MINHA/E/2024/0014575
29/06/2024
विषय : वार्षिक श्री अमरनाथ यात्रा
वार्षिक श्री अमरनाथ यात्रा में दुर्गम स्थानों में तीर्थ यात्रियों को लंगर की सेवा देने के लिए देश के बहुत से भागों से सेवादार सामग्री सहित जाते हैं। इसके लिए विधिवत रूप से जिलाधिकारी रामबन द्वारा आज्ञा पत्र जारी किया जाता है। इस वर्ष के आज्ञा पत्र अनुसार प्रत्येक ट्रक के साथ 10 सेवादारों को जाने के अनुमति है। ट्रक के चालक व सहायक सहित ये संख्या 12 बनती है। किन्तु जम्मू व कश्मीर पुलिस इस आदेश को मानने से इंकार करती है और मात्र 4 व्यक्तियों को जाने की अनुमति दे रही है। इस कारण साथ के बाकी सेवादारों के लिए संकट खड़ा हो गया है, उन्हे अब ट्रक छोड़ कर अन्य साधनों से लंगर स्थल तक की यात्रा करनी होगी। मुद्दा यह है की जो सेवादार अपने खर्च पर इस प्रकार के दुर्गम पहाड़ी क्षेत्रों में तीर्थ यात्रियों की सेवा के लिए जा रहे हैं उनके लिए इस प्रकार बिना किसी प्रयोजन के अप्रत्याशित संकट खड़ा करना कहाँ तक उचित है। पुलिस जिलाधीश कार्यालय द्वारा जारी आदेश के पालन में नुक्ता-चीनी क्यों कर रही है। अगर केवल 4 लोगों को ही जाने देना था तो आदेश में 10 क्यों छापा। इस वर्ष कोई पहली बार यात्रा नहीं हो रही और न ही कोई नई परिस्थिति है। अंतर विभागीय समन्वय के अभाव में सेवादारों को कष्ट पहुंचाना सर्वथा अनुचित है। इस विषय की जांच की जावे की पुलिस ऐसा व्यवहार किसके आदेश पर कर रही है।
इसके अलावा कुछ अत्यंत कठिन शर्तें रखी गयी हैं
1। लंगर समिति को CCTV लगाने के लिए कहा है
2 एक 5000 लिटर का टेंक लगाना है
3 दस शौचालय बनाने हैं।
जो लोग दिल्ली हरियाणा से ट्रक भर कर खाद्य सामग्री ले जा रहे हैं वे क्या अपने साथ शौचालय, CCTV व 5000 लिटर का टैंक ले जा सकते हैं, उनसे यह अपेक्षा अनुचित है, यह सब तो जिला प्रशासन का कार्य है । लंगर समितियों पर यह शर्त भी थोपी जाती है की वे 15 दिन का अतिरिक्त राशन लाएँ ताकि संकट के समय प्रशासन वो उनसे लेकर अन्य लोगों में बाँट सके?
जबकि लंगर समितियां बहुत सी सामग्री वहीं के आपूर्ति कर्ताओं से ले कर स्थानीय अर्थ व्यवस्था को सुदृढ़ करती हैं इस प्रकार की शर्तें अनुचित हैं।
इस संबंध में सभी शर्तों का पुनरीक्षण कर सरलीकरण की आवश्यकता है