संस्कृत २००३ – देवनागरी लिपि (हिन्दी, संस्कृत आदि) हेतु श्रेष्ठ यूनिकोड देवनागरी फॉण्ट

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दिwakaर Maणि

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Feb 14, 2011, 11:55:52 PM2/14/11
to गिरीश सर, Dr. H R Mishra, ha, अम्बा कुलकर्णी मैम

‘संस्कृत २००३’ हिन्दी, संस्कृत आदि देवनागरी लिपि वाली भाषाओं हेतु एक सुन्दर एवं श्रेष्ठ यूनिकोड फॉण्ट है। यह देवनागरी को संयुक्ताक्षरों सहित शुद्ध पारम्परिक रुप में दर्शाता है जिस कारण यह हिन्दी/संस्कृत टैक्स्ट के सुन्दर, शुद्ध एवं पारम्परिक प्रदर्शन तथा मुद्रण हेतु विशेष उपयोगी है।

देवनागरी के पारम्परिक रुप में शुद्ध प्रदर्शन हेतु इसमें अतिरिक्त वर्ण-खण्ड (ग्लिफ्स) जोड़े गये हैं। यह पहला देवनागरी फॉण्ट माना जाता है जिसमें वैदिक तथा क्लासिक संस्कृत के सभी सत्यापित संयुक्ताक्षर जोड़े गये हैं। इसके अतिरिक्त इसमें हिन्दी तथा मराठी में प्रयुक्त होने वाले संयुक्ताक्षर भी जोड़े गये हैं। इस फॉण्ट में देवनागरी के अतिरिक्त रोमन लिपि के वर्ण-खण्ड भी सम्मिलित हैं जिस कारण यह द्विभाषी पाठ (हिन्दी-अंग्रेजी) के मुद्रण हेतु भी उपयोगी है।

विण्डोज़ के डिफॉल्ट फॉण्ट मंगल में एक तो कई संयुक्ताक्षर सही रुप से प्रकट नहीं होते (जैसे गङ्गा, शृंखला आदि में) दूसरे इसमें वर्णों की बनावट बहुत ही सामान्य सी है। मंगल कम्प्यूटर के डिफॉल्ट फॉण्ट के रुप में तो सही है क्योंकि यह छोटे आकार में भी पठनीय होता है लेकिन ग्राफिक्स तथा छपाई (मुद्रण) आदि के कामों हेतु यह उपयुक्त नहीं, बड़े आकार में तो यह और असुन्दर दिखता है। देवनागरी के सही प्रदर्शन, ग्राफिक्स तथा छपाई के कार्यों हेतु संस्कृत २००३बेहतरीन फॉण्ट है। इसमें एकमात्र कमी यह है कि इसका केवल रेगुलर संस्करण है, बोल्ड संस्करण नहीं। टैक्स्ट बोल्ड करने पर वर्णों के डिजाइन की शार्पनेस कम हो जाती है, फॉण्ट का बोल्ड संस्करण अलग से बनाया जाना चाहिये।

नीचे दिये चित्र से मंगल तथा संस्कृत २००३ में संयुक्ताक्षरों के सही प्रदर्शन का अन्तर स्पष्ट होता है।

Mangal_vs_Sanskrit_2003_font_1

संस्कृत २००३ सभी संयुक्ताक्षरों को सही रुप से दिखाता है जिससे वे सही और सुन्दर रुप से प्रदर्शित होते हैं। मंगल आदि फॉण्टों द्वारा  ‘शृंखला’ को सही रुप से प्रदर्शित न करना भी इसे ‘श्रृंखला’ लिखे जाने वाली प्रचलित गलती का एक कारण है। संस्कृत २००३ में अन्य यूनिकोड फॉण्टों की अपेक्षा संयुक्षाकरों हेतु सर्वाधिक वर्ण-खण्ड शामिल हैं।

नीचे दिये चित्र से मंगल तथा संस्कृत २००३ में पाठ की सुन्दरता का अन्तर स्पष्ट होता है।

Mangal_vs_Sanskrit_2003_font_2 

यह ओंकारानन्द आश्रम के स्वामी सत्चिदानन्द द्वारा विकसित किया गया है। यह फॉण्ट मूल रुप से आइट्राँसलेटर २००३ नामक प्रोग्राम के लिये बनाया गया था परन्तु इसको स्वतन्त्र रुप से भी प्रयोग किया जा सकता है। इसके प्रयोग हेतु विण्डोज़ २००० या विण्डोज़ ऍक्सपी की आवश्यकता है, साथ ही इनमें इण्डिक समर्थन सक्षम किया होना चाहिये।

