संबन्धित विभाग : व्यय विभाग, वित्त मंत्रालय
भवन निर्माण की सरकारी परियोजनाओं में एक विशेष प्रकार की कमी देखी गई है। कई जगहों पर जरूरत के अनुसार, शुरुआती चरण में केवल भूतल या एक-दो मंजिलों के भवन बनाए जाते हैं। इस दौरान, भविष्य में भवन के लम्बवत विस्तार की संभावना को ध्यान में नहीं रखा जाता और भवन की नींव पर्याप्त सुदृढ़ता से नहीं रखी जाती है। बाद में जब विस्तार की आवश्यकता होती है तो नींव को बदलना संभव नहीं होता, जिसके कारण पुराने भवन की भविष्य में विस्तार की संभावनाएं समाप्त हो जाती हैं और बहुत सारा स्थान बेकार हो जाती है। नए निर्माण में अतिरिक्त भूमि के अतिरिक्त अन्य संसाधनों का उपयोग करना पड़ता है, जिन्हें अन्यथा बचाया जा सकता था।
इस समस्या को दूर करने और संसाधनों का बेहतर उपयोग सुनिश्चित करने के लिए, इस मामले में विचार किया जाए व भवन निर्माण के नियमों में "भविष्य-अनुकूल नींव" के प्रावधानों को शामिल करने हेतु दिशा-निर्देश जारी किए जाने चाहिए। इससे भवन निर्माणकर्ता संस्था भविष्य की ज़रूरतों को ध्यान में रखकर योजना बना सके संसाधनों के और बाद में होने वाले खर्च और बर्बादी से बच सके।