PMOPG/E/2025/0151149, 03/10/2025
मुंह ढके उपद्रवी: हमारे देश में दंगाइयों के प्रति अक्सर संयमित रवैया अपनाया जाता है। चाहे कोई उपद्रवी पत्थरबाज़ी करे या सरकारी संपत्ति को क्षति पहुँचाए, सुरक्षा बल सामान्यतः धैर्य से काम लेते हैं तथा नुकसान होते रहने देते हैं ।
तकनीक के विकास, जैसे ड्रोन और सीसीटीवी कैमरों की उपलब्धता के कारण अब उपद्रवी अपनी पहचान छुपाने के लिए चेहरे को ढककर आते हैं। सूचनाएँ यह भी दर्शाती हैं कि कुछ कट्टरपंथी समूह युवाओं को बाकायदा यह प्रशिक्षण दे रहे हैं कि चेहरे को किस प्रकार ढका जाए जिससे भविष्य में उनकी पहचान न हो सके। हाल ही में लेह में हुई घटनाओं में भी यह बात सामने आई कि कुछ उपद्रवियों को पहले से ही चेहरा ढकने के लिए प्रेरित किया गया था।
ऐसे में यह चिंता उत्पन्न होती है कि यदि पहचान छिपाने वाले दंगाइयों को रोका नहीं गया, तो वे निडर होकर पुलिस पर हमले करते रहेंगे व सुरक्षा बल हमेशा की भांति धैर्य का परिचय देते रहेंगे और पहचान न होने के कारण उनके खिलाफ कोई कार्रवाई भी संभव नहीं होगी। इससे कानून व्यवस्था पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ सकता है।
इस बढ़ती प्रवृत्ति पर अंकुश लगाने हेतु सरकार को तत्काल रणनीतिक और कानूनी पहल करनी चाहिए। आवश्यक हो तो कानून में संशोधन कर पुलिस को ऐसे मामलों में कठोर कार्रवाई करने का अधिकार दिया जाए, जैसे के पाँव में गोली मारना । ऐसे सख्त कदम वृहद स्तर पर समाज में कानून व्यवस्था व शांति बनाए रखने के लिए अपरिहार्य हैं।
मुंह ढककर पत्थरबाज़ी या अन्य हिंसक गतिविधियाँ किसी भी समाज के लिए गंभीर चुनौती हैं और इनसे निपटने के लिए ठोस नीति की आवश्यकता है।