देखें – विण्डोज ऍक्सपी में इण्डिक सपोर्ट सक्षम करना

इसका नवीनतम संस्करण १.१ है जो कि १८ सितम्बर २००५ को जारी किया गया जिसे निम्निलिखित कड़ियों से डाउनलोड किया जा सकता है। स्वामी सत्चिदानन्द जी तथा ओंकारानन्द आश्रम को इस बेहतरीन फॉण्ट के लिये धन्यवाद। वैसे जिज्ञासा होती है कि क्या स्वामी जी ने स्वयं इसे बनाया है? इस कार्य के लिये ग्राफिक्स की गहरी जानकारी चाहिये। यदि उन्होंने स्वयं ही इसे बनाया है तो वे विलक्षण प्रतिभा के धनी हैं जो आध्यात्मिक व्यक्ति होते हुये भी तकनीक के इतने जानकार हैं।

» डाउनलोड करें 

» वैकल्पिक डाउनलोड कड़ी

Sanskrit 2003 – Best Devanagari Unicode font for Hindi and Sanskrit


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शुभाकांक्षी,
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दि वा क र म णि [D I W A K A R M A N I]
भाषावैज्ञानिक <Linguist-PE>
अनुप्रयुक्त कृत्रिम प्रज्ञान समूह <AAIG>,
प्रगत संगणन विकास केन्द्र, पुणे <C-DAC, Pune>.

दूरभाष - 020-25503318
--------------------------------------------------------------------


Hariram

unread,
Feb 15, 2011, 9:50:51 AM2/15/11
to hindian...@googlegroups.com, diwak...@gmail.com
प्रिय दिवाकर मणि जी,

संस्कृत 2003 फोंट सुन्दर तो दिखता है। संयुक्ताक्षर भी ज्यादा हैं।
किन्तु इसमें हजारों विद्वानों के कई वर्षों तक अनुसंधान के बाद देवनागरी
लिपि के कुछ भ्रान्तिमलक वर्णों की आकृति में किए गए तकनीकी सुधार को
शामिल नहीं किया गया है।

जैसे कि 'ल' आधनिक देवनागरी में 'कणाकार' बना लिया गया, जो ळ से स्पष्टतः
अलग होता है। आधा ल लिखने के लिए खड़ी पाई को हटाकर प्रयोग किया जाता है।
किन्तु संस्कृत2003 में पुरानी आकृति का ल है, जो ल और ळ के बीच भ्रम
पैदा करता है।

दूसरा 'ख' वर्ण की आकृति को आधुनिक देवनागरी में 'रव' से स्पष्ट अलग
दिखाने के लिए नीचे की रेखा को खड़ी पाई से मिलाया गया है। लेकिन
संस्कृति-2003 फोंट में 'ख' और 'रव' के बीच भ्रम पैदा होता है।

कृपया इस ईमेल को ओंकारानन्द आश्रम के स्वामी जी को फॉरवार्ड करें, ताकि
वे इस फोंट में आवश्यक संशोधन करें।

सादर।

हरिराम

On 2/15/11, दिwakaर Maणि <diwak...@gmail.com> wrote:
> ‘संस्कृत २००३’ हिन्दी, संस्कृत आदि देवनागरी लिपि वाली भाषाओं हेतु एक सुन्दर
> एवं श्रेष्ठ यूनिकोड फॉण्ट है। यह देवनागरी को संयुक्ताक्षरों सहित शुद्ध
> पारम्परिक रुप में दर्शाता है जिस कारण यह हिन्दी/संस्कृत टैक्स्ट के सुन्दर,
> शुद्ध एवं पारम्परिक प्रदर्शन तथा मुद्रण हेतु विशेष उपयोगी है।
>
> देवनागरी के पारम्परिक रुप में शुद्ध प्रदर्शन हेतु इसमें अतिरिक्त वर्ण-खण्ड
> (ग्लिफ्स) जोड़े गये हैं। यह पहला देवनागरी फॉण्ट माना जाता है जिसमें वैदिक
> तथा क्लासिक संस्कृत के सभी सत्यापित संयुक्ताक्षर जोड़े गये हैं। इसके
> अतिरिक्त इसमें हिन्दी तथा मराठी में प्रयुक्त होने वाले संयुक्ताक्षर भी जोड़े
> गये हैं। इस फॉण्ट में देवनागरी के अतिरिक्त रोमन लिपि के वर्ण-खण्ड भी
> सम्मिलित हैं जिस कारण यह द्विभाषी पाठ (हिन्दी-अंग्रेजी) के मुद्रण हेतु भी
> उपयोगी है।
>
> विण्डोज़ के डिफॉल्ट

