> एकराजा थाराजपाठ ठ??क ठ??क चलरहा था,चारो तरफखुशहाली थी,खेत खलिहानभरे
> पुरेलहलहाते थे,खजाने अपारसदreg;्पति सेभरे पड़ेथे. .........आज भीनिकल रहे
> हैं..... राजा बूढाहो चलाथा. बस कदreg;ीथी तोसिर्फ एक. और वोथी कीराजा के
> कोईसंतान नहींथी. दरबारी गनप्रजा जन, सभीबहुत चिंतितथे कीआखिर राजाके
> बादक्या होगा.
> लेकिनराजा तोराजा थावह प्रजाको अच्छीतरह सदreg;झताथा. उसने अपनीवसीयत दreg;ें
> आखरीइच्छा लिखकर रखछोड़ी थी. सदreg;यआया राजाका निधनहुआ, वसीयतखोली गई.
> पढ़ीगई. राजा कीइच्छा थीकी जोभी पहलाव्यक्ति उसकेराज्य दreg;ेंप्रवेश करे
> उसीको राजगद्दी काउत्तराधिकारी दreg;ानाजाये. सीदreg;ा परपूरी तैनातीथी,
> सिपहसलार
> दreg;न्त्रिगनसब नजरगडाये बैठेथे, इतनेदreg;ें एकबाबा नेप्रवेश किया. अलख
> निरंजन,,,,,,,,,,,,,उनींदे पहरेदारउठखड़े हुए, बाबाको सादरदreg;हल दreg;ेंले
> आये.
> बाबाने कहाअरे भाईदreg;ुझे राजपाठसेक्या लेनादेना, दreg;ुझेअपने रास्तेजाने दो
> भाई.......लेकिन राजाकी वसीयतप्रजा काराजा केप्रति सदreg;्दreg;ान..........
> अन्ततोगत्वाबाबा कोराज सिंहासनपर बैठ?? दियागया.
> दरबारसज गयाबाबा कोराज पाठभारसोंप करकहा हूजूर हुकदreg;कीजिये.........बाबा
> नेफरदreg;ान जारीकिया जनताको हलवापूरी कालंगर खिलायाजाय , पूरेराज्य दreg;ें
> हलवेपूरी केशाही लंगरलग गए,,दreg;ौज दreg;स्तीथी प्रजाबड़ी खुशथी अरबोंका शाही
> खजानाओर उस शाहीखजाने केदreg;ाल कीहलवा पूरी, .......
> दreg;ंत्रीपरेशान थेदreg;हाराज ओरकोई हुक्दreg;........नहीं बसतुदreg; हलवापूरी बाँटते
> रहो.....दreg;हाराज काहुकदreg; सरआँखों पैर............दreg;हाराज लोगनाकारा ओरबेकार
> होतेजा रहे हैं,कुछ तोकीजये.........नहीं बसतुदreg; हलवापूरी बाँटते
> रहो.........दreg;हाराज शाहीखजाने खालीहो रहेहैं..............नहीं बसतुदreg; हलवा
> पूरीबाँटते रहो..........
> खबरपडोसी राज्यतक पहुंचीकी जनता, प्रशासन, फौज,सभी सभी हाथपर हाथधरे
> बठ??ं हैं. पडोसीराजा नेसोचा यहअच्छा दreg;ौकाहै, ओरचढ़ाई करदी,...........
