[मन पाए विश्राम जहाँ] ऐसा भी होता है

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Anita

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Jan 6, 2012, 12:21:43 AM1/6/12
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देखते ही देखते उम्र सारी ढल गयी
डोर जिंदगी की यूँ हाथ से फिसल गयी

कुछ कहाँ हो सका आह बस निकल गयी
क्रांति की हर योजना बार-बार टल गयी

हर किसी मोड़ पर कमी कोई खल गयी
दर्द आग बन उठा श्वास हर पिघल गयी

जो दिखा छली बली चाल जिसकी चल गयी
भ्रमित हो गया जगत दाल उसकी गल गयी

मर के भी वह न मरा मौत भी विफल गयी
रूह जिन्दा रहे यह बात सच निकल गयी  


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Anita द्वारा मन पाए विश्राम जहाँ के लिए 1/06/2012 10:51:00 AM को पोस्ट किया गया
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