> फॉण्ट<http://epandit.shrish.in/tag/%E0%A4%AB%E0%A5%89%E0%A4%A3%E0%A5%8D%E0%A4%9F>


> मंगल
> में एक तो कई संयुक्ताक्षर सही रुप से प्रकट नहीं होते (जैसे गङ्गा, शृंखला आदि
> में) दूसरे इसमें वर्णों की बनावट बहुत ही सामान्य सी है। मंगल कम्प्यूटर के
> डिफॉल्ट फॉण्ट के रुप में तो सही है क्योंकि यह छोटे आकार में भी पठनीय होता है
> लेकिन ग्राफिक्स तथा छपाई (मुद्रण) आदि के कामों हेतु यह उपयुक्त नहीं, बड़े
> आकार में तो यह और असुन्दर दिखता है। देवनागरी के सही प्रदर्शन, ग्राफिक्स तथा

> छपाई के कार्यों हेतु *संस्कृत २००३*बेहतरीन फॉण्ट है। इसमें एकमात्र कमी यह है


> कि इसका केवल रेगुलर संस्करण है, बोल्ड संस्करण नहीं। टैक्स्ट बोल्ड करने पर
> वर्णों के डिजाइन की शार्पनेस कम हो जाती है, फॉण्ट का बोल्ड संस्करण अलग से
> बनाया जाना चाहिये।
>
> नीचे दिये चित्र से मंगल तथा संस्कृत २००३ में संयुक्ताक्षरों के सही प्रदर्शन
> का अन्तर स्पष्ट होता है।
>
> [image:

> Mangal_vs_Sanskrit_2003_font_1]<http://epandit.shrish.in/wp-content/uploads/2011/02/Mangal_vs_Sanskrit_2003_font_1.gif>
>
> *संस्कृत २००३* सभी संयुक्ताक्षरों को सही रुप से दिखाता है जिससे वे सही और
> सुन्दर रुप से प्रदर्शित होते हैं। *मंगल* आदि फॉण्टों द्वारा ‘शृंखला’ को सही


> रुप से प्रदर्शित न करना भी इसे ‘श्रृंखला’ लिखे जाने वाली प्रचलित गलती का एक

> कारण है। *संस्कृत २००३* में अन्य यूनिकोड फॉण्टों की अपेक्षा संयुक्षाकरों


> हेतु सर्वाधिक वर्ण-खण्ड शामिल हैं।
>

> नीचे दिये चित्र से *मंगल* तथा *संस्कृत २००३* में पाठ की सुन्दरता का अन्तर


> स्पष्ट होता है।
>
> [image:

> Mangal_vs_Sanskrit_2003_font_2]<http://epandit.shrish.in/wp-content/uploads/2011/02/Mangal_vs_Sanskrit_2003_font_2.gif>
>
>
> यह ओंकारानन्द आश्रम <http://omkarananda-ashram.org/> के *स्वामी
> सत्चिदानन्द* द्वारा
> विकसित किया गया है। यह फॉण्ट मूल रुप से *आइट्राँसलेटर २००३* नामक प्रोग्राम


> के लिये बनाया गया था परन्तु इसको स्वतन्त्र रुप से भी प्रयोग किया जा सकता है।
> इसके प्रयोग हेतु विण्डोज़ २००० या विण्डोज़ ऍक्सपी की आवश्यकता है, साथ ही
> इनमें इण्डिक समर्थन सक्षम किया होना चाहिये।
>
> देखें – विण्डोज ऍक्सपी में इण्डिक सपोर्ट सक्षम

> करना<http://epandit.shrish.in/205/enable-indic-support-in-windows-xp/>


>
> इसका नवीनतम संस्करण १.१ है जो कि १८ सितम्बर २००५ को जारी किया गया जिसे
> निम्निलिखित कड़ियों से डाउनलोड किया जा सकता है। स्वामी सत्चिदानन्द जी तथा
> ओंकारानन्द आश्रम को इस बेहतरीन फॉण्ट के लिये धन्यवाद। वैसे जिज्ञासा होती है
> कि क्या स्वामी जी ने स्वयं इसे बनाया है? इस कार्य के लिये ग्राफिक्स की गहरी
> जानकारी चाहिये। यदि उन्होंने स्वयं ही इसे बनाया है तो वे विलक्षण प्रतिभा के
> धनी हैं जो आध्यात्मिक व्यक्ति होते हुये भी तकनीक के इतने जानकार हैं।
>

