१) इस बात पर उसी मीडिया ने यह बोला की ‘पीड़िता’ ने अपना विचार बदल दिया है। प्रश्न यह है की अगर लड़की
स्वयं बोल रही है की उसके साथ बापूजी का कोई गलत व्यव्हार नही हुआ तो
मीडिया अभी भी उसको ‘पीड़िता’ क्यों कह रही है? वैसे भी उसके लगाये आरोप
साबित नही हुए है। तो उसको ‘पीड़िता’ क्यू कह रहे हैं ?
२) लड़की ने यह भी बोला था की उसने बयान दबाव में दिए थे। हमारा प्रश्न यह है की जब उस लड़की
ने ऐसा बोला तो मीडिया ने इस बात को क्यों ठीक ढंग से प्रसारित नही किया
गया? क्यों वह बार-बार बोलते रहे कि ‘पीड़िता’ ने बयान बदला ?
३) लड़की ने ऐसी इच्छा करने के बाद सरकारी वकील ने यह बोला की एक बार बयान दिया फिर उसको बदला कैसे जा सकता है, जब कि लड़की स्वयं अपना बयान बदलना चाहती है तो फिर भी उसका वकील ऐसे करने से उसे क्यों रोक रहा है?
४) करोड़ो के पूजनीय संत को एक लड़की की झूठी फरियाद के कारण जेल में रखा गया है। कानून व्यवस्था ने उसी लड़की की दूसरी बात को क्यू तुरंत महत्व नही दिया?
इसलिए साधको को कुछ ऐसे भृष्ट मीडिया से बचे रहने की हिदायत दी जाती है ।
वे खबरे कम और अफ्वाह ज्यादा पहुचाते है। कुछ मीडिया चैनलों के कई काम देश
को तोड़ने के चल रहे है। इसलिए सच्चाई जानने के लिए आश्रम की वेबसाइट से जुड़े रहे ।