Re: Re: [technical-hindi] Re: नुक्ते वाले शब्दों की सही वर्ड लिस्ट

742 views
Skip to first unread message

Vinod Sharma

unread,
Nov 1, 2015, 12:15:23 PM11/1/15
to Madhusudan H Jhaveri, hindian...@googlegroups.com
​मधुसूदन जी, आपकी मेल आ गई है।
कुछ लोग जबरन उर्दू के शब्दों को हिंदी का बता कर हिंदी में नुक्ते की वकालत करते हैं। उनका उर्दू से विशेष प्रेम हो सकता है। किंतु यही प्रेम अन्य भाषाओं से आए शब्दों के लिए भी होना चाहिए। अंग्रेजी से, फारसी से, पुर्तगाली से, पश्तो से अनेक शब्द हिंदी में आए हैं उनको भी सही उच्चारण के साथ लिखा जाना चाहिए। जो लोग उर्दू से प्रेम नहीं रखते वे उनकी नजर में अनपढ़ और गँवार हैं। मेरी चुनौती अभी भी कायम है कि हिंदी वर्णमाला का एक भी अक्षर बताएँ जिसमें नुक्ता लगता है या हिंदी भाषा का एक भी शब्द बताएँ जिसमें नुक्ता लगता है। अब उर्दू के शब्दों को जबरन हिंदी का कहा जाए तो इस कुतर्क का कोई जवाब नहीं है।  ​

2015-11-01 22:38 GMT+05:30 Madhusudan H Jhaveri <mjha...@umassd.edu>:
विनोद जी ---मेरी मैल जा नहीं रही है। क्या आप अग्रेषित कर सकते हैं?

----- Forwarded Message -----
From: Madhusudan H Jhaveri <mjha...@umassd.edu>
To: technic...@googlegroups.com
Sent: Sun, 01 Nov 2015 12:03:49 -0500 (EST)
Subject: Re: [technical-hindi] Re: नुक्ते वाले शब्दों की सही वर्ड लिस्ट


श्री. रावत जी आप का निम्न प्रश्नों पर क्या मत है?

आप के तर्क के अनुसार कौनसा सही मानते हैं?

और आप कौनसे प्रयोग का पुरस्कार करते हैं?
(१) पङ्क  या पंक?

(२) पञ्च या पंच ?

(३) घण्ट या घंट ?

(४) अन्त या अंत ?

(५) कम्प या कंप?

डॉ. मधुसूदन

----- Original Message -----
From: V S Rawat <vsr...@gmail.com>
To: technic...@googlegroups.com
Sent: Sun, 01 Nov 2015 11:44:48 -0500 (EST)
Subject: Re: [technical-hindi] Re: नुक्ते वाले शब्दों की सही वर्ड लिस्ट

आपको दुःख हुआ और अपमानजनक लगा,

लेकिन मेरा तर्क यही रहता है
कि जब मैं किसी को नुक्ते वाले शब्दों का, बिना नुक्ता लगाए प्रयोग करते पाता हूँ
तो मैं सोचता हूँ कि वह कम-पढ़ा-लिखा होगा, उसे पता नहीं होगा कि सही शब्द क्या है।

