PRSEC/E/2025/0054460
19/09/2025
संबंधित मंत्रालय : गृह
मानव संसाधन विकास मंत्रालय द्वारा 04/01/2019 को जारी आदेश संख्या 8-85-2015-एल.11 के अनुसार, अन्य भाषाओं के अतिरिक्त, अरबी और फारसी के 3 विद्वानों को उत्कृष्ट योगदान के लिए 5 लाख रुपये का सम्मान पत्र प्रदान किया जाएगा। 2019 में पूर्व में जारी अधिसूचना को कुछ और भारतीय भाषाओं को शामिल करने और पुरस्कार राशि की संरचना को बदलने के लिए संशोधित किया गया, हालांकि यह पुरस्कार मूल रूप से 1958 में रु 50000 प्रति वर्ष आजीवन भुगतान के साथ स्थापित किया गया था। यहां बिंदु यह है कि भारत में स्वयं अनेक स्थानीय भाषाएँ हैं जो अस्तित्व के संकट से जूझ रही हैं और जहाँ संरक्षण तथा संवर्धन की गंभीर आवश्यकता है, ऐसे में हम अरबी और फारसी जैसे विदेशी भाषाओं के प्रचार व विकास हेतु कैसे अपने संसाधन व्यय कर सकते हैं? कुछ देशों में ये आधिकारिक भाषाएँ हो सकती हैं, इसलिए इस भाषाओं के क्षेत्र में उत्कृष्टता का पुरस्कार देने का काम उन राष्ट्रों का है। इन विदेशी भाषाओं के संवर्धन का बोझ भारत पर क्यों? यह प्रथम दृष्टया जन मानस की आकांक्षाओं के विरुद्ध जान पड़ता है । मैं विनम्र अनुरोध करता हूँ कि कृपया सभी विदेशी भाषाओं को इस पुरस्कार से बाहर रखने के लिए मानदंडों पर पुनर्विचार किया जाए।