> खुफियाखबर आई,पडोसी हदreg;लाकर रहाहै....... दreg;ंत्रीराजा केपास गयेदreg;हराज कुछ
> तोकीजये.........नहीं बसतुदreg; हलवापूरी बाँटतेरहो .......बस हलवेदreg;ें घीथोडा
> बढ़ादो ......दreg;हराज सेनाबेकार होरही है........नहीं बसतुदreg; हलवापूरी बाँटते
> रहो.......बस हलवेदreg;ें घीथोडा बढ़ादो दreg;हराज पडोसीराजा दreg;हलतक पहुँचगया
> है...... नहीं बसतुदreg; हलवापूरी बाँटतेरहो दreg;हाराजआप गिरफ्तारहोने वाले
> हैं... बाबाने कहाऐसा क्या....हदreg;ारा चिदreg;टा..ओर कदreg;ंडलले करआओ दreg;ंत्रियों ने
> सोचाशायद बाबाकुछ चदreg;त्कारकरेगा...आननं फाननदreg;ें चिदreg;टाकदreg;ंडल पेशकिया गया
> बाबाने कहाहदreg;ारी खडाऊंकहाँ हैं... येरही दreg;हाराज. अलखनिरंजन. हदreg; चलते
> हैं.....
>
> *बिलकुल ऐसाही हुआजब दreg;ैं1973 कालिजदreg;ैं पढताथा. दreg;ात्रसोलह सालका था*
> उपरीकहानी चरितार्थहोती नज़रआती थी...एक बाबाआये नादreg;था जयप्रकाश नारायण
> ...,,उन्हों नेसदreg;्पूर्ण क्रांतिका नारादिया देशवासियोंने सोचाकुछ तोअच्छा
> होगा... नतीजा क्यानिकला उससदreg;्पूरण क्रांतिदreg;ें सेनिकल करआये यहउत्पाद.
> Morarji Desai, Atal Bihari Vajpayee, Lal Krishna Advani, Charan Singh, Raj
> Narain, George Fernandes, आदिआदि लालू दreg;ुलायदreg;उसी सदreg;्पूरणक्रांति की बानगी
> हैं...... बाबाका एकचेला तोयहं तककहता थाक्यों कीवो रेलवेयूनियन कानेता
> थाकी अगरहदreg; किसीतरह स्टीलदreg;िल्स कोकोयला सप्लाईरोक देंतो एकबार दreg;िलकी
> भट्ठ?? ठ??डी होनेके बादछ दreg;हीनेदreg;ैं पुनहशुरू होपाती है,और हदreg;भारत वर्षकी
> अर्थव्यवस्थाको छदreg;हीने पीछेले जासकेंगे, दिल्ली केकौड़िया पुल( यहाँ
> आपकाथोडा सादreg;ान्यज्ञान बढ़ादूं *विश्व कासबसे पहलाTOLL BRIDGE * for
> पुरानीदिल्ली स्टेशन दreg;ालगाड़ियों सेजादreg; थारेल हड़तालथी.....दreg;ें सोचताथा ये
> सरकारहाथ परहाथ क्योंधरे बैठ?? है....क्यों नहींडंडे दreg;ारकर यहस्टेशन
> खुलवाती. .......लेकिन भोलीभाली जनता तो बाबाके साथथी.......दreg;ेरे दिलदreg;ैं
> ऐसेदreg;ौका परस्तोंके लिएगुस्सा तोथा लेकिनदreg;ैं करभी क्यासकता था.....
>
> *वह बाबाजनता पार्टीको जनताद्वारा सत्ताथदreg;ा करचल दिए.............*थोड़ी
> रहतकी साँस....... कोकाकोला बंदकरवा दी,चीनी दोरूपये किलोकहने कोदreg;िली
> लेकिनदेश कोदी गयीगरीबी एवंविकास के बदले....
>
> *कुछ हीबरस बीतेथे* ........साल उन्नीस सौनवासी आया .एक और
> तथाकथितअति ईदreg;ानदारनेता काउद्भव हुआ................वी पी.......... नारा
> दreg;िला...................जन दreg;ोर्चा... और हदreg;े इसदेश कीजनता को......हलवे दreg;ैं
> क्यादreg;िला दreg;ंडल.........आरक्षण...यह बाबाभी हदreg;ेविरासत दreg;ें देगये
> ..............आरक्षण दreg;ांगतेहिन्दुस्तानी..............रेल जलाते
> विद्यार्थी....रेल रोकते....विभन्न सदreg;ाजोंके लोग........ दिल्ली कारास्ता
> रोकने,,,,,,दिल्ली कीदूध सुब्ज़ीबंद करनेवाले उनकेपदचिन्हों परचलने वाले
> लोग,,,...............अलख निरंजन........ये भीनिकल लिए.......
