पदरत्नाकर - पद -४० - श्रीहनुमान प्रसाद जी पोद्दार भाईजी

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Gita Press Literature

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May 8, 2013, 12:56:21 AM5/8/13
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४०

(राग भीमपलासी-ताल कहरवा)

श्यामा-श्याम युगल चरणोंमें करुण प्रार्थना है यह आज।

सुनो दयामयि ! करुणामय हे ! महाभावरूपा ! रसराज !॥

गोकुलचन्द्र, गोपिकावल्लभ, राधाप्रिय, हे आनँदकन्द !।

दिव्यरसामृत-सरिता जिनके रस-लोलुप सत्‌‌-चित्‌-‌आनन्द॥

मंगलमय यश सुनूँ तुहारा, करूँ नाम-यश-गुण नित गान।

उभय पाद-पद्मोंकी सेवा करूँ नित्य तज सब अभिमान॥

कृष्णप्रिया-शिरोमणि रसमयि ! रसमय प्रभु ! हे श्यामा-श्याम !।

रहै बरसती कृपा तुम्हारी नित्य अधम जनपर अविराम॥

रक्खो सदा शरणमें ही निज इस पामरको विरद विचार।

जर्जर देह-प्राण-मन अब तो रहें न पलभर तुहें बिसार॥

- श्रीहनुमान प्रसाद जी पोद्दार- भाईजी , पदरत्नाकर पुस्तक से , कोड- ५० , गीताप्रेस गोरखपुर

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40 Shyama Shyam yugal charno me .mp3
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