रावत

On 11/1/2015 9:08 PM, Vinod Sharma wrote:
> व्यंग्य वह भी इतना विस्तृत, धन्यवाद।
> एक अदना से अनुवादक के रूप में लगभग 20 वर्ष हिंदी की सेवा करने के बाद आज अपना गँवारूपन
> और अनपढ़ होना स्वीकार करता हूँ। जब से होश संभाला और हिंदी
> की पढ़ाई शुरू की हर किसी ने यही बताया कि उर्दू भाषा में नुक्ते का प्रयोग होता है।
> हिंदी भाषा की वर्णमाला में कोई भी ऐसा अक्षर नहीं है जिस के लिए नुक्ते का प्रयोग
> किया जा सके।
> अल्पज्ञ हूँ इसलिए उस हिंदी से परिचित नहीं हो सका जिसकी वर्णमाला में किसी अक्षर के
> नीचे नुकता लगता हो। आचार्य किशोरीदास बाजपेयी को हिंदी का पुरोधा
> मानता रहा था जिन्होंने बार-बार कहा था कि शब्द किसी भी भाषा से आए, एक बार
> हिंदी में समावेश होने के बाद वह हिंदी का हो जाता है। उसके साथ वही संस्कार और
> व्यवहार होगा जो हिंदी के अन्य शब्दों के साथ होता है। हो सकता है पुराने जमाने के
> थे आचार्य जी, वे भी शायद अनपढ़ गँवार रहे होंगे क्योंकि अपने जीवन में उन्हें भी
> बहुत अधिक आलोचलाएँ झेलनी पड़ी थीं।
> अब तो चला-चली की वेला है, आखिरी वक्त में क्या खाक मुसलमां होंगे। अब तक गँवार रह गए
> तो इसी तरह बचे कुचे दिन भी गुजार देंगे।
>
> 2015-10-31 8:19 GMT+05:30 V S Rawat <vsr...@gmail.com
> <mailto:vsr...@gmail.com>>:
>
> जी हाँ, सही कहा कि "कई जगह मूल भाषायी उच्चारण बताने के लिये नुक्ता आवश्यक है।"
>
> यह वास्तव में पढ़े-लिखे टाइप और अनपढ़-ग्रामीण टाइप का अन्तर हो जाता है।
>
> अनपढ़-ग्रामीण व्यक्ति किसी भी वर्ण का कैसे भी उच्चारण कर लेगा, उसका उद्देश्य उसके
> विचार को अभिव्यक्त करना भर होता है,
> और देखा जाए तो अनपढ़-ग्रामीण या शब्द के शुद्ध रूप या वाक्य की संरचना की भी
> परवाह नहीं करते हैं, वो बस कोई भी स्लैंग या देशज शब्द या अंग्रेज़ी शब्दों का भी
> गाँव-करण (जैसे influence का इनफुलैन्स) करके उच्चारण कर देते हैं, या वर्ब (verb)
> को अपने हिसाब से तोड़ मरोड़ लेते हैं (जैसे "होना है" की जगह "होइबै करी"), या
> वाक्य को किसी भी तरह से बना लेते हैं।
>
> उनकी बात व्यक्त तो हो जाती है, लेकिन सुनते ही हमें पता चल जाता है कि वो
> अनपढ़-ग्रामीण व्यक्ति है।
>
> जबकि पढ़ा-लिखा शुद्ध रूपों का प्रयोग करता है और नियमों का पालन करता है।
>
> इसलिए अगर हम जानते-बूझते हुए भी, जबरन नुक़्ता हटा कर ग़लत प्रयोग करते हैं, तो
> सुनने वाले को यही लगेगा कि यह अनपढ़-ग्रामीण व्यक्ति है।
>
> यही मुख्य वजह है जो मुझे नुक़्ता युक्त यथासम्भव सही उच्चारण को अपनाने के लिए प्रेरित
> करती है, भले ही यह अधिक जटिल हो।
>
> जटिल है इसीलिए तो इसका इस्तेमाल करने के लिए अधिक प्रयास और बुद्धि लगती है।
> वरना तो मूक-बधिर लोग तो बिना वाक-भाषा के ही साइन लैंन्वेज से भी अपना काम
> चला लेते हैं।
>
> हिन्दी और इसके स्थानीय वर्जनों जैसे भोजपुरी या निमाड़ी में जो अन्तर है,
> वही अन्तर नुक़्ता वाले शुद्ध उच्चारण और बिना नुक़्ते वाले अशुद्ध या लोकलाइज़्ड उच्चारण
> में हे।
>
> नुक़्ते का सही इस्तेमाल न करना, हिन्दी को मूल भाषा का कोई स्थानीय या गँवारू
> रूपान्तरण बना देता है।
>
> अगर आप जानते हैं कि नुक़्ता क्या है, कहाँ लगता है, तो आप उस नुक़्ते वाले वर्ण और शब्द
> का सही नुक़्ता-युक्त उच्चारण क्यों नहीं करते हैं?
> आपको समस्या क्या है आख़िर?
> क्या आपको पता ही नहीं है कि नुक़्ता क्या होते है?
> क्या आपसे इसका उच्चारण करते नहीं बनता?
> क्या आप भ्रमित हो जाते हैं?
> यदि नहीं, तो फिर क्या कारण है?
>
> क्या यह वजह हो सकती है कि यह अरबी से आया, जो मुस्लिमों आदि की भाषा है जिनसे
> आपका धार्मिक विरोध है इसलिए आप उनकी भाषा भी नहीं अपनाना चाहते हैं?
>
> तो फिर ध्यान दीजिए कि अरबी का हिन्दीकरण करने के लिए ही उर्दू भाषा को गढ़ा
> गया था। कोई छोटा-मोटा बदलाव नहीं, इस उर्दू भाषा का मूल से आरम्भ ही हिन्दी के
> वर्णों को अरबी भाषा से मिलान करने के लिए किया गया था।
>
> मतलब कि अरबी वालों ने तो एक पूरी भाषा बना डाली कि भारत की भाषा और उनकी
> अरबी भाषा के बीच पुल बने।
>
> और भाई लोग एक रेती के दाने भर नुक़्ते का विरोध करके अपना जीवन सफल मान रहे हैं।
>
> जब हिन्दी का कोई शब्द (जैसे गुरु, योग, बन्द आदि) को अंग्रेज़ी में शामिल किया जाता
> है, तब हम हिन्दी वालों को ख़ुशी होती है।
> लेकिन हम किसी और भाषा से कुछ भी लेने को तैयार नहीं हैं।
>
> धन्यवाद।
>
> रावत।
>
>
> On 10/31/2015 7:17 AM, ePandit | ई-पण्डित wrote:
>
> नुक्ता कई बार अपरिहार्य भी हो सकता है। उदाहरण के लिये अमेरिकन अंग्रेजी के
> जी (G) और
> ज़ी (Z) को देवनागरी में लिखने पर बिना नुक्ते उनका भेद न हो सकेगा।
>
> मेरे विचार से सामान्य हिन्दी में व्यक्ति चाहे जैसा मर्जी लिखे लेकिन किसी शब्दकोश,
> व्याकरण या भाषा-विज्ञान की पुस्तक में नुक्ते का प्रयोग अवश्य होना चाहिये।
> हिन्दी भाषा
> की विशेषता इसकी ध्वन्यात्मकता है, इसलिये कई जगह मूल भाषायी उच्चारण बताने
> के लिये
> नुक्ता आवश्यक है। कई मामलों में नुक्ता लगाना भी उचित है और न लगाना भी।
> उदाहरण के
> लिये *ख़ान* का उच्चारण हिन्दी पट्टी में *खान* ही प्रचलित है, इसलिये सामान्य
> तौर पर
> इसे बिना नुक्ते के ही लिखना भी देशज उच्चारण अनुसार सही माना जायगा।
> हालाँकि किसी
> पाठ्यपुस्तक आदि में ख़ान को खान (mine) से अलग बताने के लिये नुक्ता जरूरी होगा।
>
> जिन अंग्रेजी/अरबी/उर्दू मूल के शब्दों का हिन्दी में उच्चारण बिना नुक्ते वाला देसी
> हो गया
> है, उन्हें बिना नुक्ते भी लिखना सही है लेकिन जिनका मूल उच्चारण ही कायम है,
> वहाँ नुक्ता
> अवश्य लगाना चाहिये। साथ ही किसी पाठ्यपुस्तक में छात्रों को मूल शुद्ध उच्चारण
> से परिचित
> कराने हेतु भी नुक्ता अवश्य लगाना चाहिये।
>
> 29 अक्तूबर 2015 को 11:43 am को, Vinod Sharma
> <vinodj...@gmail.com <mailto:vinodj...@gmail.com>
> <mailto:vinodj...@gmail.com
> <mailto:vinodj...@gmail.com>>> ने लिखा:
>
> बंधुओ,
> मेरा विनम्र निवेदन है कि हिंदी भाषा में नुक्ते का कोई प्रावधान नहीं होता है।
