भारत देश का मान-सम्मान इस देश का राष्ट्रगीत और राष्ट्रगान " जन-गण-मन " एवं " वन्दे-मातरम् -वन्दे-मातरम् " जो हर हिन्दुस्तानी को आना चाहिए ! जब भी कोई आपसे पूंछे की आपको राष्ट्रगीत एवं राष्ट्रगान आता है तो हर हिन्दुस्तानी को बड़े फक्र से यह बोलना चाहिए की यह तो हमारी रग-रग में बसा है ! एक हिन्दुस्तानी होने के नाते सर्व-प्रथम हम इसको याद करते हैं ! अगर हमें यह नहीं आता और इसके बारे में हम नहीं जानते तो हमारा हिन्दुस्तानी होना, ना होने के बराबर हैं ! आज देश की लगभग आधी आबादी ऐसी है जिसे ना तो राष्ट्रगीत और राष्ट्रगान पूरा आता है या इसका महत्व को जानते हैं ! देश का आधुनिक युवा तो पाश्चात्य संगीत का ऐसा दीवाना है ! जिसे नहीं मालूम की इनका महत्व क्या है ? इनका अर्थ क्या है ? इन्हें कैसे गाते हैं ! सिर्फ इतना जानते है , की जन-गण-मन , या वन्दे-मातरम् , जैसे गीत हैं जो शायद १५ अगस्त , या २६ जनवरी को ही विशेष रूप से गाया जाता है ! शायद ही कोई इनके रचियता के बारे में जानता हो ! शायद नहीं ! क्योंकि इन गीतों को हम भी सिर्फ इन्हीं मौकों पर गाते हैं या याद करते हैं ! इस देश के मंत्री-संत्री , आला-अधिकारी , जिन्हें सिर्फ घूस लेना आता है , भ्रष्टाचार फैलाना जानते हैं , घोटाले करना और उनसे साफ-साफ बचना जानते हैं , उन्हें भी शायद ये गीत नहीं आता होगा ! हिंदुस्तान में ऐसे बहुत से परिवार हैं जिनमे एक-दो सदस्यों को छोड़ दें या किन्ही किन्ही परिवार के सभी सदस्यों को तक यह गीत नहीं आता होगा ! आज वातावरण इतनी तेजी से बदला है की हम अपनी पहचान अपनी धरोहर अपना मान-सम्मान अपने हाँथ से खो रहे हैं ! कारण हम ही हैं , इस देश में एक ट्रेंड चल पड़ा है या चल रहा है ! "जो दिखता है सो बिकता है " यूँ भी कह सकते हैं की "भेड़ चाल " में हम नंबर १ पर हैं ! इसका ताजा उदाहरण हम सब के सामने है ! फिल्म " दबंग " का यह गीत " मुन्नी बदनाम हुई , डार्लिंग तेरे लिए " आज देश में हर जगह सुना जा रहा है और पसंद किया जा रहा है, क्यों ? इस गाने में आखिर ऐसा क्या है ? इस गाने ने मुन्नी को बदनाम नहीं उसका अच्छा खासा नाम कर दिया है ! मुन्नी को इतना बदनाम या नाम कर दिया है की , वह अपना नाम तक भूल गयी ! शहर से लेकर गाँव-गाँव तक , गली-गली , हर नुक्कड़ , मोहल्ले हर चौराहों पर , उसकी बदनामी रेडियो, मोबाइल , टीव्ही पर सुनी जा सकती है ! आज हर कोई मुन्नी को बदनाम कर रहा है ! बच्चे , बूढ़े और जवान जिसे देखो मुन्नी के पीछे हाँथ धोकर पीछे पड़ गया है ! आलम यह है की अभी पिछले दिनों हमारे शहर में श्रीगनपति विसर्जन एवं शारदीय नवरात्र में , किसी के जन्म-दिन पर , किसी की शादी पर , रात-रात भर मुन्नी को बदनाम किया गया है ! जब हमारे दिल-दिमांग में मुन्नी होगी तो हमारी जुबान पर राम नाम कैसे होगा ! जब आज के बच्चे भद्दे गीतों को ही अपना पसंदीदा बना लेंगे तो " श्लोक " कैसे सीखेंगे ! यह बात सिर्फ इस गीत के लिए ही नहीं है वरन ऐसे कई गीत हैं जो अपनी छाप लम्बे समय तक छोड़ गए ! भले ही उन गीतों का ना तो कोई अर्थ था और न ही महत्व ! आज फूहड़ता पैसा कमाने का अच्छा साधन हैं ! क्या आप भी फूहड़ता पसंद करते हैं ?
