Fwd: Do's & Dont's during Lunar Eclipse (Chandra Grahan) !

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गिरिराज डागा

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Jan 30, 2018, 5:18:41 AM1/30/18
to Dimple Dipak, Shekhar Kelkar, Swapnil Kavitake, twitt...@googlegroups.com, yss...@gmail.com, Akhil Bharatiya Shri Yog Vedant Seva Samiti, nisheet, -a r u n-, Aapatkalin Sewa, Abhivyakti Sharma, amar prakash dwivedi, Amit Nanda, amreek singh, Anjali Kansal, asarambapucalgary, Ashram News, Ashram News Bulletin, Ashram Seva Team, ashram-facebook-group, ashram-website-group, Ashram.media, ashram_live, ashramindia, ashramsewateam​, Bal Sanskar Kendra, Balsanskar Ashram, Bipin Rai, devender yadav, Facebook Admins Group, feedback sewa, Hari Om, Hari Om, hariom-brothers, hariomblr digest subscribers, HariOmGroup, HariomGroup-owner, Hetal Patel, HGT, Hyderabad Sadhaks, II SPS II Satsang Prachar Sewa, ila singh, jago hindu, Kamal Sharma, Krishna Dua, Mahila Utthan Mandal Ashram, Mahila Utthan Trust SSAA, Mangalmay Channel, Mangalmay Channel, Mangalmay Channel, Maulik Zalavadia, naresh motwani, Nishant Sharma, omsadguruom, Pallavi Chauhan, Poonam Jha, pranav kumar gupta, Pritesh Patel, prittam chand, r raman, Rishi Prasad, rishiprasad.aurangabad, Rita Sachdeva, Rupesh Saigal, Sant Amritvani, Santhosh, se...@ashram.org, Shailee Adhikari, shekhar_gadewar, Sidhnath Agarwal, socialmedia-suprachar-team, Subodh Joshi, SUPRACHAR SEWA, Taruna, vaibhav shinde, Vijay Pandita, virendra shyamani, vishal.ashram, worldwideseva, y...@ashram.org, || Rishi Prasad ||, ट्विटर सेवा टीम, भरद्वाज वर्मा, मनोज भाई (आश्रम), सुनिल गडकर

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चंद्रग्रहण में पालन करने योग्य बातें -

चंद्रग्रहण तिथि31 जनवरी 2018

सूतक काल –

अंतरिक्ष प्रदुषण के समय को सूतक काल कहा जाता है।

 

सूर्यग्रहण में सूतक 12 घ्ंटे पहले और चंद्रग्रहण में सूतक 9 घंटे पहले लगता है

 

सूतक काल में भोजन तथा पेय पदार्थों के सेवन की मनाही की गयी है तथा देव दर्शन वर्जित माने गये हैं 

 

हमारे ऋषि मुनियों ने सूर्य चन्द्र ग्रहण लगने के समय भोजन करने के लिये मना किया है, क्योंकि उनकी मान्यता थी कि ग्रहण के समय में कीटाणु बहुलता से  फैल जाते हैं

 

इसलिये ऋषियों ने पात्रों में क़ुश अथवा तुलसी डालने को कहा है, ताकि सब कीटाणु कुश में एकत्रित हो जायें और उन्हें ग्रहण के बाद फेंका जा सके।

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ग्रहण वेध के पहले जिन पदार्थों में कुश या तुलसी की पत्तियाँ डाल दी जाती हैंवे पदार्थ दूषित नहीं होते।

 

पात्रों में अग्नि डालकर उन्हें पवित्र बनाया जाता है, ताकि कीटाणु मर जायें।

 

जीव विज्ञान विषय के प्रोफेसर टारिंस्टन ने पर्याप्त अनुसन्धान करके सिद्ध किया है कि सूर्य चन्द्र ग्रहण के समय मनुष्य के पेट की पाचन शक्ति कमजोर हो जाती है, जिसके कारण इस समय किया गया भोजन अपच, अजीर्ण आदि शिकायतें पैदा कर शारीरिक या मानसिक हानि पहुँचा सकता है