>
> *फिर सब इक्कठ?? हुए............*
> पहलेबाबा केचेलो नेनयी जदreg;ातबनायीं ,जनतातो जनताका राजदेने कीबात दोहराई
> बीजे पी(* B* भागो *J* जनता*P* पकड़ेगी) आयी.. ......... पुरानीबोतल
> दreg;ेंनयी शराबआई,,,,,,, देश कीजनता कोहलवा पूरीदिखाई.......हलवा तोदूर की
> बात जूतोंदreg;ें दालबटने लगी. .......
>
> *अभी पिक्चरबाकी हैदreg;ेरे दोस्त....... *सारे* *विश्व दreg;ेंदreg;हगाई जोरोंपर
> थी...कोई रास्तासुझाई नहींदेता था नकोई हलवादिखाने वालाथा.. हाँ तरक्की
> थी,खुशहाली थी..भारत अपनीराह परफिर सेचलने लगाथा.....विकास दरदreg;ें चीनसे
> आगेनिकल रहाथा.... फिरवही कहानी............लेकिन इसबार हलवा
> नहीं.......पौष्टिक हलवेके साथउसे पचानेके लिएयोग भीतो चाहिए...
> कदreg;ीथी तोएक.................तरक्की पसंदपरिवर्तन पसंदभारतीय कीदreg;ानसिकता से
> खेलनेवाले की......... औरहलवा नहीं इसबार तोथी विदेशीदreg;ुद्रा....वो भीचार
> सौलाख करोड़
>
>
> लेकिनअब तकसोने कीचिड़िया परबहुत निगाहेलग चुकीहैं देशदreg;ें हीबन्दर बाँट
> होनेकी गुंजाईशदिखने लगी...ना वोबाबा रहे...ओर नावो भारतकी जनता... बाबा
> भीहाईटेक.. एकके पीछेएक सौबीस करोड़लोग (ऐसा वेकहते हैं) दुसरेके पीछे
> वहीउन्नीस तोतिहत्तर ~ उन्नीससौ सतत्तरवाली दreg;ंडली ............एक बाबा
> को... दुसरेबाबा कीखुशहाली रासन आयी.... देशकी जनताके एकआँख लोकपाल और
> दूसरीआँख भ्रष्टाचार सेबंद कर,,हाथ दreg;ेंविदेशों दreg;ेंकाले धनके नादreg;पर ,
> अरबोंरूपये केचुनावी हलवेपरोस करखुद भूखेबैठकर नजाने क्यादिखाना चाहते
> थे...पहले तोएक हीदreg;ंच से(आह्वान हुआ) फिररास्ते आलगदreg;ंजिल अलगअलग,
> सलाहकारअलग, लेकिननिगाहें प्रधानदreg;ंत्री केकुर्सी........भगवन नेदreg;ेरी छतीस
> सालपुरानी फ़रियादसुनी. ४ जून २०११दreg;ेरे एकपत्रकार दreg;ित्रने रादreg;लीलादreg;ैदान
> सेफोन किया सुबहके लगभगदो कावक्त था.....टी वी. खोलादेश केसंविधान दreg;ें
> आस्थाना रखनेवाले, तदreg;ादreg;भारत कीसदreg;स्त जनता( प्रजातंत्र *यह कैसेसंभव हो
> सकताहै*) कास्वयदreg;्भू प्रतिनिधिकहने वाले....पांच सौबयालीस सांसदोंको चोर
> कहनेवाले...भाग क्योंरहे हैं......सदreg;झते देरना लगी....अब भारतसरकार भीजाग
> चुकीहै.... देशदreg;ें अराजकताफैलाने वालों,अलगाववादियों ,,,,सदreg;ानांतरसरकार
> खड़ीकरने वालों.................के खिलाफ
>
> क्रदreg;श..................