> हमारी भाषा की परंपरा विदेशी शब्दों को आत्मसात करने की है। अर्थात
> हमारी भाषा
> में आने पर वह हिंदी का ही बन जाता है। उसके साथ हिंदी के अन्य शब्दों जैसा ही
> व्यवहार किया जाता है। अतः किसी आगत शब्द पर विदेशी भाषा के नियमों
> को लागू
> करना व्यावहारिक भी नहीं है और उचित भी नहीं है। कुछ पुराने लेखक जिन्हें
> उर्दू का भी
> ज्ञान था, इन नुक्ता युक्त अक्षरों का उपयोग करते रहे हैं। भावी पीढ़ियों के
> लिए हम
> क्यों अनावश्यक झंझट देकर जाना चाहते हैं।
> नुक्ता लगे हुए अक्षर का उच्चारण भिन्न होता है। हिंदी भाषा से लगभग 50
> साल से जुडे
> होने के बावजूद मैं क और क़, ख और ख़, ग और ग़, ज और ज़ के उच्चारणों में
> अंतर नहीं सीख
> पाया हूँ। हाँ केवल फ और फ़ के उच्चारण में भेद पता है क्योंकि यह भेद अंग्रेजी
> के एफ और
> हिंदी के फ में मौजूद है।
> मेरी राय में नुक्ते पर ऊर्जा का व्यय निरर्थक है।
>
> 2015-10-29 9:52 GMT+05:30 V S Rawat <vsr...@gmail.com
> <mailto:vsr...@gmail.com>
> <mailto:vsr...@gmail.com <mailto:vsr...@gmail.com>>>:
>
>
> जी केन जी,
>
> इस पेज पर उर्दू हिन्दी शब्दकोश जैसा दिया हुआ है।
> उसमें कई नुक़्ते वाले शब्द हैं जिन्हें निकाल कर इस्तेमाल किया जा सकता है।
>
> परन्तु देखा तो पाया कि उनकी उर्दू में ही स्पेलिंग की कई ग़लतियाँ हैं,
> इसलिए इस
> आधार पर कोई अनुवादक बनाना, ग़लत ली गई स्पेलिंग की वजह से सही
> को ग़लत कर
> बैठेगा।
>
> धन्यवाद।
> रावत
>
> On 10/28/2015 9:36 PM, ken wrote:
>
> http://urdu2hindi.blogspot.com/2005/01/blog-post.html
>
>
>
> On Wednesday, October 28, 2015 at 1:22:09 AM UTC-5,
> Rawat wrote:
>
> क्या किसी के पास या किसी साइट पर ऐसी शब्द सूचि उपलब्ध है
> जिसमें नुक्ते वाले शब्दों का
> 1. बिना नुक्ते का रूप
> 2. सही रूप (नुक्ते वाली स्पेलिंग)
> दिया गया है?
>
> इसी तरह से, गूगल ट्रांसलेट जो चन्द्रबिन्दु की जगह पर हर
> जगह बिन्दु
> लगा दिया करता है
> तो क्या ऐसे शब्दों की सूचि बनाई गई है जिसमें बिन्दू वाली ग़लत
> स्पेलिंग, और साथ में
> चनद्रबिन्दु वाली सही स्पेलिंग दी गई हो?
>
> धन्यवाद।
> रावत
>
> --
> आपको यह संदश इसलिए मिला है क्योंकि आपने Google समूह के
> "Scientific and
> Technical Hindi (वैज्ञानिक तथा तकनीकी हिन्दी)" समूह की
> सदस्यता ली है.
> इस समूह की सदस्यता समाप्त करने और इससे ईमेल प्राप्त करना बंद
> करने के लिए,
> technical-hin...@googlegroups.com
> <mailto:technical-hindi%2Bunsu...@googlegroups.com>
>
> <mailto:technical-hindi%2Bunsu...@googlegroups.com
> <mailto:technical-hindi%252Buns...@googlegroups.com>>
>
> <mailto:technical-hin...@googlegroups.com
> <mailto:technical-hindi%2Bunsu...@googlegroups.com>
>
> <mailto:technical-hindi%2Bunsu...@googlegroups.com
> <mailto:technical-hindi%252Buns...@googlegroups.com>>> को
> ईमेल भेजें.
> अधिक विकल्पों के लिए,
> https://groups.google.com/d/optout में जाएं.
>
>
> --
> आपको यह संदेश इसलिए प्राप्त हुआ क्योंकि आपने Google समूह
> "Scientific and
> Technical Hindi (वैज्ञानिक तथा तकनीकी हिन्दी)" समूह की
> सदस्यता ली है.
> इस समूह की सदस्यता समाप्त करने और इससे ईमेल प्राप्त करना बंद करने
> के लिए,
> technical-hin...@googlegroups.com
> <mailto:technical-hindi%2Bunsu...@googlegroups.com>
> <mailto:technical-hindi%2Bunsu...@googlegroups.com
> <mailto:technical-hindi%252Buns...@googlegroups.com>> को
> ईमेल भेजें.
> अधिक विकल्‍पों के लिए, https://groups.google.com/d/optout
> पर जाएं.
>
>
> --
> आपको यह संदश इसलिए मिला है क्योंकि आपने Google समूह के "Scientific and
> Technical Hindi (वैज्ञानिक तथा तकनीकी हिन्दी)" समूह की सदस्यता ली है.
> इस समूह की सदस्यता समाप्त करने और इससे ईमेल प्राप्त करना बंद करने के लिए,
> technical-hin...@googlegroups.com
> <mailto:technical-hindi%2Bunsu...@googlegroups.com>
> <mailto:technical-hin...@googlegroups.com
> <mailto:technical-hindi%2Bunsu...@googlegroups.com>> को ईमेल भेजें.
>
> अधिक विकल्पों के लिए, https://groups.google.com/d/optout में जाएं.
>
>
>
>
> --
> *Shrish Benjwal Sharma* *(श्रीश बेंजवाल शर्मा <http://hindi.shrish.in>)*
> ~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~
> *If u can't beat them, join them.*
>
> ePandit.NET <http://ePandit.NET>
>
> --
> आपको यह संदश इसलिए मिला है क्योंकि आपने Google समूह के "Scientific and
> Technical Hindi (वैज्ञानिक तथा तकनीकी हिन्दी)" समूह की सदस्यता ली है.
> इस समूह की सदस्यता समाप्त करने और इससे ईमेल प्राप्त करना बंद करने के लिए,
> technical-hin...@googlegroups.com
> <mailto:technical-hindi%2Bunsu...@googlegroups.com>
> <mailto:technical-hin...@googlegroups.com
> <mailto:technical-hindi%2Bunsu...@googlegroups.com>> को ईमेल भेजें.
> अधिक विकल्पों के लिए, https://groups.google.com/d/optout में जाएं.
>
>
> --
> आपको यह संदेश इसलिए प्राप्त हुआ क्योंकि आपने Google समूह "Scientific and
> Technical Hindi (वैज्ञानिक तथा तकनीकी हिन्दी)" समूह की सदस्यता ली है.
> इस समूह की सदस्यता समाप्त करने और इससे ईमेल प्राप्त करना बंद करने के लिए,
> technical-hin...@googlegroups.com
> <mailto:technical-hindi%2Bunsu...@googlegroups.com> को ईमेल भेजें.
> अधिक विकल्‍पों के लिए, https://groups.google.com/d/optout पर जाएं.
>
>
> --
> आपको यह संदश इसलिए मिला है क्योंकि आपने Google समूह के "Scientific and
> Technical Hindi (वैज्ञानिक तथा तकनीकी हिन्दी)" समूह की सदस्यता ली है.
> इस समूह की सदस्यता समाप्त करने और इससे ईमेल प्राप्त करना बंद करने के लिए,
> technical-hin...@googlegroups.com
> <mailto:technical-hin...@googlegroups.com> को ईमेल भेजें.
> अधिक विकल्पों के लिए, https://groups.google.com/d/optout में जाएं.

