द्घ

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रजनीश मंगला

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Feb 12, 2009, 7:04:57 AM2/12/09
to हिंदी (Hindi)
मेरे ख्याल में ये अक्षर केवल शब्द 'उद्घाटन' में ही उपयोग होता है। क्या
और शब्द भी हैं जहां ये उपयोग होता हो?

Amitabh Triapthi

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Feb 12, 2009, 9:42:55 AM2/12/09
to hi...@googlegroups.com
द्ध संयुक्ताक्षर उद्धार, सद्धर्म आदि मे प्रयुक्‍त होता है। उद्‍घाटन इस प्रकार लिखा जाता है। यूनीकोड एडिटर में ddh  = द्ध है तथा dgh = द्घ है जो दृष्टि साम्य के कारण भ्रम उत्पन्न करते हैं। देवनागरी में इस भ्रम को दूर करने के लिये द्‍ + ध को द्ध तथा द्‍ + घ को द्‍घ के रूप मे लिखते हैं। द्‍ में द के साथ हलन्त चिन्ह लगा है।
2009/2/12 रजनीश मंगला <rajnees...@googlemail.com>

रजनीश मंगला

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Feb 12, 2009, 10:42:14 AM2/12/09
to हिंदी (Hindi)
जी मैं ये जानता हूँ कि 'द्घ' एक संयुक्ताक्षर है और इसे कैसे लिखते हैं।
मैं द्घ (द+्+घ) और द्ध (द+्+ध) में अंतर भी भली भांति जानता हूँ। मेरा
प्रश्न केवल इतना था कि क्या संयुक्ताक्षर द्घ (द+्+घ) केवल शब्द
'उद्घाटन' में आता है या कोई अन्य शब्द भी हैं। आपके द्वारा दिए गए
उदाहरण गल्त हैं। 'उद्धार' और 'सद्धर्म', दोनों शब्दों में द्ध (द+्+ध)
उपयोग होता है, द्घ (द+्+घ) नहीं।

Amitabh Triapthi

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Feb 12, 2009, 3:51:40 PM2/12/09
to hi...@googlegroups.com
रजनीश जी उद्‍घोष, उद्‍घात,उद्‍घर्षण,उद्‍घ, उद्‍घन आदि
देखें सँस्कृत - हिन्दी कोश  द्वारा वामन शिवराम आप्टे।

2009/2/12 रजनीश मंगला <rajnees...@googlemail.com>
जी मैं ये जानता हूँ कि 'द्घ' एक संयुक्ताक्षर है और इसे कैसे लिखते हैं।

रजनीश मंगला

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Feb 12, 2009, 4:13:25 PM2/12/09
to हिंदी (Hindi)
अमिताभ जी धन्यवाद

Yogendra Joshi

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Feb 12, 2009, 10:52:20 PM2/12/09
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संयुक्ताक्षर द्घ के बारे में

उद्घाटन शब्द संस्कृत मूल का है और उपसर्ग 'उत्' के साथ क्रियाधातु 'घट्' से प्राप्त संज्ञा 'घाटन' के संयोग से यह शब्द बना है । संक्षेप में उद्घाटन = उत्+घाटन = उद्+घाटन । ध्यान दें कि 'घ' से आरंभ होने वाले क्रियाधातुओं के पूर्व 'उत्' उपसर्ग लगाने से जो क्रियापद तथा उनसे व्युत्पन्न अन्य शब्द प्राप्त हों उनमें 'द्घ' की उपस्थिति देखी जा सकती है, उदाहरणार्थ उद्घ (= श्रेष्ठता, प्रमुखता), उद्घन (= बढ़ई के प्रयोग का लकड़ी का एक तख्ता), उद्घट्टन (= टकराहट), उद्घर्षण (= रगड़), उद्घाट (= पुलिस/सेना की चौकी), उद्घाटक (= कुंजी, खोलने का औजार), उद्घात (= आरंभ), उद्घोष (= उच्च स्वर में कथन) ।