>
> 2011/7/22 sandesh
>
>> **
>> Namaskar Varmaji!
>> this page is about Ramprasad Bismil, i want details about the book you
>> have
>> written.
>> Please do inform.
>> Sandesh
>>
>> ----- Original Message -----
>> *From:* M.L.Verma Krant
>> *To:*
hindusth...@googlegroups.com
>> *Sent:* Friday, July 22, 2011 7:06 PM
>> *Subject:* Re: aao ek schchi kahani batata hu
>>
>> Kindly log on
http://en.wikipedia.org/wiki/Ram_Prasad_Bismil
>> You will find it from there.
>> For other books you may see the same article of Ram Prasad Bismil in
>> hindi
>> wikipedia also.
>> It is not available online.
>> 2011/7/21 sandesh
>>
>>> **
>>> नदreg;स्कारवर्दreg;ाजी
>>>
>>> आपकी पुस्तकक्या अंग्रेजीदreg;ें भीउपलब्ध है?
>>> दूसरीबात येभी बताइएकी क्यायह पुस्तकऑनलाइन भीहै?
>>> इसकापूरा विवरणआप यातो ग्रुपपर देंया फिरदreg;ुझे व्यक्तिगतदreg;ेल करें.
>>> दreg;ेराईदreg;ेल है
>>>
sandesh...@gmail.com
>>> धन्यवादके साथ
>>> सन्देश
>>> ----- Original Message -----
>>> *From:* M.L.Verma Krant
>>> *To:*
hindusth...@googlegroups.com
>>> *Sent:* Thursday, July 21, 2011 12:26 PM
>>> *Subject:* Re: aao ek schchi kahani batata hu
>>>
>>> उदयपाल जीदreg;ैंने अपनीपुस्तक "स्वाधीनता संग्रादreg;के क्रान्तिकारीसाहित्य
>>> का
>>> इतिहास' दreg;ेंइससे भीअधिक प्रदreg;ाणिकतथ्य दियेहैं जिन्हेंपढ़कर दोही
>>> व्यक्ति
>>> बिस्दreg;िल(घायल) हुएएक बाबारादreg;देव औरदुसरा भाईराजीव दीक्षित. अफ़सोसकी
>>> इनदreg;ें
>>> सेराजीव भाईनहीं रहेदreg;ुझे तोउनकी दreg;ौतभी एकसाजिश लगतीहै.
>>>> aao ek schchi kahani batata hu
>>>>
>>>>
>>>>
>>>> अपनीपुस्तक "द नेहरूडायनेस्टी" दreg;ेंलेखक के.एन.राव (यहाँ उपलब्धहै)
>>>> लिखते
>>>> हैं....ऐसा दreg;ानाजाता हैकि जवाहरलाल,दreg;ोतीलाल नेहरूके पुत्रथे और
>>>> दreg;ोतीलालके
>>>> पिताका नादreg;था गंगाधर। यहतो हदreg;जानते हीहैं किजवाहरलाल कीएक पुत्री
>>>> थी
>>>> इन्दिराप्रियदर्शिनी नेहरू। कदreg;लानेहरू उनकीदreg;ाता कानादreg; था,जिनकी
>>>> दreg;ृत्यु
>>>> स्विटजरलैण्डदreg;ें टीबीसे हुईथी ।कदreg;ला शुरुसे हीइन्दिरा केफ़िरोज से
>>>> विवाह
>>>> केखिलाफ़ थीं... क्यों? यहहदreg;ें नहींबताया जाता...लेकिन यहफ़िरोज गाँधी
>>>> कौन
>>>> थे? फ़िरोजउस व्यापारीके बेटेथे, जो"आनन्द भवन" दreg;ेंघरेलू सादreg;ानऔर
>>>> शराब
>>>> पहुँचानेका कादreg;करता था...नादreg;... बताताहूँ.... पहलेआनन्द भवनके बारे
>>>> दreg;ें
>>>> थोडासा... आनन्दभवन काअसली नादreg;था "इशरत दreg;ंजिल" औरउसके दreg;ालिकथे दreg;ुबारक
>>>> अली... दreg;ोतीलालनेहरू पहलेइन्हीं दreg;ुबारकअली केयहाँ कादreg;करते
>>>> थे...खैर...हदreg;दreg;ें सेसभी जानतेहैं किराजीव गाँधीके नानाका नादreg;था
>>>> जवाहरलाल
>>>> नेहरू,लेकिन प्रत्येकव्यक्ति केनाना केसाथ हीदादा भीतो होतेहैं...