--
आपको यह संदेश इसलिए प्राप्त हुआ क्योंकि आपने Google समूह "Scientific and Technical Hindi (वैज्ञानिक तथा तकनीकी हिन्दी)" समूह की सदस्यता ली है.
इस समूह की सदस्यता समाप्त करने और इससे ईमेल प्राप्त करना बंद करने के लिए, technical-hin...@googlegroups.com को ईमेल भेजें.
अधिक विकल्‍पों के लिए, https://groups.google.com/d/optout पर जाएं.



--

आपको यह संदश इसलिए मिला है क्योंकि आपने Google समूह के "Scientific and Technical Hindi (वैज्ञानिक तथा तकनीकी हिन्दी)" समूह की सदस्यता ली है.

इस समूह की सदस्यता समाप्त करने और इससे ईमेल प्राप्त करना बंद करने के लिए, technical-hin...@googlegroups.com को ईमेल भेजें.

अधिक विकल्पों के लिए, https://groups.google.com/d/optout में जाएं.

Yashwant Gehlot

unread,
Nov 2, 2015, 1:20:07 AM11/2/15
to हिंदी अनुवादक (Hindi Translators)
केंद्रीय हिंदी निदेशालय द्वारा प्रकाशित "देवनागरी लिपि तथा हिंदी का मानकीकरण" से हमें अनेक प्रश्नों का उत्तर मिल जाता है। जैसे- पंचम वर्ण के उपयोग के संदर्भ में :-

3.6.1.2 संयुक्त व्यंजन के रूप में जहाँ पंचम वर्ण (पंचमाक्षर) के बाद सवर्गीय शेष चार वर्णों में से कोई वर्ण हो तो एकरूपता और मुद्रण/लेखन की सुविधा के लिए अनुस्वार का ही प्रयोग करना चाहिए। जैसे : - पंकज, गंगा, चंचल, कंजूस, कंठ, ठंडा, संत, संध्या, मंदिर, संपादक, संबंध आदि (पङकज, गंङगा, चंञ्चल, कञ्जूस, कण्ठ, ठण्डा, सन्त, मन्दिर, सन्ध्या, सम्पादक, सम्बन्ध वाले रूप नहीं)।

नुक़्ते के प्रयोग के बारे में :-

3.14.1  उर्दू से आए अरबी-फ़ारसी मूलक वे शब्द जो हिंदी का अंग बन चुके हैं और जिनकी विदेशी ध्वनियों का हिंदी ध्वनियों में रूपांतर हो चुका है, हिंदी रूप में ही स्वीकार किए जा सकते हैं। जैसे- कलम, किला, दाग आदि (क़लम, क़िला, दाग़ नहीं)। पर जहाँ उनका शुद्ध विदेशी रूप में प्रयोग अभीष्ट हो अथवा उच्चारणगत भेद बताना आवश्यक हो, वहाँ उनके हिंदी में प्रचलित रूपों में यथास्थान नुक़्ते लगाए जाएँ

पृष्ठ सं. 14 पर गृहीत / आगत व्यंजन दिए गए हैं:-
2.2.9. गृहीत / आगत व्यंजन- ख़ ज़ फ़

नीचे लिखा है:-
गृहीत या आगत व्यंजन पाँच हैं: क़ ख़ ग़ ज़ फ़। हिंदी वर्णमाला में व्यापक अर्थभेदक तीन व्यंजनों (ख़ ज़ फ़) को ही सम्मिलित किया गया है। 

मुझे विद्यालय में नुक़्तों का प्रयोग नहीं सिखाया गया था। इसलिए जब कभी भ्रम होता है, डिक्शनरी देख लेता हूँ।

सादर,
यशवंत

lalit sati

unread,
Nov 2, 2015, 1:21:32 AM11/2/15
to ha
यशवंत जी से सहमत हूँ।

--
--
इस संदेश पर टिप्पणी करने के लिए 'Reply' या 'उत्तर' पर क्लिक करें।
 
नए विषय पर चर्चा शुरू करने के लिए निम्नलिखित पते पर ई-मेल भेजें :
 
hindian...@googlegroups.com
 
वेब पता : http://groups.google.co.in/group/hindianuvaadak

---
आपको यह संदश इसलिए मिला है क्योंकि आपने Google समूह के "हिंदी अनुवादक (Hindi Translators)" समूह की सदस्यता ली है.
इस समूह की सदस्यता समाप्त करने और इससे ईमेल प्राप्त करना बंद करने के लिए, hindianuvaada...@googlegroups.com को ईमेल भेजें.

