मेधा बुक्स से सावधान रहिए !

39 views
Skip to first unread message

Anil Janvijay

unread,
Aug 20, 2022, 10:13:03 AM8/20/22
to हिंदी अनुवादक (Hindi Translators)
मेधा बुक्स प्रकाशन का रवैया
मेधा बुक्स प्रकाशन के मालिक अजय कुमार से मेरा परिचय 2003 में कहानीकार हरि भटनागर ने कराया था। उन्होंने हरि भटनागर के कहने पर मेरे द्वारा अनूदित रूसी कवि येव्गेनी येव्तुशेंको की कविताओं का एक संग्रह प्रकाशित किया था। उसके बाद उन्होंने मेरी कविताओं का संग्रह भी प्रकाशित किया। जैसाकि आम तौर पर होता है, मैं अपनी किताबों की कुछ प्रतियाँ ख़रीदकर अपने मित्रों को और युवा कवियों व लेखकों को देता हूँ। तब मैंने अपनी एक किताब की कुछ प्रतियाँ 50 प्रतिशत रियायत पर उनसे ख़रीदीं। वे प्रतियाँ मैं अपने मित्रों को भेजना चाहता था।
अजय कुमार ने मुझसे कहा कि अगर मैं उन्हें लोगों के नाम-पते दे दूँगा तो वे मेरी पुस्तक की प्रतियाँ मेरे मित्रों को भेज देंगे। मुझे याद है कि मैंने पचास प्रतियाँ ख़रीदी थीं, जिनमें से चालीस प्रतियों पर अपने मित्रों के लिए सन्देश लिखकर, उन्हें पैक करके, उनपर सबका पता लिखकर मेधा बुक्स को सौंप दिया। उनमें से क़रीब दस पुस्तकें विदेशों में स्थित मेरे मित्रों को भेजी जानी थीं। मैंने अजय कुमार जी से पूछा कि डाक खर्च कितना लगेगा। उन्होंने बताया कि करीब बारह सौ रुपए लगेंगे। मैंने उन्हें किताबों के मूल्य के अलावा बारह सौ रुपए डाक खर्च के भी दे दिए। अजय जी ने विश्वास दिलाया कि वे अगले दिन ही किताबें पोस्ट ऑफ़िस भिजवा देंगे। फिर मैं चार दिन तक उन्हें याद दिलाता रहा कि किताबें डाकघर भिजवा दें। पाँचवे दिन उन्होंने बताया कि किताबें पोस्ट करने के लिए डाकघर चली गई हैं।
करीब साल भर बाद मैं फिर मास्को से दिल्ली पहुँचा तो मैंने उनसे बीस पुस्तकें और ख़रीदनी चाहीं। उन्होंनें किताबें दे दीं।
फिर 2007 में मास्को में अन्तरराष्ट्रीय हिन्दी सम्मेलन हो रहा था। उसके आयोजन से पहले विदेश मन्त्रालय ने मेरी और मदनलाल मधु की किताबों की सौ-सौ प्रतियाँ ख़रीदी थीं। मेरी दोनों किताबों की सौ-सौ प्रतियाँ ख़रीदी गई थीं। उन सौ-सौ प्रतियों में से बीस-बीस प्रतियाँ विदेश मन्त्रालय ने मास्को भेज दी थीं। संयोग से मास्को स्थित भारतीय सांस्कृतिक केन्द्र के तत्कालीन निदेशक श्री ठाकुर ने उनमें से दस किताबें मुझे दे दीं। मैंने उनमें से एक किताब वैसे ही खोलकर देखी। मैं यह देखकर दंग हुआ कि उस किताब पर मेरी लिखाई में विदेश में रह रहे मेरे एक मित्र के नाम सन्देश लिखा था और जुलाई 2004 की तारीख़ पड़ी थी। मुझे याद आ गया कि यह किताब तो मैंने पैकेट बनाकर पोस्ट करने के लिए मेधा बुक्स को सौंपी थी। उसके बाद मैंने सारी बीस प्रतियाँ खोल-खोलकर देखीं। बीस में से आठ किताबों में मेरी लिखाई में मेरे मित्रों के नाम सन्देश लिखे थे। ये सभी मित्र विदेशों में रहते थे।
यानी मेधा बुक्स ने मेरे विदेशी मित्रों को किताबें नहीं भिजवाई थीं और उनकी पैकिंग खोलकर उन्हें वापिस अपने गोदाम में रख लिया था। भारत में भी कुछ मित्रों को मेरी किताबें नहीं मिली थीं। इस तरह मेधा बुक्स ने न सिर्फ़ किताबों के दाम मुझ से लेकर पैसा बचा लिया, बल्कि विदेश किताब भेजने का डाक-शुल्क भी बचा लिया था।
मैं संकोची स्वभाव का हूँ। मैंने अजय जी से कुछ नहीं कहा और उसके बाद से मैंने मेधा बुक्स के साथ अपनी पुस्तकों के प्रकाशन का काम करना बन्द कर दिया।
