तीतर के दो
आगे तीतर, प्रभात झा की गर्दन पर संकट की तलवार, फिर बैतलवा डाल पर
मुरैना
डायरी
नरेन्द्र
सिंह तोमर ‘’आनंद’’
तीतर के दो आगे तीतर , तीतर
के दो पीछे तीतर
सूबे
के हालात देश के हालतों से जुदा नहीं , जनता अब ऊब चुकी है, तंग आ चुकी है सारे के
सारे राजनेताओं से और उससे भी ज्यादा त्रस्त हो चुकी है इनके खिलाफ तथाकथित आंदोलन
करने वाले ढोंगीं पाखंडियों से ।
न
तो जनता के गले रामदेव उतर रहे हैं और न अन्ना एण्ड प्रा.लि. कंपनी , रामदेव के बारे
में चंबल की जनता की स्पष्ट राय है कि बाबा येग फोग ही करे तो ही ठीक है , राजनीति
में आकर उसने अपना कबाड़ा कर लिया , मजे की बात यह है कि सारी जनता का मानना है कि
रामदेव राजनीति में आ गये हैं और जनता रामदेव को और रामदेव की हर बात को एक भाजपा
नेता के तौर पर लेने लगी है ।
अन्ना
के बारे में चंबल की जनता का साफ दृष्टिकोण व मत यह है कि पहले कछू दिना तक तो
डोकरा ठीक ठाक रहा, फिर वा चेर उचक्का केजरीवाल ने अपने वश में करके अन्ना बर्बाद
कर दिया ।
जनता
की नजर में अन्ना एण्ड कंपनी प्रा.लि. आर.एस.एस. की एक बटालियन है ।
प्रभात झा
की गर्दन पर लटकी संकट की तलवार
इस
समय सबसे ज्यादा मुसीबत में भारतीय जनता पार्टी के म.प्र. के प्रदेश अध्यक्ष
प्रभात झा हैं , कानूनी तौर पर यकीनन पक्के तौर पर कहा जा सकता है कि प्रभात झा
अति उत्साह में ऐसे ऐसे कई फर्जीवाड़े कर बैठे कि उनका निकट भविष्य में या आगे के
वक्त में जेल जाना बिल्कुल पक्का है ।
एक
मामला प्रभात झा के खिलाफ बाल विवाह कराने , अनमेल विवाह कराने , पहले से शादी
शुदा गैर तलाकशुदा आदमी का एक नाबालिग कन्या से विवाह कराने से संबंधित है ,
गौरतलब है कि प्रभात झा और म.प्र. के एक मंत्री ने बाकायदा शादी के कार्ड छपवा कर यह
शादी खुद की मौजूदगी में कराई थी । निचली अदालत ने केस रजिस्टर्ड कर प्रभात झा और
हरीशंकर खटीक नामक म.प्र. सरकार के मंत्री के खिलाफ गिरफ्तारी वारंट जारी भी कर
दिये , प्रभात झा और खटीक ने कानूनी कमजोरियों और लचीलेपन का फायद लेकर हाई कोर्ट
से गिरफ्तारी वारंट के अमल पर अस्थायी रोक लगवा कर मामले को हाई कोर्ट में लटका
लिया । लेकिन केस की सूरत यह है कि जैसे जैसे वक्त गुजरेगा यह मामला कभी न कभी न
केवल अवश्य ही कायम होगा बल्कि प्रभात झा को अवश्य जेल तक लेकर जायेगा । ऊँची अदालतों
में जितने भी दिन प्रभात झा सी आर पी सी 482 , रिव्यू और अपील आदि में लटका सकते
हैं लटका कर अधिक से अधिक मामले के लटका कर लंबा खींचने का प्रयास करेंगें , छुपा
राज यह है कि कई भाजपा नेता भी हाई कोर्ट और सुप्रीम कोर्ट में जज बन कर बैठ चुके
हैं । अत: मामला केवल लंबा खींचा जा सकता है, खत्म कोई अदालत नहीं कर सकती , घटना घटित
हुयी है और आरोपीगण ने सार्वजनिक रूप से स्वयं ही घटना का घटित होना और अपनी
सक्रिय भूमिका होना स्वीकार किया है ।
दूसरा
मामला म.प्र. विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष अजय सिंह से जुड़ा हुआ है , जब प्रभात
झा को लगा कि अजय सिंह कांग्रेस के सबसे सशक्त नेता हैं और म.प्र. के अगले मुख्यमंत्री
पद के प्रबल दावेदार हैं तो अजय सिंह को येन केन प्रकारेण निबटाने के लिये प्रभात
झा ने कुछ भी अण्ट शण्ट बक कर अजय सिंह पर रोज ही नये नये अनर्गल आरोप लगाना शुरू
कर दिये , यूं तो राजनीति में इस तरह के आरोप कोई नई बात नहीं हैं लेकिन प्रभात झा
जोश जोश में मुसीबत में तब आये जब उन्होंनें कुछ फर्जी कागजात बना कर अजय सिंह के
खिलाफ आयोग में और पुलिस में शिकायत दी , वस्तुत: मामला यह था कि अजय सिंह ने
आरोपों की झड़ी लगा कर और सारा सच रोजाना सामने ला कर म.प्र. की भाजपा सरकार और
शिवराज सिंह की बुरी तरह चूलें हिला दीं थी जिससे भाजपा का पिछले 9 साल से म.प्र.