Vinod Sharma

unread,
Nov 2, 2015, 2:44:01 AM11/2/15
to hindian...@googlegroups.com
अधिक स्पष्टता के लिए हमें यही कहना होगा कि उर्दू शब्द लिखते समय नुक्ते का प्रयोग किया जा सकता है। जैसा कि मानकीकरण में भी कहा गया है। आपने तीन अक्षर बताए हैं। इनमें से भी दो ही बचते हैं जिनकी ध्वनि हिंदी के किसी अक्षर में नहीं है। एक अंग्रेजी का एफ और दूसरा Z या dz. तो अंग्रेजी के फूल और हिंदी के फूल में भेद के लिए फ के साथ और जेल एवं जेब्रा में अंतर के लिए नुक्ते का प्रयोग होना चाहिए। माननकीकरण के अनुसार केवल आगत शब्दों में जहाँ अभीष्ट हो नुक्ते का प्रयोग किया जा सकता है। यह भी अनिवार्य नहीं है। उर्दू का अनुकरण करने जाएँगे तो लिखना ही मुश्किल हो जाएगा। उर्दू में चार ज होते हैं। जो व्यक्ति किसी मदरसे में नहीं गया हो वह चार तरह से ज का उच्चारण नहीं कर सकता। 

आकाश5555

unread,
Nov 2, 2015, 9:16:28 AM11/2/15
to हिंदी अनुवादक (Hindi Translators)

नमस्कार,
एक वरिष्ठ पत्रकार ने कुछ समय पहले नुक्ता लगाने के संबंध में जानकारी दी थी जिसे मैं यहां साझा कर रहा हूं-

ये समस्या बहुत लोगों की है कि उर्दू और अंग्रेज़ी के शब्दों में कहाँ नुक़्ता लगता है और कहाँ नहीं. अकसर ऐसा होता है कि जहाँ नुक़्ता लगना चाहिए, वहाँ तो लोग लगाते नहीं और जहाँ नुक़्ते की ज़रूरत नहीं, वहाँ इसे लगा दिया जाता है. आइए आज इसी पर बात करते हैं.

सबसे पहले तो यह बात नोट करें कि नुक़्ता संस्कृत या हिन्दी के मूल शब्दों में नहीं लगता क्योंकि संस्कृत या हिन्दी में वैसी ध्वनियाँ हैं ही नहीं. कृपया इसमें हिन्दी के "ड़" और "ढ़" को मत गिन लीजिएगा. ये दोनों स्वतंत्र अक्षर हैं और इनके नीचे लगनेवाली बिन्दी के बिना इनका अस्तित्व सम्भव नहीं. इनके नीचे बिन्दी ऐसे ही लगेगी, जैसे यहाँ दिखायी गयी है.

इसलिए पहला सूत्र यह है कि सबसे पहले यह निश्चित करें कि शब्द मूल रूप से हिन्दी का है क्या? अगर उत्तर हाँ है, तो नुक़्ता लगना ही नहीं है. मैंने बहुत बार "सफल" के "फ" के नीचे लोगों को नुक़्ता लगाते देखा है, जो सरासर ग़लत है. सफल का मतलब है स+फल यानी फल सहित. फल में कैसे नुक़्ता लगेगा? अब मुझे यह नहीं मालूम कि ZUTSHI सरनेम का मूल क्या है. इसमें नुक़्ता लगेगा और इसे "ज़ुत्शी" लिखा जायेगा.

अब अंग्रेज़ी शब्दों की बात. ध्यान दें कि केवल उन्हीं अंग्रेज़ी शब्दों में नुक़्ता लगने की सम्भावना हो सकती है, जिनमें F, PH या Z आते हों. F और PH के लिए फ के नीचे और Z के लिए ज के नीचे नुक़्ता लगा दीजिए. ध्यान रखें कि अंग्रेज़ी में "फ" का उच्चारण है ही नहीं, इसलिए वहाँ जब भी आयेगा "फ़" ही आयेगा. जिन अंग्रेज़ी शब्दों में Z हो, वहाँ "ज" के नीचे नुक़्ता लगा कर "ज़" लिखें. बस.

उर्दू में नुक़्ता वाले उच्चारण सिर्फ़ ये पाँच हैं: क़, ख़, ग़, ज़, और फ़. इसलिए आपको केवल इन पाँचों पर ध्यान केन्द्रित करना है और काॅपी में इन पाँच कैरेक्टरों से बने उर्दू शब्दों को तौलना है कि यहाँ नुक़्ता लगेगा या नहीं. अब अगर ऐसे शब्द व्यक्तियों या स्थानों के नाम हैं और आपके पास समाचार की मूल काॅपी अंग्रेज़ी में (जैसे PTI आदि के समाचार) आयी है तो काम थोड़ा आसान हो जाता है. इसलामी देशों के जिन नामों में अंग्रेज़ी का Q अक्षर आता हो, वहाँ Q के स्थान पर नुक़्ते वाला "क़" लगायें. जैसे : QAZI क़ाज़ी, QAIDA क़ायदा, QAISER क़ैसर, TARIQ तारिक़, SAQLAIN सक़लैन, QUTUB क़ुतुब, IRAQ इराक़. लेकिन इसके एकाध अपवाद भी हैं, जैसे पाकिस्तान का QUETTA शहर, जिसका उच्चारण है क्वेटा और इसमें "क" के नीचे नुक़्ता नहीं लगता.

दूसरा उच्चारण है "ख़" का. अंग्रेज़ी में प्रायः इस उच्चारण को KH से व्यक्त करते हैं. जैसे KHAN ख़ान, AKHTAR अख़्तर, BAKHT बख़्त, KHUSHBU ख़ुशबू, KHADIM ख़ादिम. इसका अपवाद है KHAR. पाकिस्तानी विदेश मंत्री बिना रब्बानी का सरनेम है खर, जिसे अंग्रेज़ी में KHAR ही लिखा जायेगा. लेकिन उर्दू में एक और शब्द है ख़ार, इसे भी अंग्रेज़ी में KHAR ही लिखेंगे. इसी तरह, एक नाम है निकहत. अंग्रेज़ी में इसे NIKHAT ही लिखेंगे, इसलिए इसे "निख़त" या "निखत" न लिखें.

तीसरा उच्चारण है "ग़" का, जिसे अंग्रेज़ी में GH से व्यक्त करते हैं: जैसे GHULAM ग़ुलाम, GHAZANFAR ग़ज़नफ़र, GHAUS ग़ौस, GHALIB ग़ालिब, GHAZALA ग़ज़ाला, GHAZAL ग़ज़ल, SAGHIR/ SAGHEER सग़ीर, ASGHAR असग़र. ध्यान रखें कि GH के लिए "ग़" केवल नामों के लिए ही लिखा जायेगा.

