शाकाहार और स्वास्थ्य
(गीता-दैनदिनी, वर्ष २०१३, गीता प्रेस गोरखपुर ,भारत से सग्रहित)
शाकाहार एक विशुद्ध जीवन प्रणाली है, जिसका भारतीय संस्कृति से बहुत गहरा सम्बन्ध है
। इसलिए अध्यात्मिक, नैतिक, आर्थिक,
अहिंसा, प्रकृति, योग
एवं पर्यावरण की दृष्टी से शाकाहार ही उत्तम पदार्थ हैं । परन्तु जो सबसे बड़ी बात
है, जो पाश्चात्य देशों में भी शाकाहार की और आकर्षित कर रही
है वह है शाकाहार के द्वारा स्वास्थ्य रक्षा । वैज्ञानिक आकड़ों और
स्वास्थ्य-विशेषज्ञों के शोध से यह प्रमाणित हो गया है कि शाकाहार में प्रोटीन,
कार्बोहाइड्रेट और कैलोरी मांसाहार की तुलना में अधिक मात्रा में
पाया जाता है । प्रोटीन, कार्बोहाइड्रेट और कैलोरी की दृष्टी
से शाकाहार उत्तम आहार है । आम, केला, अंगूर,
सेव, विभिन्न प्रकार की दाले, गेहूं, चावल, आलू एवं विभिन्न
प्रकार की सब्जियाँ स्वास्थ्य के लिए सर्वोत्तम आहार हैं ।
वैज्ञानिकों ने यह
भी सिद्ध कर दिया है कि जो व्यक्ति मॉस, मछली और अन्डे खाते हैं, उनके शरीर में रिसेप्टरों
की संख्या में कमी हो जाती है, जिससे रक्त के अन्दर
कोलेस्ट्रोल की मात्र अधिक हो जाती है । इससे हृदय, गुर्दे
आदि महत्वपूर्ण अंग रोगग्रस्त हो जाते हैं ।
यही कारण है कि
इंटरनेशनल वेजीटेरियन यूनियन और शाकाहारी संस्थाओं द्वारा शाकाहार को विदेशों में
बहुत सम्मान की दृष्टी से देखा जाता है । सन 1985
ई० के लगभग 60 लाख अमेरिकन शाकाहारी थे,
किन्तु एक नवीनतम सर्वेक्षण के अनुसार अमेरिका में दो तिहाई घरों
में शाकाहार खाया जाता है ।
मासाहार से जीवों की
हत्या-जैसा जघन्य पाप तो होता ही है, जिससे मनुष्य में तामसिक स्वाभाव की वृद्दि होती है, जिससे अनेक प्राणघातक बीमारियाँ पैदा होती हैं ।
अत: धर्म और
स्वास्थ्य दोनों दृष्टी से मॉस, मछली, अन्डे आदि पदार्थों का सर्वथा त्याग कर देना
चाहिये और शाकाहारी जीवन बिताना चाहिये।
यह लेख
...गीता-दैनदिनी, वर्ष २०१३,
गीता प्रेस गोरखपुर , भारत....से सग्रहित....