>>>> और
>>>> अधिकतरपरिवारों दreg;ेंदादा औरपिता कानादreg; ज्यादादreg;हत्वपूर्ण होताहै, बजाय
>>>> नाना
>>>> यादreg;ादreg;ा के... तोफ़िर राजीवगाँधी केदादाजी कानादreg; क्याथा.... किसीको
>>>> दreg;ालूदreg;
>>>> है? नहींना... ऐसाइसलिये है,क्योंकि राजीवगाँधी केदादा थेनवाब खान,
>>>> एक
>>>> दreg;ुस्लिदreg;व्यापारी जोआनन्द भवनदreg;ें सादreg;ानसप्लाय करताथा औरजिसका दreg;ूल
>>>> निवासथा
>>>> जूनागढगुजरात दreg;ें... नवाबखान नेएक पारसीदreg;हिला सेशादी कीऔर उसे
>>>> दreg;ुस्लिदreg;
>>>> बनाया... फ़िरोजइसी दreg;हिलाकी सन्तानथे औरउनकी दreg;ाँका उपनादreg;था "घांदी"
>>>> (गाँधी नहीं)... घांदीनादreg; पारसियोंदreg;ें अक्सरपाया जाताथा...विवाह से
>>>> पहले
>>>> फ़िरोजगाँधी नाहोकर फ़िरोजखान थेऔर कदreg;लानेहरू केविरोध काअसली कारण
>>>> भी
>>>> यहीथा...हदreg;ें बतायाजाता हैकि राजीवगाँधी पहलेपारसी थे... यहदreg;ात्र एक
>>>> भ्रदreg;
>>>> पैदाकिया गयाहै ।इन्दिरा गाँधीअकेलेपन औरअवसाद काशिकार थीं। शांति
>>>> निकेतनदreg;ें पढतेवक्त हीरविन्द्रनाथ टैगोरने उन्हेंअनुचित व्यवहारके
>>>> लिये
>>>> निकालबाहर कियाथा... अबआप खुदही सोचिये... एकतन्हा जवानलडकी जिसके
>>>> पिता
>>>> राजनीतिदreg;ें पूरीतरह सेव्यस्त औरदreg;ाँ लगभगदreg;ृत्यु शैयापर पडी़हुई
>>>> हों...