चौथा उच्चारण है "ज़" का, जिसके लिए अंग्रेज़ी के Z अक्षर का प्रयोग होता है. जैसे ZAIN ज़ैन, ZOHRA ज़ोहरा, ZULFIQAR ज़ुल्फ़िक़ार, HAZRAT हज़रत, AZHAR अज़हर, MUZAFFAR मुज़फ़्फ़र. पाँचवाँ और अन्तिम उच्चारण है "फ़" का. ध्यान रखें कि उर्दू नामों में केवल F ही "फ़" का उच्चारण देता है. PH से उर्दू में "फ" का उच्चारण ही होगा और नुक़्ता नहीं लगेगा. इसलिए AFROZ अफ़रोज़, FIRDAUS फ़िरदौस, FASIH/FASEEH फ़सीह, FAISAL फ़ैसल, FAIZAL फ़ैज़ल, TUFAIL तुफ़ैल लिखा जायेगा. उम्मीद है कि इससे उर्दू नामों में नुक़्ते की समस्या सुलझ जायेगी.


Yogendra Joshi

unread,
Nov 3, 2015, 12:21:20 AM11/3/15
to hindian...@googlegroups.com

यह विषय पेचीदा है क्योंकि यहां जितने मुंह उतनी बातें होंगी। क्या होना चाहिए और क्या नहीं इस पर सहमति जीवन के किसी भी क्षेत्र में देखने को नहीं मिलती है तो भाषा के मामले में भी कैसे उम्मीद की जा सकती है?


मैं व्यक्तिगत तौर पर नुक्ते को अनावश्यक समझता हूं। आप नुक्ता प्रयोग भी कर लें तो क्या तदनुरूप बोलेंगे भी? आप "ग़लत" लिखेंगे तो क्या "ग़" का सही उच्चारण लोग कर पायेंगे। जब ॠ, ज्ञ, तथा विसर्ग(:) के सही उच्चारण की चिंता नहीं तो नुक्ते की क्या चिंता?

संस्कृत/हिन्दी/उर्दू मूल के अंगरेजी में स्वीकृत इन शब्दों पर जरा ध्यान दें:

Bidi बीड़ी; Bungalow बंगला; Cot खाट; Dacoit डकैत;  Datura धतूरा; Mahout महावत Mynah; मैना; Pyjamas पैजामा; Rupee रुपया; Sari साड़ी; Teapoy तिपाई; Typhoon तूफान; Verandah बरामदा

क्या अंगरेजों ने कभी इस बात की चिंता की कि भारतीय इन शब्दों को कैसे लिखते और बोलते हैं? कभी नहीं। उन्होंने अपनी सुविधा के अनुसार उच्चारण तथा वर्तनी चुन ली। 

हम जिस नदी को गंगा(जी) कहकर पुकारते हैं उसे वे Ganges लिखते हैं न कि Ganga|

संस्कृत मूल के अंगरेजी शब्द Dharma का उच्चारण अंगरेज डर्म या डअम सदृश /dɑː(r)mə/ करते हैं। आप यू-ट्यूब पर इसे सुन सकते हैं।

संस्कॄत वर्णमाला के पांचों व्यंजन-वर्गों के द्वितीय-चतुर्थ वर्णों (ख, घ, आदि) की ध्वनियां अंगरेजी में हैं ही नहीं (तमिल में भी नहीं!)। भारतीय मूल के इन शब्दों की ध्वनियों की कभी उन्होंने परवाह भी नहीं की होगी। लेकिन हम बाहरी शब्दों की शुद्धता की वकालत करते फिरते हैं। उर्दू या अरबी/फारसी में कोई शब्द कैसे उच्चारित होता है इसको बहुत तवज्जू क्यों देते हैं हम? क्यों नही उन शब्दों को अपनी सुविधा और ध्वनियों के अनुरूप ढालते हैं?

अगर आपको जर्मन उमलाउट स्वरों (Ä, Ö, Ü) वाले शब्दों जैसे Äpfel (सेब बहुबचन),  Wörterbuch (शब्दकोश), München (म्यूनिक शहर) लिखन-बोलना हो तो क्या करेंगे? इन स्वरों से संबद्ध ध्वनियां न अंगरेजी में हैं और न ही हिन्दी में।

कभी-कभी मुझे लगता है कि हम भारतीय हीन भावना से ग्रस्त हैं और विदेशियों जैसा बनने और विदेशी तौर-तरीकों को अपनाने के लिए आतुर रहते हैं। अभी हाल अमेरिका में हैलोवीन "फेस्टिवल" मनाया गया। समाचार मिला कि उसकी देखादेखी अपने देश में भी कुछ लोगों ने मनाया। विदेशों से हमने वैलेंटाइन डे, मदर-फ़ादर-फ़्रेंड डे आयातित किया है। अपने यहां उत्सवों की कोई कमी है क्या? कभी सोचा है कि उन लोगों ने होली-दिवाली-रक्षाबंधन-भैयादूज आदि को आयातित किया है? हम हीनता के अधीन खानपान, पहनावा आदि वहां से आयातित कर रहे हैं। मैं अनेकों उदाहरण दे सकता हूं। ऐसी मानसिकता भारतीय मध्यम वर्ग की खासियत है।

हिन्दी में अंगरेजी शब्दों को ठूंस-ठूस कर भरके विकृत किया जा रहा है।, कितनों ने आपत्ति उठाई है?