ग्रहण काल में "" करने योग्य बातें :-
1.
ग्रहण की अवधि में तेल लगाना, भोजन करना, जल पीना, मल-मूत्र त्याग करनासोना, केश विन्यास करना, रति क्रीडा करना, मंजन करना, वस्त्र नीचोड़्नाताला खोलना, वर्जित किए गये हैं


2.
ग्रहण के समय सोने से रोग पकड़ता हैलघुशंका करने से घर में दरिद्रता आती हैमल त्यागने से पेट में कृमि रोग पकड़ता हैस्त्री प्रसंग करने से सूअर की योनि मिलती है और मालिश या उबटन किया तो व्यक्ति कुष् रोगी होता है।

 

3. देवी भागवत में आता हैः सूर्यग्रहण या चन्द्रग्रहण के समय भोजन करने वाला मनुष्य जितने अन्न के दाने खाता हैउतने वर्षों तक अरुतुन्द नामक नरक में वास करता है।

फिर वह उदर रोग से पीड़ित मनुष्य होता है फिर गुल्मरोगी,  काना और दंतहीन होता है।

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4. सूर्यग्रहण में ग्रहण से चार प्रहर पूर्व और चंद्रग्रहण में तीन प्रहर पूर्व भोजन नहीं करना चाहिए (1 प्रहर = 3 घंटे)

बूढ़े, बालक और रोगी एक प्रहर पूर्व खा सकते हैं


5.
ग्रहण के दिन पत्ते, तिनके, लकड़ी और फूल नहीं तोड़ना चाहिए


6. '
स्कंद पुराणके अनुसार ग्रहण के अवसर पर दूसरे का अन्न खाने से बारह वर्षो का एकत्र किया हुआ सब पुण्य नष्ट हो जाता है


7.
ग्रहण के समय कोई भी शुभ या नया कार्य शुरू नहीं करना चाहिए।


8.
ये शास्त्र् की बातें हैं इसमें किसी का लिहाज नहीं होता।

ग्रहण काल में करने योग्य बातें:-
1.
ग्रहण लगने से पूर्व स्नान करके भगवान का पूजन, यज्ञ, जप करना चाहिए


2.
भगवान वेदव्यास जी ने परम हितकारी वचन कहे हैं- चन्द्रग्रहण में किया गया पुण्यकर्म (जपध्यानदान आदि) एक लाख गुना और सूर्य ग्रहण में दस लाख गुना फलदायी होता है।

यदि गंगा जल पास में हो तो चन्द्रग्रहण में एक करोड़ गुना और सूर्यग्रहण में दस करोड़ गुना फलदायी होता है।

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3. ग्रहण के समय गुरुमंत्रइष्टमंत्र अथवा भगवन्नाम जप अवश्य करें,   करने से मंत्र को मलिनता प्राप्त होती है।


4.
ग्रहण समाप् हो जाने पर स्नान करके ब्राम्हण को दान करने का विधान है


5.
ग्रहण के बाद पुराना पानी, अन् नष् कर नया भोजन पकाया जाता है, और ताजा भरकर पीया जाता है।


6.
ग्रहण पूरा होने पर सूर्य या चन्द्रजिसका ग्रहण होउसका शुद्ध बिम्ब देखकर भोजन करना चाहिए।


7.
ग्रहणकाल में स्पर्श किये हुए वस्त्र आदि की शुद्धि हेतु बाद में उसे धो देना चाहिए तथा स्वयं भी वस्त्रसहित स्नान करना चाहिए।


8.
ग्रहण के समय गायों को घास, पक्षियों को अन्, जरूरत मंदों को वस्त्र् दान देने से अनेक गुना पुण् प्राप् होता है।

गर्भवती स्त्रियों के लिये विशेष सावधानी –
गर्भवती स्त्री को सूर्यचन्द्रग्रहण नहीं देखना चाहिए, क्योकि उसके दुष्प्रभाव से शिशु अंगहीन होकर विकलांग बन जाता है