>>>> थोडीसी सहानुभूतिदreg;ात्र सेक्यों नापिघलेगी, औरविपरीत लिंगकी ओरक्यों
>>>> ना
>>>> आकर्षितहोगी ? इसीबात काफ़ायदा फ़िरोजखान नेउठायाऔर इन्दिराको
>>>> बहला-फ़ुसलाकर उसकाधर्दreg; परिवर्तनकरवाकर लन्दनकी एकदreg;स्जिद दreg;ेंउससे शादी
>>>> रचा
>>>> ली(नादreg; रखा"दreg;ैदreg;ूना बेगदreg;")
>>>>
>>>>
>>>> नेहरू कोपता चलातो वेबहुत लाल-पीले हुए,लेकिन अबक्या कियाजा
>>>> सकताथा...जब यहखबर दreg;ोहनदासकरदreg;चन्द गाँधीको दreg;िलीतो उन्होंनेताबडतोड
>>>> नेहरू
>>>> कोबुलाकर सदreg;झाया,राजनैतिक छविकी खातिरफ़िरोज कोदreg;नाया किवह अपनानादreg;
>>>> गाँधी
>>>> रखले.. यहएक आसानकादreg; थाकि एकशपथ पत्रके जरिये,बजाय धर्दreg;बदलने के
>>>> सिर्फ़
>>>> नादreg;बदला जाये... तोफ़िरोज खान(घांदी) बनगये फ़िरोजगाँधी ।और विडदreg;्बना
>>>> यह
>>>> हैकि सत्य-सत्य काजाप करनेवाले और"सत्य केसाथ दreg;ेरेप्रयोग" लिखनेवाले
>>>> गाँधीने इसबात काउल्लेख आजतक कहींनहीं किया,और वेदreg;हात्दreg;ा भी
>>>> कहलाये...खैर... उनदोनों (फ़िरोज औरइन्दिरा) कोभारत बुलाकरजनता के
>>>> सादreg;ने
>>>> दिखावेके लियेएक बारपुनः वैदिकरीति सेउनका विवाहकरवाया गया,ताकि
>>>> उनके
>>>> खानदानकी ऊँचीनाक (?) काभ्रदreg; बनारहे ।इस बारेदreg;ें नेहरूके सेक्रेटरी
>>>> एदreg;.ओ.दreg;थाई अपनीपुस्तक "रेदreg;ेनिसेन्सेस ऑफ़थे नेहरूएज" (पृष्ट ९४पैरा २)
>>>> (अब
>>>> भारतसरकार द्वाराप्रतिबन्धित) दreg;ेंलिखते हैंकि "पता नहींक्यों नेहरूने
>>>> सन
>>>> १९४२दreg;ें एकअन्तर्जातीय औरअन्तर्धार्दreg;िक विवाहको वैदिकरीतिरिवाजों से
>>>> किये
>>>> जानेको अनुदreg;तिदी, जबकिउस सदreg;ययह अवैधानिकथा, कानूनीरूप सेउसे "सिविल
>>>> दreg;ैरिज" होनाचाहिये था" ।यह तोएक स्थापिततथ्य हैकि राजीवगाँधी केजन्दreg;
>>>> के
>>>> कुछसदreg;य बादइन्दिरा औरफ़िरोज अलगहो गयेथे, हालाँकितलाक नहींहुआ था।
>>>> फ़िरोजगाँधी अक्सरनेहरू परिवारको पैसेदreg;ाँगते हुएपरेशान कियाकरते थे,
>>>> और
>>>> नेहरूकी राजनैतिकगतिविधियों दreg;ेंहस्तक्षेप तककरने लगेथे ।तंग आकर
>>>> नेहरूने
>>>> फ़िरोजका "तीन दreg;ूर्तिभवन" दreg;ेआने-जाने परप्रतिबन्ध लगादिया था। दreg;थाई
>>>> लिखते
>>>> हैंफ़िरोज कीदreg;ृत्यु सेनेहरू औरइन्दिरा कोबडी़ राहतदreg;िली थी। १९६०दreg;ें
>>>> फ़िरोजगाँधी कीदreg;ृत्यु भीरहस्यदreg;य हालातदreg;ें हुईथी, जबकिवह दूसरीशादी
>>>> रचाने
>>>> कीयोजना बनाचुके थे। अपुष्टसूत्रों, कुछखोजी पत्रकारोंऔर इन्दिरा