> » डाउनलोड करें <http://www.omkarananda-ashram.org/Sanskrit/sanskrit2003.zip>
>
>
> » वैकल्पिक डाउनलोड कड़ी <http://www.sanskritweb.net/itrans/sans2003.zip>
>
> *Sanskrit 2003 – Best Devanagari Unicode font for Hindi and Sanskrit*


> [स्रोत:-
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> ]
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> अनुप्रयुक्त कृत्रिम प्रज्ञान समूह <AAIG>,
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हरिराम
प्रगत भारत <http://hariraama.blogspot.com>
(वे पर्यावरण-प्रेमी चुल्लू भर पानी में डूब मरें, जो कूड़ा-करकट जलाकर
बिजली बनाकर कूड़े का सदुपयोग करनेवाले संयंत्रों का तो विरोध करते हैं,
किन्तु सड़कों के किनारे, बाजारों-बस्तियों के बीच यत्र-तत्र-सर्वत्र ढेर
लगाकर कूड़ा करकट जलाकर भारी प्रदूषण एवं बीमारियाँ फैलानेवाले लोगों तथा
नगरपालिका के कर्मचारियों का विरोध नहीं करते।)

लोचन मखीजा / LOCHAN MAKHIJA

unread,
Feb 15, 2011, 11:06:31 AM2/15/11
to हिंदी अनुवादक (Hindi Translators)
नमस्‍कार,
माननीय श्री हरिराम जी के ईमेल के क्रम में तथा ख  व्‍यंजनों के अलावा, निम्‍नलिखित तीन व्‍यंजनों में भी संशोधन किया जा सकता है -
 (1)      -  मानक देवनागरी लिपि में इसे    लिखा जाता है, ताकि में भ्रम न हो।
 (2)         -  मानक देवनागरी लिपि में इसे    लिखा जाता है, ताकि   भ  व  में भ्रम न हो।
(3)  श   -  मानक देवनागरी लिपि में इसे    लिखा जाता है
*संस्कृत २००३*  फ़ॉण्‍ट में शृं लिखे जा सकने की विशेषता है, जो कि मंगल   में नहीं लिखा जा सकता। यदि उक्‍त पांच व्‍यंजनों को भी मानक देवनागरी लिपि के अनुसार संशोधित कर लिया जाए तो यूनिकोड का  *संस्कृत २००३*  फ़ॉण्‍ट भी अधिक उपयोगी सिद्ध होगा।
सादर, 
- लोचन मखीजा

१५ फरवरी २०११ ८:२० अपराह्न को, Hariram <hari...@gmail.com> ने लिखा:



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abhishek singhal

unread,
Feb 16, 2011, 2:59:51 AM2/16/11
to hindian...@googlegroups.com

मंगल में शृं लिखा तो जा रहा है,,।



2011/2/15 लोचन मखीजा / LOCHAN MAKHIJA <lochan....@gmail.com>



--
abhishek singhal
jaipur
www.abhishek-singhal.blogspot.com

Vinod Sharma

unread,
Feb 16, 2011, 7:54:46 AM2/16/11
to hindian...@googlegroups.com
इस आलेख में लिखा गया है कि संस्कृत2003 विंडोज 2000 और एक्सपी में कार्य करता है लेकिन अब तो लगभग सभी के पास विस्टा या विंडोज 7 या विंडोज सीई हैं. ऐसे में क्या यह फॉंट इन उन्नत संस्करणों में भी कार्य करेगा? 

2011/2/15 दिwakaर Maणि <diwak...@gmail.com>

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ePandit | ई-पण्डित

unread,
Feb 16, 2011, 12:57:21 PM2/16/11
to hindian...@googlegroups.com
जी करेगा, हाँ ९८ और ME जैसे पुराने संस्करणों में नहीं करेगा।

१६ फरवरी २०११ ६:२४ अपराह्न को, Vinod Sharma <vinodj...@gmail.com> ने लिखा:



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Shrish Benjwal Sharma (श्रीश बेंजवाल शर्मा)
~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~
If u can't beat them, join them.

ePandit: http://epandit.shrish.in/

Vinod Sharma

unread,
Feb 16, 2011, 2:09:40 PM2/16/11
to hindian...@googlegroups.com
जी धन्यवाद. मैंने डाउनलोड करके विंडोज-7 में चला कर देख लिया है.
यूनीकोड में तीसरे फोंट के रूप में एक और विकल्प मिला है.


 
2011/2/16 ePandit | ई-पण्डित <sharma...@gmail.com>
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