19-10-25 | प्रात:मुरली ओम् शान्ति ''अव्यक्त-बापदादा'' | रिवाइज: 31-03-07 मधुबन |
सपूत बन अपनी सूरत से बाप की सूरत दिखाना, निर्माण (सेवा) के साथ निर्मल वाणी, निर्मान स्थिति का बैलेन्स रखना
वरदान:- | अटेन्शन रूपी घृत द्वारा आत्मिक स्वरूप के सितारे की चमक को बढ़ाने वाले आकर्षण मूर्त भव जब बाप द्वारा, नॉलेज द्वारा आत्मिक स्वरूप का सितारा चमक गया तो बुझ नहीं सकता, लेकिन चमक की परसेन्टेज कम और ज्यादा हो सकती है। यह सितारा सदा चमकता हुआ सबको आकर्षित तब करेगा जब रोज़ अमृतवेले अटेन्शन रूपी घृत डालते रहेंगे। जैसे दीपक में घृत डालते हैं तो वह एकरस जलता है। ऐसे सम्पूर्ण अटेन्शन देना अर्थात् बाप के सर्व गुण वा शक्तियों को स्वयं में धारण करना। इसी अटेन्शन से आकर्षण मूर्त बन जायेंगे। |
स्लोगन:- | बेहद की वैराग्यवृत्ति द्वारा साधना के बीज को प्रत्यक्ष करो। |
अव्यक्त इशारे - स्वयं और सर्व के प्रति मन्सा द्वारा योग की शक्तियों का प्रयोग करो
योग की शक्ति जमा करने के लिए कर्म और योग का बैलेंस और बढ़ाओ। कर्म करते योग की पॉवरफुल स्टेज रहे - इसका अभ्यास बढ़ाओ। जैसे सेवा के लिए इन्वेन्शन करते वैसे इन विशेष अनुभवों के अभ्यास के लिए समय निकालो और नवीनता लाकरके सबके आगे एक्जाम्पुल बनो।
सूचनाः- आज मास का तीसरा रविवार है, सभी राजयोगी तपस्वी भाई बहिनें सायं 6.30 से 7.30 बजे तक, विशेष योग अभ्यास के समय मास्टर सर्वशक्तिवान के शक्तिशाली स्वरूप में स्थित हो प्रकृति सहित सर्व आत्माओं को पवित्रता की किरणें दें, सतोप्रधान बनाने की सेवा करें।