GNCTD/E/2024/0003203
01/06/2024
आज सुबह (30/05/2024) को जब में कुछ अन्य पौधो को पानी देने गया तो देखा कि लगभग 20 स्व उगने वाले वृक्षों कि हत्या कर दी गई है । यह एक हृदय विदारक दृश्य था । यह स्थान है भूखंड 13 के पीछे, सेक्टर 12, द्वारका, जिला दक्षिण-पश्चिम । जिन वृक्षों का पालन प्रकृति कर रही थी और जो हमसे कुछ नहीं मांग रहे थे उन पर आरी चला दी गई। ये पेड़ पटरी पर यथा स्थान स्थित थे। इस भीषण गर्मी में जब पेड़ों द्वारा उत्पन्न छाँव व ठंडक अमृत के समान है इनका निर्दयता से खून कर दिया गया। यह कृत्य कर्त्तव्य-हीनता, संवेदनहीनता तथा बुद्धि हीनता कि चरम अवस्था और समाज के साथ किया जाने वाला अपराध है । जब दिल्ली 52 डिग्री तपिश से झुलस रही है इन बढ़ते पेड़ों को नष्ट कर दिया गया। कितनी बड़ी दुविधा है कि जो वृक्ष मानव लगा रहा है उनको तो जीवित रखना मुश्किल हो रहा है और जो अपने आप उग रहे थे उनको काट दिया? आज पर्यावरण जिस मुश्किल घड़ी से गुजर रहा है एक-एक वृक्ष का बहुत महत्त्व है। एमसीडी ने आज तक यहाँ एक भी पेड़ लगाया नहीं और अपने आप उगने वाले सभी पौधों को ये रौंद डालते हैं। क्या एक भी समझदार अधिकारी बाकी नहीं रहा?
पिछले वर्ष भी इनको मुश्किल से बचाया गया था अब जबकि मुझे लग रहा था की ये मूर्खता पूर्ण हरकतों से बच चुके हैं कांड कर दिया गया। इनको काट कर क्या लाभ हुआ? ये भविष्य में और विकास को प्राप्त करते पर पहले ही इनको मिट्टी में मिला दिया गया। चित्र संलग्न हैं। ऐसा पहली बार नहीं हुआ कि खुद उगने वाले सभी पौधों को काट दिया गया है। ठेकादार को आदेश दे कर अधिकारी आराम फरमाते हैं। ठेकेदार नीचे मजदूरों को लगा देता है। और वे लोग बिना किसी सोच समझे सभी पौधों की क्रिया-कर्म कर देते हैं। मजदूरों का काम है सब काटना। पौधों के आसपास पत्थर रखने पर भी उनको काट दिया जाता है। हर वर्ष बारिश में बहुत से अंकुर फूटते हैं पर सबको निर्ममता से कुचल दिया जाता है । यह जांच का विषय है कि इन वृक्षों को काटने से अधिकारियों को क्या लाभ?
इस घोर लापरवाही के कर्ता के विरुद्ध को सख्त से सख्त कार्रवाई की जानी चाहिए।