PMOPG/E/2025/0179758
सम्बंधित विभाग : दिल्ली नगर निगम,
(क) उद्यानों में की जा रही अव्यवस्थित एवं अनावश्यक कटाई के संबंध में
उद्यानों में हो रही अत्यधिक तथा अविवेकपूर्ण कटाई के विषय में मैं पूर्व में भी अनेक बार ध्यान आकर्षित कर चुका हूँ, परंतु स्थिति में कोई सुधार नहीं हुआ है। संलग्न चित्रों का अवलोकन करने पर स्पष्ट होता है कि कार्मिकों द्वारा बिना किसी विवेक के वृक्षों को लगभग ठूँठ मात्र छोड़ दिया गया है। यह अत्यंत खेदजनक है और यह प्रश्न उठता है कि संबंधित अधिकारी इस पर ध्यान क्यों नहीं दे रहे हैं।
यह स्थान भूखंड संख्या 15 के पीछे स्थित उद्यान का है आश्चर्य की बात यह है कि इसी उपवन में एक सूखा वृक्ष लंबे समय से खड़ा है, परंतु उसे हटाने की कोई कार्रवाई नहीं की गई।पिछले तीन वर्षों में मैंने व्यक्तिगत प्रयासों से लगभग 25–30 पौधों को अनावश्यक कटाई से बचाया है वर्षा ऋतु में स्वाभाविक रूप से अनेक नए अंकुर निकलते हैं, किंतु निगम द्वारा अधिकांश को काट दिया जाता है, जिससे प्राकृतिक रूप से पनपने वाले पौधे जीवित ही नहीं रह पाते। यह वास्तव में मूर्खता पूर्ण कृत्य है.
संलग्न चित्र में जो वृक्ष दिखाई दे रहा है, वह मैंने पिछले वृष्टि में पुनर्स्थापन के अंतर्गत लगाया था, और उसमें कई फुट लंबी नई टहनियाँ भी निकल आई थीं। किंतु दुर्भाग्यवश वह भी निगम की अनुचित कटाई का शिकार हो गया। यह आश्चर्य का विषय है कि इतनी असावधानी कैसे हो सकती है। क्या अधिकारी केवल औपचारिक रूप से वेतन भोगने के लिए आते हैं?
औपचारिक रूप से वेतन भोगने के लिए आते हैं?
किसी अन्य समय, कार्मिकों से बातचीत में ज्ञात हुआ कि उन्हें निर्देश दिए गए हैं कि सभी अंकुर काट दिए जाएँ। यदि यह सही है, अतः आदेश का पालन करते हुए श्रमिकों ने इस तने पर उगे सभी नए अंकुरों को काट डाला तो प्रश्न उठता है कि नए पौधे विकसित कैसे होंगे? प्राकृतिक रूप से उगने वाले पौधों को काटना न केवल अविवेकपूर्ण है, बल्कि पर्यावरण संरक्षण के विपरीत भी है।
(ख) उद्यान में टूटी सीढ़ियों की मरम्मत न होने के संबंध में
संलग्न छवि में दिखाई गई टूटी हुई सीढ़ियाँ, जो हिंदुस्तान पेट्रोलियम, द्वारका सेक्टर 12 के समीप स्थित उद्यान में हैं, पिछले अनेक वर्षों से जर्जर स्थिति में पड़ी हुई हैं। कई शिकायतों के बावजूद इनकी मरम्मत हेतु कोई कार्रवाई नहीं की गई। यह स्पष्ट रूप से घोर लापरवाही को दर्शाता है और यह प्रश्न उठता है कि निगम में दायित्व निर्धारण की व्यवस्था क्यों प्रभावी नहीं है।
\(ग) “सरकारी आदेशानुसार जुलाई 2022 से प्लास्टिक के गिलासों पर पूर्ण प्रतिबंध लागू है। किन्तु पूरे द्वारका क्षेत्र में शराबियों द्वारा पार्कों एवं सार्वजनिक स्थलों पर उत्पात मचाया जा रहा है। कई पार्कों में शराब सेवन के बाद प्लास्टिक गिलासों के ढेर लगाए जा रहे हैं, जिससे गंभीर गंदगी फैल रही है।
निर्देशों के अनुसार यह एमसीडी की जिम्मेदारी है कि वह अपने क्षेत्र में इस प्रतिबंध का कठोरता से पालन करवाए। इसके बावजूद शराब की दुकानों के आसपास स्थित अनेक पान की दुकानों पर प्लास्टिक गिलास खुलेआम बेचे जा रहे हैं। एमसीडी अधिकारी इस विषय में लापरवाही बरतते दिखाई दे रहे हैं। इन दुकानों पर छापेमारी कर चालान क्यों नहीं काटे जा रहे?
एमसीडी न तो पर्याप्त सफाई सुनिश्चित कर पा रही है और न ही प्लास्टिक गिलासों की अवैध बिक्री पर प्रभावी रोक लगा पा रही है। इस कर्तव्यहीनता के लिए संबंधित अधिकारियों का उत्तरदायित्व निर्धारित किया जाए। कृपया संलग्न चित्रों का संज्ञान लिया जाए।”
मेरा विनम्र अनुरोध है कि
उद्यानों में अनावश्यक वृक्ष कटाई के लिए जिम्मेदार अधिकारियों व कार्मिकों पर दायित्व निर्धारित कर उचित कार्रवाई की जाए।
सेक्टर 12 स्थित उद्यान की टूटी सीढ़ियों की तत्काल मरम्मत कराई जाए तथा विलंब के लिए उत्तरदायी व्यक्तियों पर उचित कार्रवाई की जाए।
प्लास्टिक के कप, गिलास की बिक्री पर सख्ती से अंकुश लगाया जाए।
इस संदर्भ में आवश्यक कदम उठाए जाने की अपेक्षा है।