हरिराम जी,
प्रतीत होता है कि यही प्रश्न आपने पहले भी किया था जिसका उत्तर भी मैंने दे दिया था ।
मेरे विचार में ठीक-ठीक वर्णक्रम इस प्रकार है -
अ अँ अं अः आ आँ आं आः ....... औ औँ औं औः क कँ कं कः ....कौ कौँ कौं कौः क् (अर्थात् यहाँ से ककार का युक्ताक्षर चालू होना चाहिए), ख खँ खं खः ..... ह हँ हं हः ह्
शंकर को शङ्कर, चंचल को चञ्चल, खंड को खण्ड, मंद को मन्द, कंपन को कम्पन के रूप में वर्णक्रम में रखना चाहिए, चाहे अनुस्वार रूप में भी क्यों न हो । डॉ० किट्टेल ने एक शताब्दी से भी पहले १८९४ में कन्नड सब्दकोश में इसी क्रम में शब्दों को रखा था । परन्तु, आजकल के विद्वानों ने कन्नड निघण्टु (८ खण्डों में, अन्तिम खण्ड १९९५ में प्रकाशित) में उपर्युक्त वैज्ञानिक क्रम को ताक पर रखकर शब्दों को अशुद्ध वर्णक्रम में रख दिया ।
--- नारायण प्रसाद
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