में जमा सिंहासन या कमलासन बुरी तरह थर्राने लगा और प्रभात झा एवं शिवराज सिंह
दोनों को ही अपनी नैया बीच वैतरणी में ही डूबती नजर आने लगी । कुछ न सूझा तो अर्जी फर्जी इथ्या मिथ्या कुछ भी
बकना प्रभात झा ने शुरू कर दिया और नकली कागजात बना कर सीधे आयोग में और थाने में
कर दी अजय सिंह के खिलाफ शिकायत ।
अजय
सिंह ने सूचना का अधिकार में आवेदन देकर प्रभात झा द्वारा प्रस्तुत शिकायतें और
शिकायत के समर्थन में दिये गये दस्तावेज हासिल किये और काउण्टर कम्पलेंट पुलिस को
और आयोग को प्रभात झा के खिलाफ एफ.आई.आर. कायमी हेतु दे दी । इस प्रकार की पलट कार्यवाही
की उम्मीद प्रभात झा को कतई नहीं थी , प्रभात झा की सोच थी कि क्या है हम हड़कायेंगें
तो अजय सिंह हड़क जायेंगें और डर कर चुप हो कर बैठ जायेंगें । लेकिन हो गया उल्टा
और उल्टे रोजे प्रभात झा के गले पड़ गये , अजय सिंह की पलट कार्यवाही से प्रभात झा
के उल्टे बांस बरेली को लद गये ।
प्रभात
झा अपनी बदनामी और कानूनी कार्यवाही से इतने दहशतजदा हो गये कि अपने ही एक चेले से
आई पी.सी. 182 के तहत एक आवेदन पुलिस को दिलवा दिया ।
अब क्या है
मुसीबत जो प्रभात झा के लिये है संकट
दरअसल
कानूनी तौर पर आई.पी.सी. की धारा 182 का आवेदन न तो केस की इस स्टेज पर दिया जा
सकता है और न पुलिस उसे दर्ज या कंसीडर कर सकती है जबकि पहले से ही अजय सिंह का
एफ.आई.आर. का आवेदन प्रभात झा के खिलाफ संज्ञेय अपराधों में आजीवन कारावास की
धाराओं में कायमी हेतु पुलिस के समक्ष लंबित है और इस पर कार्यवाही अभी
प्रक्रियाधीन है । जब तक अजय सिंह द्वारा दिया गया प्राथमिकी आवेदन निराकृत नहीं
होता तब तक धारा 182 की कार्यवाही व प्रक्रिया उत्पन्न ही नहीं हो सकती । जबकि अजय
सिंह के पास अभी प्रभात झा के खिलाफ एफ.आई.आर. पर कायमी के कार्यवाही के लिये कई
विकल्प मौजूद हैं , वे म.प्र. विधानसभा में सारी कार्यवाही तलब करा सकते हैं और
म.प्र. विधानसभा से संबंधित लापरवाह या दोषी अधिकारी को निलंबित कराने का प्रस्ताव
ला सकते हैं , सीधे निचली अदालत में आपराधिक प्रकरण कायमी का इस्तगासा ला सकते हैं
, निचली अदालत से ही पुलिस को प्रकरण कायमी करने के आदेश जारी करा सकते हैं , हाई
कोर्ट में सी.आर.पी.सी. सेक्शन 482 एक्सरसाइज कर के पुलिस को एफ.आई.आर. कायमी के
आदेश दिला सकते हैं ।
सुप्रीम
कोर्ट के एक आदेशानुसार एफ.आई.आर. कायमी में लापरवाह या कायमी न करने के दोषी
पुलिस अधिकारी को तुरंत निलंबित कर सेवा से बर्खास्त किये जाने का प्रावधान किया
गया है , इस आदेश के रहते हर तरफ से मुसीबत पुलिस की ही है ।
म.प्र.
पुलिस के समक्ष इस समय बड़ी विषम विडंबना
है कि दो बड़ों की लड़ाई में बेचारी पुलिस पिस रही है , एक तरफ जहॉं कानून का पालन
करना है तो दूसरी ओर मुख्यमंत्री और भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष से सीधा पंगा लेना
है । ऐसी सूरत में पुलिस महज तमाशबीन बन कर रह गई है ।
जारी है अगले अंक में ........