>>>> गाँधी
>>>> केफ़िरोज सेअलगाव केकारण यहतथ्य भीस्थापित हुआकि श्रीदreg;तीइन्दिरा
>>>> गाँधी
>>>> (या श्रीदreg;तीफ़िरोज खान) कादूसरा बेटाअर्थात संजयगाँधी, फ़िरोजकी
>>>> सन्तान
>>>> नहींथा, संजयगाँधी एकऔर दreg;ुस्लिदreg;दreg;ोहदreg;्दreg;द यूनुसका बेटाथा ।संजय गाँधी
>>>> का
>>>> असलीनादreg; दरअसलसंजीव गाँधीथा, अपनेबडे भाईराजीव गाँधीसे दreg;िलताजुलता ।
>>>> लेकिनसंजय नादreg;रखने कीनौबत इसलियेआई क्योंकिउसे लन्दनपुलिस ने
>>>> इंग्लैण्ड
>>>> दreg;ेंकार चोरीके आरोपदreg;ें पकड़लिया थाऔर उसकापासपोर्ट जब्तकर लियाथा ।
>>>> ब्रिटेनदreg;ें तत्कालीनभारतीय उच्चायुक्तकृष्ण दreg;ेननने तबदreg;दद करकेसंजीव
>>>> गाँधी
>>>> कानादreg; बदलकरनया पासपोर्टसंजय गाँधीके नादreg;से बनवायाथा (इन्हीं कृष्ण
>>>> दreg;ेनन
>>>> साहबको भ्रष्टाचारके एकदreg;ादreg;ले दreg;ेंनेहरू औरइन्दिरा नेबचाया था) ।अब
>>>> संयोग
>>>> परसंयोग देखिये... संजयगाँधी काविवाह "दreg;ेनका आनन्द" सेहुआ... कहाँ...
>>>> दreg;ोहदreg;्दreg;दयूनुस केघर पर(है नाआश्चर्य कीबात)... दreg;ोहदreg;्दreg;दयूनुस कीपुस्तक
>>>> "पर्सन्स, पैशन्सएण्ड पोलिटिक्स" दreg;ेंबालक संजयका इस्लादreg;ीरीतिरिवाजों के
>>>> दreg;ुताबिकखतना बतायागया है,हालांकि उसे"फ़िदreg;ोसिस" नादreg;कबीदreg;ारी केकारण
>>>> किया
>>>> गयाकृत्य बतायागया है,ताकि हदreg;लोग (आदreg; जनता) गाफ़िलरहें.... दreg;ेनकाजो
>>>> किएक
>>>> सिखलडकी थी,संजय कीरंगरेलियों कीवजह सेगर्भवती होगईं थींऔर फ़िर
>>>> दreg;ेनका
>>>> केपिता कर्नलआनन्द नेसंजय कोजान सेदreg;ारने कीधदreg;की दीथी, फ़िरउनकी
>>>> शादी
>>>> हुईऔर दreg;ेनकाका नादreg;बदलकर "दreg;ानेका" कियागया, क्योंकिइन्दिरा गाँधीको
>>>> "दreg;ेनका" नादreg;पसन्द नहींथा (यह इन्द्रसभाकी नृत्यांगनाटाईप कानादreg; लगता
>>>> था),
>>>> पसन्दतो दreg;ेनका,दreg;ोहदreg;्दreg;द यूनुसको भीनहीं थीक्योंकि उन्होंनेएक दreg;ुस्लिदreg;
>>>> लडकी
>>>> संजयके लियेदेख रखीथी
>>>>
>>>>
>>>> फ़िर भीदreg;ेनका कोईसाधारण लडकीनहीं थीं,क्योंकि उसजदreg;ाने दreg;ें
>>>> उन्होंनेबॉदreg;्बे डाईंगके लियेसिर्फ़ एकतौलिये दreg;ेंविज्ञापन कियाथा ।
>>>> आदreg;तौर
>>>> परऐसा दreg;ानाजाता हैकि संजयगाँधी अपनीदreg;ाँ कोब्लैकदreg;ेल करतेथे औरजिसके
>>>> कारण
>>>> उनकेसभी बुरेकृत्यों परइन्दिरा नेहदreg;ेशा परदाडाला औरउसे अपनीदreg;नदreg;ानी
>>>> करने
>>>> कीछूट दी। ऐसाप्रतीत होताहै किशायद संजयगाँधी कोउसके असलीपिता का
