चंद्रबिंदु का प्रयोग

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Suyash Suprabh

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Nov 10, 2008, 8:20:45 AM11/10/08
to हिंदी अनुवादक (Hindi Translators)
चंद्रबिंदु के प्रयोग को लेकर भ्रम की स्थिति बनी हुई है। कुछ लोग
चंद्रबिंदु के प्रयोग को अनावश्यक मानते हैं। मैं इसके प्रयोग के पक्ष
में हूँ क्योंकि 'हंस' और 'हँस' जैसे शब्दों के अर्थ में अंतर को स्पष्ट
करने के लिए इसका प्रयोग आवश्यक है।

नवभारत टाइम्स के ऑनलाइन संस्करण में चंद्रबिंदु का प्रयोग नहीं दिखता
है। बीबीसी की वेबसाइट पर इसका प्रयोग देखा जा सकता है। चंद्रबिंदु के
प्रयोग पर अनुवादकों, शिक्षकों आदि में भी मतैक्य नहीं है।

इस विषय पर अधिक जानकारी के लिए निम्नलिखित लिंकों पर क्लिक करें:

http://kaulonline.com/chittha/2006/06/chandrabindu-anuswar/

http://www.giitaayan.com/hindispelling.asp (Rule 12)

अगर आप व्यस्त हैं तो केवल एक वाक्य में इतना अवश्य बताएँ कि आप
चंद्रबिंदु के प्रयोग के पक्ष में हैं या नहीं।

इस समूह की सफलता आप की सक्रियता पर निर्भर है।

आपके उत्तरों की प्रतीक्षा में,

सुयश

sandeep .

unread,
Nov 10, 2008, 8:32:10 AM11/10/08
to hindian...@googlegroups.com

बिल्‍कुल, मैं चंद्रबिन्‍दु के पक्ष में हूं

2008/11/10 Suyash Suprabh <translate...@gmail.com>

Anindita Basu

unread,
Nov 10, 2008, 1:56:04 PM11/10/08
to हिंदी अनुवादक (Hindi Translators)
मैं चन्द्रबिन्दु के प्रयोग के पक्ष में हूँ ।

Surekha Dubey

unread,
Nov 10, 2008, 10:29:48 PM11/10/08
to Anindita Basu, हिंदी अनुवादक (Hindi Translators)
मैं इसे प्रयोग करने के पक्ष में नहीं हूँ।
परंतु क्‍लाइंट की मर्जी के मुताबिक मैंने इसका प्रयोग प्रारंभ कर दिया।

मेरा मानना है कि जहाँ गलत प्रयोग की गुंजाइश हो, तो हमेशा इससे परहेज
करना चाहिए। न केवल चंद्र बिंदु के मामले में बल्कि नुक्‍ते (क़, ख़, ग़)
के मामले में भी।

Amitabh Triapthi

unread,
Nov 11, 2008, 12:42:30 PM11/11/08
to Surekha Dubey, Anindita Basu, हिंदी अनुवादक (Hindi Translators)
प्रत्येक लिपि में कुछ न कुछ कमियाँ होती हैं, देवनागरी लिपि सर्वाधिक वैज्ञानिक होते हुये भी कुछ दोषों से मुक्त नहीं है, जिसमें से एक पञ्चमाक्ष्रर के स्थान पर चन्द्रबिन्दु का प्रयोग। इसके विषय में डॉ० हरदेव बाहरी ने अपनी पुस्तक "हिन्दी, उद्‍भव विकास एवं रूप" में इस निमित्त किये गये सुधारों का उल्लेख किया है।सन्‌ १९४७ में उत्तर प्रदेश सरकार ने आचार्य नरन्द्रदेव की अध्यक्षता में लिपि सुधार की एक ठोस योजना बनायी। आचार्य नरन्द्रदेव समिति के बहुत से सुझावों में यह सुझाव भी शामिल था कि अनुस्वार और पंचमाक्षर के स्थान पर शून्य (०) का प्रयोग किया जाय। सन्‌ १९५३ में उत्‍तर प्रदेश सरकार नें अन्य प्रदेशों के सरकारी प्रतिनिधियों और विद्वानों की गोष्ठी में इस सुझाव को स्वीकार कर लिया। इस प्रकार चन्द्रबिन्दु का सुविधाजनक प्रयोग धड़ल्ले से होनें लगा। अतः चंद्रबिंदु का प्रयोग विधिसम्मत है। शेष आपके विवेक एवं रुचि पर निर्भर करता है। मेरे विचार से जहाँ अर्थ में इसके प्रयोग से अस्पष्टता उत्पन्न होती हो, चद्रंबिंदु के स्थान पर संयुक्‍ताक्षर का ही प्रयोग करना चाहिये ।
2008/11/11 Surekha Dubey <dub...@gmail.com>

brkhunte

unread,
Nov 14, 2008, 2:54:39 AM11/14/08
to हिंदी अनुवादक (Hindi Translators)


On Nov 10, 6:20 pm, Suyash Suprabh <translatedbysuy...@gmail.com>
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