2 नवंबर 2015 को 1:13 pm को, Vinod Sharma <vinodj...@gmail.com> ने लिखा:

abhishek singhal

unread,
Nov 3, 2015, 12:25:24 AM11/3/15
to hindian...@googlegroups.com
सादर,
देवनागरी लिपि में नुक्ता नहीं है, तो क्या लिपि में हमें कोई नया
संकेताक्षर समाहित करने की छूट होगी। इस प्रकार से तो कई अन्य लिपियों के
संकेताक्षर भी समाहित करने होंगे। शब्द को भाषा में समाहित करना और बात
है, पर किसी नए संकेताक्षर को लिपि में समाहित करना और बात...। दोनों में
अन्तर है। विद्धतजन इस दिशा में आगे बढ़ेंगे तो बात को समझने में आसानी
होगी।
सादर

On 11/3/15, Yogendra Joshi <yogendr...@gmail.com> wrote:
> यह विषय पेचीदा है क्योंकि यहां जितने मुंह उतनी बातें होंगी। क्या होना चाहिए
> और क्या नहीं इस पर सहमति जीवन के किसी भी क्षेत्र में देखने को नहीं मिलती है
> तो भाषा के मामले में भी कैसे उम्मीद की जा सकती है?
>
>
> मैं व्यक्तिगत तौर पर नुक्ते को अनावश्यक समझता हूं। आप नुक्ता प्रयोग भी कर
> लें तो क्या तदनुरूप बोलेंगे भी? आप "ग़लत" लिखेंगे तो क्या "ग़" का सही उच्चारण
> लोग कर पायेंगे। जब ॠ, ज्ञ, तथा विसर्ग(:) के सही उच्चारण की चिंता नहीं तो
> नुक्ते की क्या चिंता?
>
> संस्कृत/हिन्दी/उर्दू मूल के अंगरेजी में स्वीकृत इन शब्दों पर जरा ध्यान दें:
>
> Bidi <https://en.wikipedia.org/wiki/Beedi> बीड़ी; Bungalow
> <https://en.wikipedia.org/wiki/Bungalow> बंगला; Cot
> <https://en.wikipedia.org/wiki/Camp_bed> खाट; Dacoit
> <https://en.wikipedia.org/wiki/Dacoit> डकैत; Datura
> <https://en.wikipedia.org/wiki/Datura> धतूरा; Mahout
> <https://en.wikipedia.org/wiki/Mahout> महावत Mynah
> <https://en.wikipedia.org/wiki/Mynah>; मैना; Pyjamas
> <https://en.wikipedia.org/wiki/Pyjamas> पैजामा; Rupee
> <https://en.wikipedia.org/wiki/Rupee> रुपया; Sari
> <https://en.wikipedia.org/wiki/Sari> साड़ी; Teapoy
> <https://en.wikipedia.org/wiki/Teapoy> तिपाई; Typhoon
> <https://en.wikipedia.org/wiki/Typhoon> तूफान; Verandah
> <https://en.wikipedia.org/wiki/Verandah> बरामदा
>
> क्या अंगरेजों ने कभी इस बात की चिंता की कि भारतीय इन शब्दों को कैसे लिखते
> और बोलते हैं? कभी नहीं। उन्होंने अपनी सुविधा के अनुसार उच्चारण तथा वर्तनी
> चुन ली।
>
> हम जिस नदी को गंगा(जी) कहकर पुकारते हैं उसे वे Ganges लिखते हैं न कि Ganga|
>
> संस्कृत मूल के अंगरेजी शब्द Dharma का उच्चारण अंगरेज डर्म या डअम सदृश
> /dɑː(r)mə/ करते हैं। आप यू-ट्यूब पर इसे सुन सकते हैं।
>
> संस्कॄत वर्णमाला के पांचों व्यंजन-वर्गों के द्वितीय-चतुर्थ वर्णों (ख, घ,
> आदि) की ध्वनियां अंगरेजी में हैं ही नहीं (तमिल में भी नहीं!)। भारतीय मूल के
> इन शब्दों की ध्वनियों की कभी उन्होंने परवाह भी नहीं की होगी। लेकिन हम बाहरी
> शब्दों की शुद्धता की वकालत करते फिरते हैं। उर्दू या अरबी/फारसी में कोई शब्द
> कैसे उच्चारित होता है इसको बहुत तवज्जू क्यों देते हैं हम? क्यों नही उन
> शब्दों को अपनी सुविधा और ध्वनियों के अनुरूप ढालते हैं?
>
> अगर आपको जर्मन उमलाउट स्वरों (Ä, Ö, Ü) वाले शब्दों जैसे Äpfel (सेब बहुबचन),
> W*ö*rterbuch (शब्दकोश), München (म्यूनिक शहर) लिखन-बोलना हो तो क्या
>>>> <https://drive.google.com/file/d/0BzBMYLPXEpIScXFmdkFWT0ZjS0E/view?usp=sharing>"
>>>> से हमें अनेक प्रश्नों का उत्तर मिल जाता है। जैसे- पंचम वर्ण के उपयोग के
>>>> संदर्भ में :-
>>>>
>>>> 3.6.1.2 संयुक्त व्यंजन के रूप में जहाँ पंचम वर्ण (पंचमाक्षर) के बाद
>>>> सवर्गीय शेष चार वर्णों में से कोई वर्ण हो तो एकरूपता और मुद्रण/लेखन की
>>>> सुविधा के लिए *अनुस्वार का ही प्रयोग करना चाहिए*। जैसे : - पंकज, गंगा,
>>>> चंचल, कंजूस, कंठ, ठंडा, संत, संध्या, मंदिर, संपादक, संबंध आदि (पङकज,
>>>> गंङगा,
>>>> चंञ्चल, कञ्जूस, कण्ठ, ठण्डा, सन्त, मन्दिर, सन्ध्या, सम्पादक, सम्बन्ध
>>>> वाले
>>>> रूप नहीं)।
>>>>
>>>> नुक़्ते के प्रयोग के बारे में :-
>>>>
>>>> 3.14.1 उर्दू से आए अरबी-फ़ारसी मूलक वे शब्द जो हिंदी का अंग बन चुके
>>>> हैं
>>>> और जिनकी विदेशी ध्वनियों का हिंदी ध्वनियों में रूपांतर हो चुका है,
>>>> हिंदी
>>>> रूप में ही स्वीकार किए जा सकते हैं। जैसे- कलम, किला, दाग आदि (क़लम,
>>>> क़िला,
>>>> दाग़ नहीं)। पर जहाँ उनका शुद्ध विदेशी रूप में प्रयोग अभीष्ट हो अथवा
>>>> उच्चारणगत भेद बताना आवश्यक हो, वहाँ उनके हिंदी में प्रचलित रूपों में
>>>> *यथास्थान
>>>> नुक़्ते लगाए जाएँ*।
> आपको यह संदेश इसलिए प्राप्त हुआ क्योंकि आपने Google समूह "हिंदी अनुवादक
> (Hindi Translators)" समूह की सदस्यता ली है.
> इस समूह की सदस्यता समाप्त करने और इससे ईमेल प्राप्त करना बंद करने के लिए,
> hindianuvaada...@googlegroups.com को ईमेल भेजें.
> अधिक विकल्‍पों के लिए, https://groups.google.com/d/optout पर जाएं.
>