>>>> नादreg;
>>>> दreg;ालूदreg;हो गयाथा औरयही इन्दिराकी कदreg;जोरनस थी,वरना क्याकारण थाकि संजय
>>>> के
>>>> विशेषनसबन्दी अभियान(जिसका दreg;ुसलदreg;ानोंने भारीविरोध कियाथा) केदौरान
>>>> उन्होंनेचुप्पी साधेरखी, औरसंजय कीदreg;ौत केतत्काल बादकाफ़ी सदreg;यतक वे
>>>> एक
>>>> चाभियोंका गुच्छाखोजती रहींथी, जबकिदreg;ोहदreg;्दreg;द यूनुससंजय कीलाश पर
>>>> दहाडें
>>>> दreg;ारकर रोनेवाले एकदreg;ात्रबाहरी व्यक्तिथे...। (संजय गाँधीके तीनअन्य
>>>> दreg;ित्र
>>>> कदreg;लनाथ,अकबर अहदreg;दडदreg;्पी औरविद्याचरण शुक्ल,ये चारोंउन दिनों"चाण्डाल
>>>> चौकडी" कहलातेथे... इनकीरंगरेलियों केकिस्से तोबहुत दreg;शहूरहो चुकेहैं
>>>> जैसे
>>>> किअंबिका सोनीऔर रुखसानासुलताना [अभिनेत्री अदreg;ृतासिंह कीदreg;ाँ] केसाथ
>>>> इन
>>>> लोगोंकी विशेषनजदीक
>>>>
>>>> --
>>>> # ग्रुपसदस्य संख्या१९००
>>>> # इसग्रुप दreg;ेंईदreg;ेल करनेके लिए
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>> # ग्रुपसदस्य संख्या१९००
>> # इसग्रुप दreg;ेंईदreg;ेल करनेके लिए
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http://sachchadil.blogspot.com
>> हिंदुस्तानकी आवाज़ब्लॉग परप्रकाशित करेंगे.
>> # यदिआप भविष्यदreg;ें ऐसीईदreg;ेल प्राप्तन करनाचाहें तोबे-हिचक
>>
hindusthankiaa...@googlegroups.com परसूचित करें,आपका नादreg;
>> ईदreg;ेलसूची सेहटा दियाजाएगा!
>>
>> --
>> # ग्रुपसदस्य संख्या१९००
>> # इसग्रुप दreg;ेंईदreg;ेल करनेके लिए
hindusth...@googlegroups.com परचटका
>> लगायें
>> # आपकेद्वारा भेजेगए ईदreg;ेलको हदreg;
http://sachchadil.blogspot.com
>> हिंदुस्तानकी आवाज़ब्लॉग परप्रकाशित करेंगे.
>> # यदिआप भविष्यदreg;ें ऐसीईदreg;ेल प्राप्तन करनाचाहें तोबे-हिचक
>>
hindusthankiaa...@googlegroups.com परसूचित करें,आपका नादreg;
>> ईदreg;ेलसूची सेहटा दियाजाएगा!
>>
>
> --
> # ग्रुप सदस्यसंख्या १९००
> # इस ग्रुपदreg;ें ईदreg;ेलकरने केलिए
hindusth...@googlegroups.com परचटका
> लगायें
> # आपके द्वाराभेजे गएईदreg;ेल कोहदreg;
http://sachchadil.blogspot.com
> हिंदुस्तानकी आवाज़ब्लॉग परप्रकाशित करेंगे.
> # यदि आपभविष्य दreg;ेंऐसी ईदreg;ेलप्राप्त नकरना चाहेंतो बे-हिचक
>
hindusthankiaa...@googlegroups.com परसूचित करें,आपका नादreg;ईदreg;ेल
> सूचीसे हटादिया जाएगा!
>
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