नए शब्दों का निर्माण

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Agastya Kohli / अगस्त्य कोहली

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Sep 27, 2006, 2:03:18 AM9/27/06
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मित्रो,

इस समूह पर हिन्दी में नए शब्दों के निर्माण पर समय समय पर चर्चा होती
रहती है। संस्कृत व्याकरण के कुछ विद्वान इस समूह के सदस्य हैं और उनके
ज्ञान का हम सभी लाभ उठाते रहते हैं।

किन्तु भाषा में शब्दावली की सबसे सहज वृद्धि तब होती है जब उस भाषा को
बोलने वाले लोग उसी भाषा में सोचते और चिन्तन करते हैं।

आज पंडित बिरजू महाराज के एक कार्यक्रम में गया था, और वे कुछ ठुमरियाँ
गाने बैठे तो माइक का आगे का गोल सिरा उन के मुँह के बहुत पास था। तो
बोले, "भइया ये बहुत पास नहीं है क्या? मुझे तो डर लग रहा है कि कहीं मैं
इस लड्डू से टकरा न जाऊँ!"

तब मुझे ज्ञात हुआ कि हिन्दी में माइक को लड्डू कहते हैं। रिमोट कंट्रोल
को बन्दूक और करसर को तितली कहते हैं, यह तो मैं पहले से ही जानता था!
:-)

सादर,
- अगस्त्य

narayan prasad

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Sep 27, 2006, 3:20:58 AM9/27/06
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अंग्रेज़ी के तकनीकी शब्द आम लोग कितना प्रयोग में लाते हैं और जो कुछ वे तकनीकी शब्दों का प्रयोग करते हैं, क्या वे बहुत सरल होते हैं ?
 
आम लोग उन्हीं तकनीकी शब्दों का प्रयोग करते हैं जो उनके रोजमर्रे की जिन्दगी में काम आते हैं और वे ऐसे शब्दों का प्रयोग करते ही हैं, चाहे ये शब्द रचना की दृष्टि से कितने ही क्लिष्ट क्यों न हों । बहुत अधिक क्लिष्ट होने पर अपनी भाषा-क्षमता के अनुसार लोग उच्चारण में कुछ परिवर्तन कर देते हैं, जो बिलकुल स्वाभाविक है ।
तकनीकी शब्द विशेष अर्थों में आते हैं और सामान्यतः विशेषज्ञों के लिए होते हैं, रोजमर्रे की बात या चीज को छोड़कर ।
 
संस्कृत पर आधारित हिन्दी तकनीकी शब्द भी प्रयोग करने पर आसान लगते हैं, लेकिन पढ़े-लिखे हिन्दीभाषी ही जब हिन्दी शब्दों का प्रयोग करना नहीं चाहते तो क्या किया जा सकता है ?
 
ठेठ हिन्दी में नाम मात्र के शब्द बनाए जा सकते हैं । परन्तु संस्कृत के आधार पर नए शब्दों का निर्माण अपेक्षाकृत बहुत सरल होता है ।
 
--- नारायण प्रसाद


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kalanath mishra

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Sep 28, 2006, 10:30:31 AM9/28/06
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आप को हिन्दी के ऎसे शब्द कहां से मिल गए. यह तो उसीतरह हुआ जैसे कुछ लोग स्टेसन के लिये व्यंग्य मे धूम्र्सटक विश्रामालय कहते थे.
कलानाथ
 

Agastya Kohli / अगस्त्य कोहली

unread,
Sep 28, 2006, 2:37:31 PM9/28/06
to hi...@googlegroups.com
कलानाथ जी,

धूम्रसटक विश्रामालय में जो व्यंग्य है, वह इन शब्दों से बिलकुल भिन्न है। माइक को लड्डू या रिमोट को बन्दूक कह कर माइक या रिमोट का मज़ाक नहीं उड़ाया जा रहा… इन वस्तुओं के आकार और प्रयोग प्रणाली के आधार पर आम आदमी अपने आप एक ज्ञात शब्द में एक नया अर्थ भरता है।