इस देश का यह कडवा सच है , या यूँ भी कह सकते हैं इस देश का ऐसा दुर्भाग्य जिसे अब कोई बदल नहीं सकता ! जब फूहड़ गानों की बात आती है तो बच्चा - बच्चा उनका ऐसा दीवाना हो जाता जैसे पता नहीं किसी लेखक ने कोई राष्ट्रगीत लिख दिया हो ! जिसे गाने से हमारा मान-सम्मान बढता हो ! आज से ७०-८० वर्ष पूर्व भी गीत बनते थे और लोग उनको गुनगुनाया भी करते थे ! किन्तु उस वक़्त राष्ट्रगीत एक पहचान थी हम हिन्दुस्तानियों की ! बच्चा बच्चा वन्दे-मातरम् का महत्त्व जानता था ! किन्तु अब ऐसा नहीं है ! अंग्रेजी माध्यम की पढ़ाई में ये देशी गीत क्या मायने रखते हैं ? कोई POP-ROCK , PARTY गीत हो तो मजा आ जाए ! हम सब , हमारी वर्तमान पीढ़ी और भविष्य अब पूरी तरह खो चुके हैं चकाचौंध और आधुनिक दुनिया के आधुनिक गीतों में !
क्या आपको राष्ट्रगीत , राष्ट्रगान आता है ? यह आप अपने दिल पर हाँथ रख कर बोलें , यदि नहीं आता तो इसे पहले कंठस्थ कीजिये ! कहीं किसी दिन आपके बच्चे ने आपसे पूंछ लिया की ये राष्ट्रगीत, राष्ट्रगान क्या होता है ? और कैसे गाते हैं ? उस वक़्त कहीं आपको शर्मिंदा ना होना पड़े !
धन्यवाद
संजय जी आपने सवाल सही उठाया है। लेकिन कई सवाल एक साथ उठा दिए हैं। इनमें से कई का आपस में कोई संबंध नहीं है। आज देश की सत्तर फीसदी आबादी ऐसी है जो एक समय खाना खाकर गुजारा करती है या कहें कि आधे पेट खाकर गुजारा करती है। उस आबादी को अगर यह पता भी हो कि राष्ट्रगान या राष्ट्रगीत क्या है उसे कैसे गाते हैं तो भी उसका पेट नहीं भर जाएगा। देश की आधी आबादी को शायद यह भी नहीं पता होगा कि उसके देश का नाम क्या है,कितने राज्य हैं,कौन प्रधानमंत्री,राष्ट्रपति या उसके राज्य का मुख्यमंत्री कौन है। यह तो छोडि़ए उसके जिले या तहसील का हाकिम कौन है उसे यह भी नहीं पता होगा। लेकिन वे सब यहीं रहते हैं जिसे हम हिन्दुस्तान या भारत कहते हैं। सवाल यह भी है कि यह सब जानकारी होने से उसे कोरे स्वाभाविमान के अलावा और क्या मिलने वाला है।
दूसरी बात मैं राष्ट्रगीत या राष्ट्रगान की उतनी ही इज्जत करता हूं जितनी आप करते हैं। लेकिन आज अगर आप उनके शब्दों की व्याख्या करें तो पाएंगे कि उनमें कही गई बातों में कितनी सच्चाई बची है। जो कुछ उनमें कहा गया है वह तो हमें कहीं दिखाई नहीं देता। तो फिर आज का युवा या बच्चे उसे क्यों याद रखें। हां अब एक औपचारिकता निभानी है तो वह जब समय आता है तब निभा देते हैं।
तीसरी बात मुन्नी से आपकी नाराजी समझ में नहीं आती। हमारे भारतीय समाज में फिल्मों का बहुत महत्व रहा है। इसलिए क्योंकि वे आम आदमी के सपनों को परदे पर उतारती रही हैं। और हर दौर में कई गीत मुन्नी की तरह आम आदमी की जुबान पर चढते रहे हैं। इसमें कई बार शब्दों का कमाल होता है और कई बार संगीत का। आज का दौर मोबाइल दौर है जो हर कई गीत संगीत को आसानी से उपलब्ध करवा दे रहा है। इसलिए मुन्नी आपको हर जगह मिल जा रही है। इसलिए मुन्नी की लोकप्रियता को राष्ट्रगान या राष्ट्रगीत के साथ मत रखिए। आज मुन्नी है तो कल को कोई मुन्ना या दूसरा गाना होगा। यह आता जाता रहेगा। राष्ट्रगान या राष्ट्रगीत एक स्थायी भाव है। पर विडम्बना यह है कि हमने उन्हें इतना स्थायी बना दिया है कि वे बेमानी हो गए हो गए हैं। कभी इस पर भी विचार कीजिए।
--
आपको यह संदेश इसलिए प्राप्त हुआ क्योंकि आपने Google समूह "हिमधारा" समूह की सदस्यता ली है.
इस समूह में पोस्ट करने के लिए, himd...@googlegroups.com को ईमेल भेजें.
इस समूह से सदस्यता समाप्त करने के लिए, himdhara+u...@googlegroups.com को ईमेल करें.
और विकल्पों के लिए, http://groups.google.com/group/himdhara?hl=hi पर इस समूह पर जाएं.