लेकिन उसके बाद फ़रवरी 2015 में अजय कुमार के बड़े अनुरोधों के बाद मैंने उनके लिए फिर एक काम किया। उन्हें मास्को के अनुवाद संस्थान से एक किताब मिल रही थी। अनुवाद संस्थान ने उन्हें 200 पृष्ठों की उस किताब के लिए 8800 डालर (यानी तत्कालीन विनिमय मूल्य के अनुसार 5 लाख, 72 हज़ार, 800 रुपए) किताब के अनुवाद के लिए दिए थे। मैं अजय कुमार के प्रतिनिधि के रूप में मास्को के उस अनुवाद संस्थान में पहुँचा और मैंने मेधा बुक्स के प्रतिनिधि के रूप में उस किताब के अनुवाद व प्रकाशन के अनुबन्ध पर हस्ताक्षर कर दिए। वह 29 मार्च 2014 का दिन था। 30 मार्च को मेधा बुक्स को बैंक खाते में यह बड़ी रक़म मिल गई।
यह किताब रूसी भाषा में नहीं थी, बल्कि रूसी भाषा की एक बोली में थी। रूसी भाषा तो मुझे आती है, लेकिन उसकी आँचलिक बोलियाँ मुझे नहीं आतीं। वह बोली भी 70-80 साल पुरानी। मेधा बुक्स ने अपने स्तर पर भारत में रहने वाले अनुवादकों से अनुवाद करवाने के लिए सम्पर्क किया होगा। लेकिन चूँकि पुस्तक रूसी भाषा की आँचलिक बोली में थी, इसलिए शायद रूसी भाषा से हिन्दी में अनुवाद करने वाले अनुवादकों ने मेधा बुक्स को किताब का अनुवाद करने से इनकार कर दिया होगा। मैं इस घटना के बारे में भूल चुका था। लेकिन अक्तूबर 2014 में अजय कुमार ने मुझसे फिर सम्पर्क किया और कहा कि मैं उस किताब का अनुवाद कर दूँ।
मैंने उन्हें अपनी परेशानी बताई और कहा कि मैं आँचलिक रूसी बोलियाँ नहीं जानता हूँ। फिर आँचलिक रूसी बोली की किताब का हिन्दी में अनुवाद भी हिन्दी की किसी आँचलिक भाषा में ही होना चाहिए ताकि पाठक को वही रस मिल सके, जो रूसी आँचलिक उपन्यास का होता है। और मैं भारत की कोई ग्रामीण भाषा भी नहीं जानता हूँ। लेकिन अजेय कुमार ने कहा कि मैं मास्को में बैठकर कोशिश करके ऐसे आदमी की तलाश कर सकता हूँ, जो उस आँचलिक भाषा को जानता हो और उसके साथ मिलकर अनुवाद कर सकता हूँ। मैंने उनकी बात स्वीकार कर ली। लेकिन उनसे कहा कि 8800 डॉलर में से अनुवाद करने के कम से कम 5000 डॉलर (तीन लाख 20 हज़ार रुपए) लूँगा। थोड़ी ना-नुकर करने के बाद अजय जी मेरी बात मान गए। मैं मास्को में था। मैंने कहा कि एडवांस दीजिए। उन्होंने एक लाख रुपए चैक से मुझे दे दिए।
मैंने मास्को में एक रूसी महिला को ढूँढ़कर उन्हें पचास हज़ार रूबल देकर उस किताब के उन शब्दों का रूसी से रूसी में काम चलाऊ अनुवाद करवा लिया, जो मेरे लिए समझने कठिन थे। उसके बाद मैंने उस किताब का हिन्दी में अनुवाद कर दिया।
जब उपन्यास का अनुवाद पूरा हो गया और मैंने मेधा बुक्स से बाक़ी पैसे देने को कहा तो उनका जवाब था कि अभी तो पैसे नहीं हैं, जब आएँगे दे देंगे। लेकिन मैंने भी उन्हें तब तक दो-तिहाई अनुवाद ही भेजा था। मुझे पहले से ही यह सन्देह था कि वे मुझे मेरे काम के पैसे नहीं देंगे। मैंने उनसे कहा कि आप मुझे बाकी देय पारिश्रमिक में से आधे पैसे ही दे दें। उन्होंने कहा पैसे नहीं हैं। मैंने कहा पचास हज़ार ही दे दीजिए। वे बोले -- अभी पैसे नहीं हैं। मैंने कहा तब मैं आपको बाक़ी एक तिहाई अनुवाद भी नहीं दूँगा। आप जब पूरे पैसे देंगे, तभी आपको बाक़ी अनुवाद दूंगा। अजय कुमार ने कहा -- आपको हमारे ऊपर विश्वास नहीं है। मैंने कहा -- मैंने काम किया है। आप काम के पैसे दीजिए और अनुवाद ले लीजिए।
इस तरह अनुवाद का काम पूरा करने के बाद भी मुझे मेधा बुक्स से पैसे नहीं मिले।