वस्तुतः संस्कृत के संधि के नियमों के अनुसार 'त्' या 'द्' अंत वाले उपसर्ग या पदों के पूर्व 'घ' से आरंभ होने वाले प्रत्यय या अन्य पदों के होने पर संयुक्त पद में द्घ देखा जा सकता है । इस प्रकार एतत्+घोषणा = एतद्घोषणा = यह घोषणा । ऐसी अन्य संभावनाएं सोची जा सकती हैं । चूंकि संस्कृत शब्दों का प्रयोग हिन्दी में खुलकर होता है, अतः ये उदाहरण सार्थक माने जा सकते हैं । 

(अतिरिक्त टिप्पणीः संस्कृत भाषा में अनेक उपसर्ग हैं (जैसे आ, अधि, अनु, अप, अव, उत्, उप, निः, परि, प्र, प्रति, वि, सं आदि) जिनको क्रियाधातुओं के पूर्व जोड़ने से किंचित् परिवर्तित अर्थ वाली क्रियाओं का बोध होता है और उन्हीं से अन्य शब्द प्राप्त हो सकते हैं, यथा कृ = करना, अनुकृ = नकल करना, क्रिया से प्रतिक्रिया, आगमन से प्रत्यागमन, ज्ञान से विज्ञान, आदि । किस उपसर्ग से ठीक-ठीक क्या नये अर्थ मिलेंगे इसे स्पष्ट कर पाना कठिन है ऐसा मुझे लगता है । उत् उपसर्ग उठने, खुलने, आगे बढ़ने-बढ़ाने आदि के अर्थ में प्रयुक्त होता है, जैसे उत्+अय = उदय, उत्+गम = उद्गम, उत्+डयन उड्डयन = उत्+नयन = उन्नयन, आदि ।)

- योगेन्द्र जोशी


१३ फरवरी २००९ ०२:४३ को, रजनीश मंगला <rajnees...@googlemail.com> ने लिखा:

Anunad Singh

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Feb 13, 2009, 12:06:16 AM2/13/09
to hi...@googlegroups.com
योगेन्द्र जी,
आपकी व्याख्या अच्छी लगी। कई चीजें पता चलीं।

-- अनुनाद

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१३ फरवरी २००९ ०९:२२ को, Yogendra Joshi <yogendr...@gmail.com> ने लिखा:

रजनीश मंगला

unread,
Feb 13, 2009, 12:37:34 AM2/13/09
to हिंदी (Hindi)
बहुत अच्छी जानकारी। धन्यवाद। क्या हिन्दी में भी विभिन्न स्तर की
परीक्षाएं होती हैं, जैसे A1, A2, B1, B2, C1, C2 (जैसे जर्मन भाषा में
होती हैं)?

narayan prasad

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Feb 26, 2009, 7:33:18 AM2/26/09
to hi...@googlegroups.com
एक और प्रचलित शब्द है - उपोद्घात (प्रस्तावना, भूमिका आदि के अर्थ में) ।

१३ फरवरी २००९ ०९:२२ को, Yogendra Joshi <yogendr...@gmail.com> ने लिखा:

संयुक्ताक्षर द्घ के बारे में

Shastri JC Philip

unread,
Feb 26, 2009, 7:53:47 AM2/26/09
to hi...@googlegroups.com
संगणक अब कई नई परेशानियां पैदा कर रहे हैं.
 
उपोद्धात (Upoddhat) और उपोद्घात (Upodghat) में
अंतर करना मुश्किल हो रहा है. अत: मेरा सुझाव है कि
संगणक पर इस शब्द को:  उपोद्‍घात लिखा जाये.
 
उसी तरह उद्घाटन (Udghatan) और उद्धाटन (Uddhatan) में
अंतर करना मुश्किल हो रहा है अत: इसे उद्‍घाटन लिखना
बेहतर होगा.
 
द्‍ = d+^
 
आप लोग क्या कहते हैं?
 
सस्नेह -- शास्त्री

narayan prasad

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Feb 26, 2009, 12:27:29 PM2/26/09
to hi...@googlegroups.com
आपका कहना सही है कि संगणक पर द्घ (dgha) और द्ध (ddha) में अन्तर करना मुश्किल होता है । परन्तु हिन्दी या संस्कृत में उपोद्धात (upoddhAt) और उद्धाटन (uddhATan) जैसे शब्द नहीं हैं । इसलिए मुझे नहीं लगता कि द्घ (dgha) और द्ध (ddha) को एक glyph के रूप में लिखने पर किसी को कोई परेशानी हो सकती है । किसी-किसी फोंट में इन दोनों का अन्तर स्पष्ट दिखता है और किसी-किसी में नहीं ।
---नारायण प्रसाद

