अनुवाद : विविध प्रसंग (ट्रांसलेटर्स ऑफ़ इंडिया के ब्लॉग की नई पोस्ट)
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Suyash Suprabh (सुयश सुप्रभ)
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Dec 22, 2022, 1:30:13 AM12/22/22
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हमारे ब्लॉग पर मधु बी. जोशी जी की पोस्ट का उद्धृत अंश :
"एक और समस्या (जो कम से कम अंग्रेजी में अनुवाद के मामले में दिखती है) है अनुवादक का अक्सर भारतीय भाषा की रचना के साथ अतिरेकी किस्म की छूटें लेना। यह भाषाओं के सत्ता समीकरण के चलते होता है। भाषाओं के सत्ता समीकरण के चलते ही भारतीय भाषाओं में एक भाषा से दूसरी भाषा में अनुवाद बिना अंग्रेजी की मध्यस्थता के कठिन होता जा रहा है।
अनुवाद को मूल लेखन से हीन मानने की प्रवृत्ति कोई नयी बात नहीं है।
इस के पीछे वह उपनिवेशवादी मानसिकता काम करती है जो मानती है कि हमारी अपनी संस्कृति, ज्ञान और भाषा से श्रेष्ठ कुछ कहीं नहीं है, जो भी उस से इतर है वह बर्बर या हीन है, उस से न सीखने की जरूरत है और न उसे सिखाने की। और इसलिए दूसरी भाषाओं की कृतियों का अपनी भाषा में अनुवाद करना हो या अपनी भाषा की कृतियों का दूसरी भाषाओं में, अनुवादकर्म को मौलिक लेखन से हीन माना गया। प्राचीन ग्रीक और रोमन इस विचार के पोषक थे।"
मधु बी. जोशी कई दशकों से अनुवादक, कवयित्री, कहानीकार और स्तंभकार के रूप में अंग्रेज़ी और हिंदी के साहित्यिक जगत को समृद्ध करती आई हैं। वे तकनीकी अनुवाद को अपनी आय और साहित्यिक अनुवाद को रचनात्मक संतुष्टि का ज़रिया मानती हैं। उनके द्वारा अनूदित कृतियों में ‘बधिया स्त्री’ और ‘यह जीवन खेल में’ विशेष रूप से उल्लेखनीय हैं। आप उनसे madhuba...@yahoo.co.in पर संपर्क कर सकते हैं।
Over the last several decades, Madhu B. Joshi has enriched the Hindi and English literary worlds through her contributions as a translator, poet, story writer, and columnist. She views technical translation as a source of income that allows her to do literary translations of her choice. “Badhiya Stree” and “Yeh Jeevan Khel Mein” are among her most notable translations. She can be reached at madhuba...@yahoo.co.in.