३८८१. मैं कैसे भुलाऊँ कि तुम्हें प्यार किया था—१६-४-२०१२
मैं कैसे भुलाऊँ कि तुम्हें प्यार किया था
तुमने भी निभाने का इकरार किया था
इस राह में क्योंकर तुम्हें इतनी दिखी मुश्किल
मैंने तो हमेशा ही एतबार किया था
राहें पुकारतीं रहीं तुम ही न सुन सके
मैंने तो चलने से नहीं इंकार किया था
दिल है कि मानता नहीं गो लाख मनाया
कहता है क्योंकर प्यार का इसरार किया था
वाज़िब है इसका भी गिला, ये सच है ख़लिश कि
इस प्यार ने ही दिल मेरा बीमार किया था.
इसरार = आग्रह, जिद, हठ
महेश चन्द्र गुप्त ’ख़लिश’
१४ अप्रेल २०१२