PMOPG/E/2025/0184856
विषय : ध्वनि प्रदूषण
संबंधित विभाग : दिल्ली पुलिस
ध्वनि प्रदूषण को नियंत्रित करने के उद्देश्य से माननीय सर्वोच्च न्यायालय के आदेशानुसार रात्रि 10 बजे से प्रातः 6 बजे तक किसी भी प्रकार के लाउडस्पीकर या ध्वनि-वर्धक उपकरण के उपयोग पर पूर्ण प्रतिबंध है। इसके बावजूद भोर के समय सम्पूर्ण दिल्ली में मस्जिदों से अजान के लिए लाउडस्पीकर की ध्वनि सुनाई देती है, परंतु इसकी रोकथाम हेतु कोई भी प्रभावी कार्यवाही देखने को नहीं मिलती। आश्चर्य जनक रूप से ऐसा प्रतीत होता है कि पुलिस ने अपनी ओर से सभी मस्जिदों को इस नियम के पालन से छूट दे रखी है।
शिकायत किए जाने पर भी पुलिस द्वारा अपेक्षित कार्रवाई नहीं की जाती। विवाह आदि सामाजिक आयोजनों में रात्रि 10 बजे के पश्चात ध्वनि-नियमों के उल्लंघन पर पुलिस तुरंत कार्रवाई करती है, किंतु अन्य स्रोतों से होने वाले ध्वनि-उत्पादन के मामलों में यह तत्परता दिखाई नहीं देती। यह स्थिति समझ से परे है कि किन बाध्यताओं के चलते न्यायालय के स्पष्ट आदेशों के अनुपालन में पुलिस कोताही बरत रही है। न्यायालय के आदेश के एक दशक बाद भी इसे लागू न कर पाना पुलिस की कार्य प्रणाली, कार्य क्षमता व निष्पक्षता पर गंभीर प्रश्न वाचक लगाता है। प्रतिबंध का अनुपालन न होने से राष्ट्र द्रोही तत्वों को बल मिलता है। सवाल है की पुलिस इस समस्या का प्रभावी स्थायी हल ढूँढने में विफल क्यों है?
दिल्ली में प्रदूषण के विभिन्न रूप लगातार बढ़ रहे हैं; अतः ऐसे में कम-से-कम वे स्रोत, जिन पर नियंत्रण संभव है, उन्हें अवश्य नियंत्रित किया जाना चाहिए। सऊदी अरब जैसे मुस्लिम राष्ट्र ने भी ध्वनि प्रदूषण के कारण मस्जिदों से भोपुओं के प्रयोग को सम्पूर्ण रूप से निषेध कर दिया है।
अतएव मेरा विनम्र अनुरोध है कि दिल्ली पुलिस को सम्पूर्ण शहर में ध्वनि प्रदूषण की रोकथाम हेतु सर्वोच्च न्यायालय के आदेशों का समयबद्ध, समान और प्रभावी अनुपालन सुनिश्चित करने के लिए आवश्यक निर्देश जारी किए जाएँ।