डुमरी पुल के बेकाम होने के बाद से
सहरसा, खगड़िया, सुपौल, मधेपुरा, पूर्णिया, अररिया जिलों के करीब 30-35 लाख
लोगों को बाहर ले जाने का एक मात्र रास्ता सहरसा-मानसी रेल-लाइन है। यह एक
लूप लाइन है, जिसकी उपेक्षा की अपनी अलग कहानी है। एक बार फिर इस लाइन पर
कोशी मैया का कोप टूटा है। कोई छह गाड़ियां रद्द की जा चुकी हैं और अगर मैया
नहीं मानी तो एक-दो दिनों में ही पटरी पर गाड़ी नहीं नदी की धारा चलेगी।
मिली जानकारी के अनुसार, कोपरिया और धमारा स्टेशन के बीच फनगो हॉल्ट के
समीप नदी की एक धारा राह भटक गयी है। वह अपने निर्धारित रास्ते से बहने से
कतरा रही है। विशेषज्ञों का कहना है कि सिल्ट के कारण निर्धारित चैनल में
शायद कोई बड़ा डेल्टा बन गया है, जो धारा को पार्श्व की ओर जाने के लिए
मजबूर कर रही है। लेकिन पार्श्व में रेलवे लाइन अवरोधक बन रही है। इसलिए
नदी इसे जोर-जोर से खुरच रही है। आलम यह है कि करीब 50 मीटर की लंबाई में
नदी और पटरी के बीच मीटर-दो मीटर का फासला ही बचा है। रेलवे के इंजीनियर
बोल्डर और क्रेटर के जरिये इसे रोकने का प्रयास कर रहे हैं। इसके लिए भारी
संख्या में मजदूर लगाये गये हैं। बावजूद इसके इंजीनियर साहेब लोग यह कहने
में असक्षम हैं कि वे पटरी को बचा पायेंगे या नहीं। To read full story please click on this link http://koshimani.blogspot.in/2012/07/blog-post_16.html