अंबेडकर अस्पताल में पहली बार हुई किडनी की एंजियोप्लास्टी
रायपुर (निप्र)। अभी तक आपने हार्ट की ही एंजियोप्लास्टी सुनी होगी, लेकिन डॉ. भीमराव अंबेडकर अस्पताल में पहली बार किडनी की सफल एंजियोप्लास्टी की गई है। इससे मरीज की दोनों किडनियों को खराब होने से बचा लिया गया। किडनी की नस के ब्लॉकेज को खोलने के लिए वही तकनीक अपनाई गई जो हृदय की धमनियों में आए ब्लॉकेज को खोलने में अपनाई जाती है। मरीज अब स्वस्थ है। अस्पताल के नेफ्रोलॉजिस्ट डॉ. पुनीत गुप्ता और कार्डियोलॉजिस्ट डॉ. स्मित श्रीवास्तव की टीम ने यह सफलता हासिल की है।आरंग निवासी 52 वर्षीय गंगूराम साहू लंबे समय से हाई ब्लड प्रेशर (बीपी) की समस्या से जूझ रहे थे। जब वे समस्या लेकर अंबेडकर अस्पताल पहुंचे तो उनकी किडनी और हार्ट दोनों की जांच की गई। तब पता चला कि वे किडनी और हार्ट दोनों की बीमारियों से ग्रसित हैं।तत्काल नेफ्रोलॉजिस्ट डॉ. पुनीत गुप्ता और कार्डियोलॉजिस्ट डॉ. स्मित श्रीवास्तव ने संयुक्त रूप से गंगूराम की जांच शुरू की। पहले उसका कलर डाप्लर करवाया गया, जांच में पुष्टि हुई की हार्ट की तीन में से एक धमनी पूरी तरह से बंद है। बाईं धमनी में 80 और दाईं में 90 फीसदी ब्लॉकेज है, जिसे चिकित्सकीय भाषा में ट्रिपल वेसल डिसीज या कोलोनरी आर्टिलरी डिसीज कहा जाता है। रिनल एंजियोग्राफी करने पर सामने आया कि मरीज किडनी की बीमारी 'रिनल आर्टरी स्टेनोसिस' से भी पीड़ित है। अब चुनौती यह थी कि हार्ट और किडनी की एंजियोप्लास्टी एक साथ की जाए या अलग-अलग।दोनों सुपरस्पेशलिस्ट डॉक्टर्स ने निर्णय लिया कि किडनी की एंजियोप्लास्टी पहले करनी चाहिए ताकि किडनी को सुरक्षित किया जा सके। अंबेडकर अस्पताल में किसी मरीज की किडनी की एंजियोप्लास्टी का यह पहला ऑपरेशन था। प्रदेश के किसी भी सरकारी अस्पताल में इससे पहले यह तकनीक नहीं अपनाई गई।'नईदुनिया' से बातचीत में नेफ्रोलॉजिस्ट डॉ. गुप्ता ने बताया कि भविष्य में मरीज को अब किडनी से संबंधित कोई समस्या नहीं होगी। वहीं कार्डियोलॉजिस्ट डॉ. श्रीवास्तव का कहना है कि हार्ट में काफी ब्लॉकेज हैं, जितनी जल्दी हो सके, उसकी बायपास सर्जरी होनी चाहिए, यह सलाह मरीज को दी जा चुकी है। उन्होंने कहा कि शनिवार को एक बार फिर मरीज के हार्ट की जांच की जाएगी।बाहर खर्च डेढ़ लाख रुपए-मरीज ने एंजियोप्लास्टी के लिए संजीवनी कोष में आवेदन कर रखा था, इसलिए इलाज पूरी तरह से निःशुल्क हुआ। जबकि निजी अस्पतालों में एंजियोप्लास्टी का खर्च 1 लाख 30 हजार से डेढ़ लाख रुपए तक है।बीमारी का कारण- जन्मजात या फिर मल्टीपल इन्फेक्शन (संक्रमण)।कैसे पहचानें बीमारी- गुस्सा आना, चिड़चिड़ापन, सिर दर्द, कमजोरी लगना, थकान महसूस होना।ऑपरेशन सफल रहामरीज जिस स्थिति में आया था, उसका बीपी काफी हाई था। तमाम जांच करवाने के बाद पता चला कि वह किडनी और हार्ट दोनों की बीमारियों से ग्रसित हैं। अंबेडकर अस्पताल में आज से पहले कभी किडनी की एंजियोप्लास्टी नहीं की गई थी, यह पहला केस है। ऑपरेशन सफल रहा और मरीज का बीपी सामान्य है, वह ठीक है।डॉ. पुनीत गुप्ता, नेफ्रोलॉजिस्ट, डॉ. अंबेडकर अस्पतालबाइपास करने की जरूरतजिस तरह हम हार्ट की एंजियोप्लास्टी करते हैं, ठीक वही तकनीक किडनी में अप्लाई की गई। किडनी की नस में संट डालकर उसके ब्लॉकेज को खोल दिया गया है। मरीज की हार्ट की तीन धमनियों में से एक पूरी तरह से बंद है और दूसरी और तीसरी नस में 80 और 90 फीसदी ब्लॉकेज है। मरीज को बाइपास सर्जरी करवाने की सलाह दी गई है।
डॉ. स्मित श्रीवास्तव, कार्डियोलॉजिस्ट, डॉ. अंबेडकर अस्पताल