PRSEC/E/2025/0037119
संबन्धित विभाग : शहरी विकास मंत्रालय, भारत सरकार
दिल्ली में हर स्थान पर अतिक्रमण दृष्टिगोचार है। यह कुछ वर्ग फीट से लेकर कई एकड़ तक है। पिछले कुछ अरसे से एमसीडी/डीडीए भी इस के लिए गतिशील दिख रहे हैं तथा कई स्थानों पर रोधी अभियान के तहत जगह मुक्त करवाई जा रही है। सर्वोच्च न्यायालय के निर्णय के अनुसार किसी भी अतिक्रमण के लिए संबन्धित काल खंड में नियुक्त अभियंता का दायित्व निर्धारण किया जाएगा चाहे वो अधिवर्षिता ही क्यों न प्राप्त कर चुका हो । अभी हाल ही में जितने भी अतिक्रमण रोधी अभियान चलाये जा रहे हैं अगर उन सभी स्थानों के लिए एमसीडी/डीडीए ने संबन्धित कर्मी का दायित्व निर्धारण नहीं किया तो कुछ समय पश्चात पुनः वही स्थिति होगी। हम उसी दोराहे पर खड़े होंगे और ये सब कार्रवाई व्यर्थ हो जाएगी। पहले कब्जा होने दो फिर अभियान चलाओ, ध्वस्तिकरण से जिन निर्माण संसाधनों का अपव्यय होता है उसका जिम्मा कौन लेगा? उत्पन्न प्रदूषण किसके खाते में जाएगा? झुग्गी वालों को बार-बार दिये जाने वाले पक्के मकानों से कर दाताओं पड़ने वाले बोझ हेतु किसकी गर्दन नपेगी? झुग्गी के लालच में बांग्लादेश से आने वाली भीड़ से हमारे समाज के बिगड़ते ढांचे को दुरुस्त कौन करेगा। दीर्घ अवधि में अतिक्रमण की परिणति भारतीय समाज को पूर्णतया नष्ट करने तक भी जा सकती है। अतः नियमों के अनुपालन में ढिलाई हेतु सभी दोषी अधिकारी पर कड़ाई से निर्णय लिया जाए।
मेरी अनुरोध है की एमसीडी डीडीए को निर्देश दिया जाए की प्रत्येक अतिक्रमण रोधी अभियान के साथ ही कितने भ्रष्ट कार्मिकों को मिलीभगत के आरोप में नौकरी से निकाला गया तथा कितनों पर आपराधिक वाद दायर किया गया, यह आंकड़ा भी जनता को दिया जाए ।