PMOPG/E/2025/0110706
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1. द्वारका में बहुत से वृक्षों के नीचे चबूतरे बनने शुरू हो गए हैं, यह अतिक्रमण का आरम्भ है. सवाल है की DDA स्टाफ के नियमित निरीक्षण के दावे के उपरान्त भी ये कैसे हो रहा है? (चित्र संलग्न)
2. सम्पूर्ण द्वारका में शायद हे कोई एक ऐसी ज़ेबरा क्रोसिंग हो जो सही स्थान पर बनी हो, अनेकों चिट्ठियाँ भेजने के बावजूद कोई भी इसे देखने तो तैयार नहीं है.
3. कई स्थानों पर गटर के ढक्कन महीनों से गायब हैं पर कोई भी देखने वाला नहीं है.
4. अनेक स्थानों पर कलवर्ट दीवार खड़ी है जिससे की पद यात्री पटरियों पर चढ़ ही नहीं पाते.
5. अन्य अनेक स्थानों पर लोगों ने अपने घर के बाहर गमले रख कर पटरियों को अवरुद्ध कर दिया है पर DDA पदाधिकारियों को इससे कोई भी मतलब नहीं.
6. अभी हॉल ही में सड़क संख्या २०१ पर पुनर्निर्माण का कार्य चल रहा है, किन्तु तारकोल की पुरानी उपरी परत को खुरच कर वहीँ बगल में पटरी पर ढेर लगा दिया गया है. (चित्र संलग्न)
7. पिछले माह ही सेक्टर 12 मार्केट में फर्श की टाइल्स व्यवस्थित की गई हैं, व प्रवेश द्वार सीमेंट से फिर से बनाए गए हैं किंतु गुणवत्ता इतनी घटिया है की बनाते-बनाते ही रोड़ी उखड़नी शुरू हो गई थी। (चित्र संलग्न)
यह समझ से परे है की स्थल निरीक्षण दल क्या आँख पर पट्टी बाँध कर काम करता है या सभी मंद बुद्धि लोग द्वारका में ही इकट्ठे हो गए हैं. DDA के लोग इतना घटिया कार्य कैसे कर पाते हैं ये सोचने का विषय है क्या पूरे DDA में एक भी कर्त्तव्य निष्ठ व् समझदार अभियंता उपलब्ध नहीं है? उपरोक्त उद्धरण स्पष्ट दिखलाते हैं की मुख्य अभियंता किसी भी नियंत्रण को लागू करने में पूर्णतया विफल साबित हो रहे हैं.
संज्ञान व् आवश्यक कार्रवाई हेतु.