२६ फरवरी २००९ १८:२३ को, Shastri JC Philip <shastri....@gmail.com> ने लिखा:

Yogendra Joshi

unread,
Mar 1, 2009, 12:20:51 PM3/1/09
to hi...@googlegroups.com
द्घ=द्‌घ एवं द्ध=द्‍ध के संदर्भ में
समस्या तब हो सकती है जब पाठक की शब्द-संपदा पर्याप्त न हो, जैसे हिन्दी सीख
रहा व्यक्ति । इस रोचक तथ्य पर ध्यान दें कि धाराप्रवाह पढ़ सकने वाले का
मस्तिष्क लिखित सामग्री की एक झलक पा भर लेने से ही विषय ग्रहण कर लेता है ।
वस्तुतः एक-एक अक्षर पर गौर से नजर डालनी ही नहीं पड़ती है । यही वजह है कि
कभी-कभी बारबार पढ़ने पर भी वर्तनी की अशुद्धियां नजर नहीं आ पाती हैं । अतः
अत्यधिक साम्य रखने वाले शब्द पढ़ते समय भी भ्रम कम ही होता है । या यूं कहिए
कि मस्तिष्क अशुद्धियों को सही करता जाता है । यही कारण है कि लिखित अंग्रेजी
पढ़ते समय अधिकांश लोगों को दिक्कत नहीं होती, प्रत्येक एक अक्षर के साफ-साफ न
लिखे होने पर भी । परंतु जिनका अभ्यास अपर्याप्त होता है उन्हें अवश्य
परेशानी होती है, जैसे बच्चों को । अन्यथा ‘ध’ तथा ‘घ’, ‘म’ तथा ‘भ’, ‘ख’ तथा
‘रव’ं, ‘ङ’ तथा ‘ड’, ‘ढ’ तथा ‘ढ़’, ‘व’ तथा ‘ब’ इत्यादि में अंतर सदैव तुरंत
नहीं दिखता । अतः जहां कहीं भ्रम की संभावना दिखे, हलंत चिह्न का प्रयोग
उपयोगी सिद्ध हो सकता है, जैसा शास्त्रीजी ने सुझाया है । - योगेन्द्र


Thu, 26 Feb 2009 22:57:29 +0530 को narayan prasad <hin...@gmail.com> ने
लिखा:

> आपका कहना सही है कि संगणक पर द्घ (dgha) और द्ध (ddha) में अन्तर करना
> मुश्किल
> होता है । परन्तु हिन्दी या संस्कृत में उपोद्धात (upoddhAt) और उद्धाटन
> (uddhATan) जैसे शब्द नहीं हैं । इसलिए मुझे नहीं लगता कि द्घ (dgha) और द्ध
> (ddha) को एक glyph के रूप में लिखने पर किसी को कोई परेशानी हो सकती है ।
> किसी-किसी फोंट में इन दोनों का अन्तर स्पष्ट दिखता है और किसी-किसी में
> नहीं ।
> ---नारायण प्रसाद
>
> २६ फरवरी २००९ १८:२३ को, Shastri JC Philip <shastri....@gmail.com> ने
> लिखा:
>
>> संगणक अब कई नई परेशानियां पैदा कर रहे हैं.
>>
>> उपोद्धात (Upoddhat) और उपोद्घात (Upodghat) में
>> अंतर करना मुश्किल हो रहा है. अत: मेरा सुझाव है कि
>> संगणक पर इस शब्द को: उपोद्‍घात लिखा जाये.
>>
>> उसी तरह उद्घाटन (Udghatan) और उद्धाटन (Uddhatan) में
>> अंतर करना मुश्किल हो रहा है अत: इसे उद्‍घाटन लिखना
>> बेहतर होगा.
>>
>> द्‍ = d+^
>>
>> आप लोग क्या कहते हैं?
>>
>> सस्नेह -- शास्त्री
>>
>>
>> ----- Original Message -----

>> *From:* narayan prasad <hin...@gmail.com>
>> *To:* hi...@googlegroups.com
>> *Sent:* Thursday, February 26, 2009 6:03 PM
>> *Subject:* [Hindi] Re: द्घ

--
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