३५८०. मँहगाई में किल्लत भारी— १-२-२०१२
मँहगाई में किल्लत भारी
न सब्जी दाल औ’ तरकारी
रूखी रोटी मिल जावै तो
मनवा होवै बहुत सुखारी
बच्चे रोज़ खिलौने माँगैं
चुप है, क्या करिहै महतारी
घर में नहीं मिठाई आवै
न मनिहै त्यौहार दिवारी
जनता ख़लिश मनावै फाके
नेता माल छकै सरकारी.
दिवारी = दीपावली
महेश चन्द्र गुप्त ’ख़लिश’
१४ अक्तूबर २०११