इस माहौल मे हमारा जुलूस सामने से निकला नारे लग रहे थे निकम्मा कामचोर
अफ़जल गुरू हाय हाय । इसे देख दीपक भाजपाई खुशी से उछल पड़े बोले दवे जी
कसाब का नाम भी लेते तो मामला और जम जाता । हमने कहा भाई ये हमारा जुलूस
है अलग एजेंडे का आपका इसमे रोल नही है । शर्मा कांग्रेसी ने मुंह बनाया
क्यो बनते हो भाई मीडिया हो या भाजपा कुछ कहने को न हो तो कसाब और अफ़जल
गुरू का नाम ले लेते हैं । हमने कही भाई तुम दोनो बात समझ ही नही रहे
हो नारे पर ध्यान दो हम शिकायत कर रहें हैं अफ़जल गुरू से और उसे कोस रहे
हैं उसकी नाकामी पर । और शर्मा कांग्रेसी आपसे तो अब उम्मीद ही नही है ।
वो तो आदत पड़ गयी है तो आप को कोस लेते हैं ।
इसी बात पर सुनिये जान एलिया साहब की शायरी
अब फ़कत आदतो की वर्जिश है ।
रूह शामिल नही शिकायत में ॥
ये कुछ आसान तो नही है लेकिन ।
हम रूठते अब भी है मुरव्वत में ॥
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