10-10-2025 | प्रात:मुरली ओम् शान्ति "बापदादा"' | मधुबन |
“मीठेबच्चे - तुम्हें एक बाप से एक मत मिलती है, जिसे अद्वेत मत कहते हैं, इसी अद्वेत मत से तुम्हें देवता बनना है'' | |
प्रश्नः- | मनुष्य इस भूल भुलैया के खेल में सबसे मुख्य बात कौन सी भूल गये हैं? |
उत्तर:- | हमारा घर कहाँ है, उसका रास्ता ही इस खेल में आकर भूल गये हैं। पता ही नहीं है कि घर कब जाना है और कैसे जाना है। अभी बाप आये हैं तुम सबको साथ ले जाने। तुम्हारा अभी पुरुषार्थ है वाणी से परे स्वीट होम में जाने का। |
गीत:- | रात के राही थक मत जाना... |
धारणा के लिए मुख्य सार:-
1) बाप की याद से बुद्धि को रिफाइन बनाना है। बुद्धि पढ़ाई से सदा भरपूर रहे। बाप और घर सदा याद रखना है और याद दिलाना है।
2) इस अन्तिम जन्म में क्रिमिनल आई को समाप्त कर सिविल आई बनानी है। क्रिमिनल आंखों की बड़ी सम्भाल रखनी है।
वरदान:- | दाता पन की स्थिति और समाने की शक्ति द्वारा सदा विघ्न विनाशक, समाधान स्वरूप भव विघ्न-विनाशक समाधान स्वरूप बनने का वरदान विशेष दो बातों के आधार से प्राप्त होता है:- 1) सदा स्मृति रहे कि हम दाता के बच्चे हैं इसलिए मुझे सबको देना है। रिगार्ड मिले, स्नेह मिले तब स्नेही बनें, नहीं। मुझे देना है। 2) स्वयं के प्रति तथा सम्बन्ध सम्पर्क में सर्व के प्रति समाने के शक्ति स्वरूप सागर बनना है। इन्हीं दो विशेषताओं से शुभ भावना, शुभ कामना से सम्पन्न समाधान स्वरूप बन जायेंगे। |
स्लोगन:- | सत्य को अपना साथी बनाओ तो आपकी नइया (नांव) कभी डूब नहीं सकती। |
अव्यक्त-इशारे - स्वयं और सर्व के प्रति मन्सा द्वारा योग की शक्तियों का प्रयोग करो
जब मन्सा में सदा शुभ भावना वा शुभ दुआयें देने का नेचुरल अभ्यास हो जायेगा तो मन्सा आपकी बिजी हो जायेगी। मन में जो हलचल होती है, उससे स्वत: ही किनारे हो जायेंगे। अपने पुरुषार्थ में जो कभी दिलशिकस्त होते हो वह नहीं होंगे। जादू मंत्र हो जायेगा।