 

गर्भपात की संभावना बढ़ जाती है

 

इसके लिए गर्भवती के उदर भाग में गोबर और तुलसी का लेप लगा दिया जाता है, जिससे कि राहू केतू उसका स्पर्श करें।

ग्रहण के दौरान गर्भवती स्त्री को कुछ भी कैंची, चाकू आदि से काटने को मना किया जाता है, और किसी वस्त्र आदि को सिलने से मना किया जाता है

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क्योंकि ऐसी मान्यता है कि ऐसा करने से शिशु के अंग या तो कट जाते हैं  या फिर सिल (जुड़) जाते हैं

ग्रहण के समय मंत्र  सिध्दि :-
1.   
ग्रहण के समय “  ह्रीं नमः” मंत्र का 10 माला जप करें इससे ये मंत्र् सिध् हो जाता है

फिर अगर किसी का स्वभाव बिगड़ा हुआ है, बात नहीं मान रहा है, इत्यादि तो उसके लिए हम संकल् करके इस मंत्र् का उपयोग कर सकते हैं


2.  
ग्रहण के समय उपवासपूर्वक ब्राह्मी घृत का स्पर्श करके ' नमो नारायणायमंत्र का आठ हजार जप करने के पश्चात ग्रहण शुद्ध होने पर उस घृत को पी ले।

ऐसा करने से वह मेधा (धारणाशक्ति), कवित्वशक्ति तथा वाकसिद्धि प्राप्त कर लेता है।

ग्रहण के समय:-

1. ग्रहण के सोने से रोग पकड़ता है किसी कीमत पर नहीं सोना चाहिए।


2. 
ग्रहण के समय मूत्र्त्यागने से घर में दरिद्रता आती है


3.
शौच करने से पेट में क्रीमी रोग पकड़ता है

ये शास्त्र् की बातें हैं इसमें किसी का लिहाज नहीं होता।

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4. ग्रहण के समय संभोग करने से सूअर की योनी मिलती है


5. 
ग्रहण के समय किसी से धोखा या ठगी करने से सर्प की योनि मिलती है


6. जीव-जन्तु या किसी की हत्या करने से नारकीय योनी में भटकना पड़ता है


7. 
ग्रहण के समय भोजन अथवा मालिश किया तो कुष् रोगी के शरीर में जाना पड़ेगा।


8. 
ग्रहण के समय बाथरूम में नहीं जाना पड्रे ऐसा खायें।


9. 
ग्रहण के दौरान मौन रहोगे, जप और ध्यान करोगे तो अनन् गुना फल होगा।

ग्रहण में क्या करें, क्या करें ?

चन्द्रग्रहण और सूर्यग्रहण के समय संयम रखकर जप-ध्यान करने से कई गुना फल होता है।

 

श्रेष्ठ साधक उस समय उपवासपूर्वक ब्राह्मी घृत का स्पर्श करके ' नमो नारायणायमंत्र का आठ हजार जप करने के पश्चात ग्रहणशुद्धि होने पर उस घृत को पी ले।

 

ऐसा करने से वह मेधा (धारणशक्ति), कवित्वशक्ति तथा वाक् सिद्धि प्राप्त कर लेता है।

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सूर्यग्रहण या चन्द्रग्रहण के समय भोजन करने वाला मनुष्य जितने अन्न के दाने खाता है, उतने वर्षों तक 'अरुतुन्दनामक नरक में वास करता है।

 

सूर्यग्रहण में ग्रहण चार प्रहर (12 घंटे) पूर्व और चन्द्र ग्रहण में तीन प्रहर (9) घंटे पूर्व भोजन नहीं करना चाहिए।

 

बूढ़े, बालक और रोगी डेढ़ प्रहर (साढ़े चार घंटे) पूर्व तक खा सकते हैं।

 

ग्रहण-वेध के पहले जिन पदार्थों में कुश या तुलसी की पत्तियाँ डाल दी जाती हैं, वे पदार्थ दूषित नहीं होते।

 

पके

...

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