सादर,
अगस्त्य

Rajat

unread,
Sep 28, 2006, 3:53:57 PM9/28/06
to Hindi
मैं यहॉं कुछ प्रविष्टियों
को पढ़ क्यों नही पा रहा हूं?
क्या कोई बतायेगा?

piyush

unread,
Sep 28, 2006, 3:55:27 PM9/28/06
to Hindi
हरेक शब्द का कोई ईतिहास
होता है. और कीसी टेकनीकल
चीज का नाम उसके भाषाकीय
मतलब से कंइ बार भिन्न होता
है.
उदाहरण
- रीमोट का मतलब 'दुर' ही होता
है. टीवी का रीमोट यह
प्रचलित या अपेक्षित अर्थ
है.
- 'बग' का मतलब 'जंतु'
कम्प्युटर मे 'गलती'
- 'माउस', 'मोनिटर', 'कीबोर्ड',
'मेमरी' ये सब शब्द का मतलब
कुछ और होता है ओर था.

लेकीन 'ब्लयुटुथ', 'सीडीएमए',
'मधरबोर्ड', 'रेम', 'रोम', 'सीडी',
'डीवीडी' ये सब नाम नये है.
जीस भाषामे जो चीज की खोज
हुइ हो उस भाषामे खोज का नाम
व्यापक होता है. और दुसरी
भाषामे भाषांतर करना शायद
हरेक कीस्से मे ठीक नहि.

वैसे हिन्दी मे भी नये शब्द
खोज करना - हिन्दी मे हो रही
नई खोजो के लीये आवश्यक है
लेकीन जो चीज प्रचलित हुइ
उसका भाषांतर क्या उतना
प्रचलित होगा? क्या लोग नये
शब्द इस्तेमाल करेंगे? हां,
सामान्य जनता हरेक चीज को
अपने आप नाम देती है और वो
शब्दो को व्यापक रुप में
उपयोग करने मे हमे शर्म नहि
आनी चाहीये.
मैने सुना था की कीसी गांव
मे हीन्दी जानने वाले बच्चो
को कम्प्युटर दिया गया तो वो
'माउस एरो' को 'सूया' बोलते थे.
अब एसे शब्द व्यापक होने
चाहीये. सिर्फ भाषांतर के
लिये बनाये गये शब्दों को
लोग स्वीकृत नहि करते. जैसे
हमने बचपन मे जीवशास्त्र मे
जो कंकाल, पार्श्व, पृष्ठ सब
पढा वैसा अब नहि बोलते.

narayan prasad

unread,
Sep 28, 2006, 11:35:02 PM9/28/06
to hi...@googlegroups.com
दो-दो प्रयासों में भी 'सटक' सीताराम का प्रयोग हो तो इसे सम्पादित्र दोष न कहें तो क्या कहें ? इसे हम "typo" की गिनती में नहीं रख सकते । यह तो हम मान नहीं सकते कि हिन्दी के इतने अच्छे ज्ञाता "शकट" शब्द से अनभिज्ञ हैं ।
***********************
फलित ज्योतिष में कई योगों में एक शकट योग भी आता है । जब बृहस्पति (गुरु) एवं चन्द्रमा एक दूसरे से छठे, आठवें या बारहवें घर में हों तो शकट योग बनता है ।

--- नारायण प्रसाद


Agastya Kohli / अगस्त्य कोहली <agas...@gmail.com> wrote:
कलानाथ जी,

धूम्रसटक विश्रामालय में जो व्यंग्य है, वह इन शब्दों से बिलकुल भिन्न है। माइक को लड्डू या रिमोट को बन्दूक कह कर माइक या रिमोट का मज़ाक नहीं उड़ाया जा रहा… इन वस्तुओं के आकार और प्रयोग प्रणाली के आधार पर आम आदमी अपने आप एक ज्ञात शब्द में एक नया अर्थ भरता है।

सादर,
अगस्त्य

On 9/28/06, kalanath mishra <kala...@gmail.com> wrote:

आप को हिन्दी के ऎसे शब्द कहां से मिल गए. यह तो उसीतरह हुआ जैसे कुछ लोग स्टेसन के लिये व्यंग्य मे धूम्र्सटक विश्रामालय कहते थे.
कलानाथ


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