भजन से पहले
नाम 'कुमुद' है भक्ति का अंदाज़ निराला है
कहती है गा गा के आज श्याम बाबा को मनाना है
फूलों का श्रृंगार श्याम बाबा को लगता प्यारा
भजनों के फूलों से यह दरवार सजाना है
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मैं 'दीपक कुल्लुवी' हूँ मुझे है प्यार बाबा से
यह वोह दर है जो मिलाता है मुकद्दर से
हम भी बाबा की रहमत आजमाने आयें हैं
श्याम बाबा से हम भी आज प्यार पाने आये हैं
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हे शीश के दानी
तेरी महिमा अपरम्पार
गाते रहें हम लिखते रहें
हमें देना यह वरदान
दीपक शर्मा कुल्लुवी
०९१३६२११४८६
२४-११-२०१०.