--

Dr. Paritosh Malviya

unread,
Aug 24, 2022, 4:08:55 AM8/24/22
to hindian...@googlegroups.com
जानकर अफसोस हुआ। प्रकाशकों का यह रवैया सरासर गलत है।

--
--
इस संदेश पर टिप्पणी करने के लिए 'Reply' या 'उत्तर' पर क्लिक करें।
 
नए विषय पर चर्चा शुरू करने के लिए निम्नलिखित पते पर ई-मेल भेजें :
 
hindian...@googlegroups.com
 
वेब पता : http://groups.google.co.in/group/hindianuvaadak

---
आपको यह संदश इसलिए मिला है क्योंकि आपने Google समूह के "हिंदी अनुवादक (Hindi Translators)" समूह की सदस्यता ली है.
इस समूह की सदस्यता खत्म करने और इससे ईमेल पाना बंद करने के लिए, hindianuvaada...@googlegroups.com को ईमेल भेजें.
वेब पर यह चर्चा देखने के लिए, https://groups.google.com/d/msgid/hindianuvaadak/CAAu02Ay%2BdEdLze4dD_5ay5W6fs4UMv0fnP-Yw1%2BCU1_DQ%3DyBVg%40mail.gmail.com पर जाएं.


--
Dr. Paritosh Malviya
Assistant Director (OL)
Defence R&D Establishment
Gwalior (M.P.)

Anil Janvijay

unread,
Aug 25, 2022, 4:36:16 AM8/25/22
to हिंदी अनुवादक (Hindi Translators)
जी, शुक्रिया। सहानुभूति दिखाने के लिए।

वेब पर यह चर्चा देखने के लिए, https://groups.google.com/d/msgid/hindianuvaadak/CAP6AeyrwW0wGgxubLZe4%2BJmO1%3DnDO%2BK3gbrugjpcVYsMZGqndw%40mail.gmail.com पर जाएं.


--
Reply all
Reply to author
Forward
0 new messages