PRSEC/E/2025/0038453
संबन्धित विभाग : दिल्ली विकास प्राधिकरण (उद्यान विभाग)।
प्रति वर्ष वर्षा ऋतु में कच्चे स्थानों पर यहाँ तहां अंकुर स्वत फूटते हैं। उद्यानों में भी मानसून के प्रारम्भ से ही अंकुर फूटना शुरू हो जाते हैं। किन्तु अचरज है की छंटाई के लिए आने वाले श्रमिक सभी कोपलों को काट डालते हैं। इस प्रकार प्राकृतिक रूप से उगने वाली हरियाली का निरंतर नाश किया जाता है। बाद में उन्ही स्थानों पर कृत्रिम वृक्षारोपण हेतु बजट पारित करवाया जाता है। लगता है हरियाली से किसी को कुछ लेना देना नहीं सारा केवल बजट का खेल है। श्रमिकों से बात करने पर वे बताते हैं की उन्हे निर्देश है की सभी अंकुरों और नए फुटाव को काट डाला जाए। लगता है सभी अधिकारी मजदूरों को काम सौंप कर घर बैठते हैं। ऐसा हर साल हो रहा है, यहाँ तक की जनता द्वारा नए लगाए पौधों तक को श्रमिक काट डालते हैं, ये ही हरियाली के सबसे बड़े दुश्मन बन कर उभर रहे हैं।
इस संदर्भ में मेरा अनुरोध है की प्राधिकरण को यह सख्त निर्देश दिया जाए की कटाई के समय केवल उन्ही पौधों को काटा जाए जो की मार्ग में व्यवधान उत्पन्न करेंगे। जो भी वृक्ष कच्चे में सही स्थान पर उग रहे हैं उन्हे घास के संग ना काट दिया जाए। थोड़ी सी सतर्कता से बिना किसी मेहनत व धन के हजारों वृक्षों को जीवन दान मिल सकता है।