--
abhishek singhal
jaipur
09829266068
skype name: abhishek1970
www.abhishek-singhal.blogspot.com

Anil Janvijay

unread,
Nov 5, 2015, 12:37:06 AM11/5/15
to hindian...@googlegroups.com
केंद्रीय हिंदी निदेशालय द्वारा प्रकाशित "देवनागरी लिपि तथा हिंदी का मानकीकरण" के अन्तर्गत दिए गए नियमों के अनुसार तो उपंयास (उपन्यास) संमान (सम्मान) जैसे शब्द इस तरह लिखे जाएँगे। क्या यह उचित होगा?
anil janvijay
कृपया हमारी ये वेबसाइट देखें
www.rachnakosh.com

Moscow, Russia
+7 916 611 48 64 ( mobile)

Anand

unread,
Nov 5, 2015, 4:41:44 AM11/5/15
to हिंदी अनुवादक (Hindi Translators)
अनिल जी, संलग्‍न पुस्तिका की बिंदु 3.6.1.3 और 3.6.1.4 देखें। इस बारे में स्‍पष्‍ट नियम हैं।

आनंद

Yogendra Joshi

unread,
Nov 5, 2015, 10:21:05 AM11/5/15
to hindian...@googlegroups.com
मैं अपने पहले की टिप्पणी के साथ इतना जोड़ना चाहता हूं:
अधिकांश यूरोपीय भाषाओं ने लैटिन लिपि स्वीकारी है, लेकिन कुछ ने उसमें थोड़े-बहुत जोड़-तोड़ किए हैं। जैसे 
स्पेनी - ñ (उच्चारण जैसा El Niño and La Niña में)

जर्मन - Ä, Ö, Ü, ß (उच्चारण जैसा Äpfel, Köln, Küsse, Straße में) 

फ्रांसीसी भाषा में विशेषक ध्वनिचिह्न (diacritics) का प्रयोग हुआ है।

परंतु ऐसा उन्होंने विदेशी भाषाओं की ध्वनियों को सटीक व्यक्त करने के लिए नहीं किया, बल्कि अपनी भाषा की कुछ विशेष ध्वनियों को असंदिग्ध रूप से व्यक्त करने के लिए किया है।

उनकी चिंता अपनी ध्वनियों को लेकर रही है, जब कि हम उनकी ध्वनियों के लिए परेशान हैं। यह बात मुझे अजीब-सी लगती है।

जहां तक हिन्दी के मानकीकरण की बात है उसके सदस्य व्यावहारिक दृष्टिकोण कम अपने पूर्वाग्रह को अधिक तवब्बू देरे होंगे ऐसा मेरा सोचना है।


है ऐसा मेरा मानना है 



5 नवंबर 2015 को 3:11 pm को, Anand <dub...@gmail.com> ने लिखा:

पीयूष ओझा

unread,
Nov 5, 2015, 4:03:22 PM11/5/15
to हिंदी अनुवादक (Hindi Translators), mjha...@umassd.edu
मैं मानता हूँ कि पेशेवर लेखकों और अनुवादकों के लिए ग्राहक की आवश्यकतानुसार मानक हिंदी ज़रूरी है लेकिन किसी सरकारी संस्था द्वारा स्वीकृत मानक हिंदी लिखने की मुझे ज़रूरत नहीं पड़ती है। पढ़े-लिखे लोगों की पारंपरिक हिंदी से मेरा काम अच्छी तरह चल जाता है। अत: नुक़्ते के प्रयोग के बारे में मेरा मानना है कि उर्दू से हिंदी में आए शब्दों में नुक़्ता लगाना या न लगाना, दोनों सही हैं बशर्ते कि लेखन में एकरूपता हो। यह नहीं होना चाहिए कि एक ही पाठ में कहीं नुक़्ता लग रहा है और कहीं नहीं लग रहा है।  पिछले आठ-दस साल से मैंने उर्दू पढ़ने का सिलसिला शुरू किया है। हालांकि मैं उर्दू लिखता नहीं हूँ फिर भी उर्दू हिज्जों में भ्रम न हो इसलिए मैं हिंदी में नुक़्ते का प्रयोग यथासंभव करता हूँ। इसके लिए ऑक्सफ़ोर्ड़ हिंदी-इंग्लिश डिक्शनरी बहुत उपयोगी है क्योंकि इसमें नुक़्ते लगाए गए हैं।


पीयूष ओझा

unread,
Nov 5, 2015, 5:02:26 PM11/5/15
to हिंदी अनुवादक (Hindi Translators), mjha...@umassd.edu
विदेशी शब्दों के हिंदी उच्चारण के संदर्भ में बीबीसी हिंदी का एक आलेख याद आ रहा है जिसमें बताया गया था की दिल्ली में कुछ जगह अब broccoli मिलने लगी है और सब्ज़ीवाले इसे 'बरकोली' के नाम से बेचते हैं।  विदेशी शब्दों को हिंदी में ढ़ालने का यह सुंदर उदाहरण दिखाता है कि इस काम में आम आदमी की महारत किसी से कम नहीं है।


पीयूष ओझा

unread,
Nov 5, 2015, 5:28:10 PM11/5/15
to हिंदी अनुवादक (Hindi Translators), mjha...@umassd.edu
यशवंत जी द्वारा उद्धृत टिप्पणी संख्या 3.6.1.2 के संदर्भ में  हस्तलेख में पञ्चमाक्षर की जगह अनुस्वार का प्रयोग तो सुविधाजनक लगता है किंतु कम्प्यूटर पर टाइप करते समय या कम्प्यूटरी मुद्रण में पञ्चमाक्षर के प्रयोग में क्या कठिनाई है? देखने में अनुस्वार की बजाय पञ्चमाक्षर मुझे अधिक सुंदर लगता है।


Reply all
Reply to author
Forward
0 new messages