इस समूह में आप हिंदी, अनुवाद और भाषा के सभी पहलुओं पर विचार-विमर्श कर सकते हैं।
भारत में भाषा और अनुवाद को लेकर अनेक भ्रांतियाँ हैं। बहुत-से लोग यह नहीं जानते हैं कि अनुवाद केवल शब्द के स्तर पर नहीं होता है। हर भाषा की अपनी प्रकृति होती है और भाषा की यही विशेषता अनुवाद को श्रमसाध्य बनाती है। अनुवाद को उसका महत्व दिलाने के लिए अनेक देशों के अनुवादक संघर्षरत हैं। यह समूह इस संघर्ष में अपनी भूमिका निभाने के लिए प्रतिबद्ध है।
हिंदी की प्रगति के लिए हमें मिल-जुलकर प्रयत्न करना होगा। मानक हिंदी, व्याकरण आदि से संबंधित ऐसे अनेक प्रश्न हैं जिन पर विचार-विमर्श करना आवश्यक है। भाषा गतिशील होती है। व्याकरण भी समय के साथ बदलता है। हम हिंदी के आधुनिक और व्याकरणसम्मत रूप की जानकारी प्राप्त करने के लिए केवल व्याकरण की पुस्तकों पर निर्भर नहीं हो सकते हैं। आज इंटरनेट के माध्यम से अपने विचार दूसरों तक पहुँचाना बहुत आसान हो गया है। मैं आशा करता हूँ कि इस समूह के सदस्य भाषा के संदर्भ में यथास्थितिवाद का विरोध करते हुए संवाद और विचार-विमर्श की प्रक्रिया को आगे बढ़ाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएँगे।