09-10-2025 | प्रात:मुरली ओम् शान्ति "बापदादा"' | मधुबन |
“मीठेबच्चे - तुम अभी कांटे से फूल बने हो, तुम्हें हमेशा सबको सुख देना है, तुम किसी को भी दु:ख नहीं दे सकते हो'' | |
प्रश्नः- | अच्छे फर्स्टक्लास पुरुषार्थी बच्चे कौन से बोल खुले दिल से बोलेंगे? |
उत्तर:- | बाबा हम तो पास विद् ऑनर होकर दिखायेंगे। आप बेफिक्र रहो। उनका रजिस्टर भी अच्छा होगा। उनके मुख से कभी भी यह बोल नहीं निकलेंगे कि अभी तो हम पुरुषार्थी हैं। पुरुषार्थ कर ऐसा महावीर बनना है जो माया जरा भी हिला न सके। |
धारणा के लिए मुख्य सार:-
1) आत्मा पर जो कट (जंक) चढ़ी है, उसे याद की यात्रा से उतार कर बहुत-बहुत लवली बनना है। लव ऐसा हो जो बाप की सदा कशिश रहे।
2) माया के तूफानों से डरना नहीं है, महावीर बनना है। अपने अवगुणों को निकालते जाना है, सदा हर्षित रहना है। कभी भी हिलना नहीं है।
वरदान:- | शुद्ध संकल्पों की शक्ति के स्टॉक द्वारा मन्सा सेवा के सहज अनुभवी भव अन्तर्मुखी बन शुद्ध संकल्पों की शक्ति का स्टॉक जमा करो। यह शुद्ध संकल्प की शक्ति सहज ही अपने व्यर्थ संकल्पों को समाप्त कर देगी और दूसरों को भी शुभ भावना, शुभ कामना के स्वरूप से परिवर्तन कर सकेंगे। शुद्ध संकल्पों का स्टॉक जमा करने के लिए मुरली की हर प्वाइंट को सुनने के साथ-साथ शक्ति के रूप में हर समय कार्य में लगाओ। जितना शुद्ध संकल्पों की शक्ति का स्टॉक जमा होगा उतना मन्सा सेवा के सहज अनुभवी बनते जायेंगे। |
स्लोगन:- | मन से सदा के लिए ईष्या-द्वेष को विदाई दो तब विजय होगी। |
अव्यक्त-इशारे - स्वयं और सर्व के प्रति मन्सा द्वारा योग की शक्तियों का प्रयोग करो
जितना अभी तन, मन, धन और समय लगाते हो, उससे मन्सा शक्तियों द्वारा सेवा करने से बहुत थोड़े समय में सफलता ज्यादा मिलेगी। अभी जो अपने प्रति कभी-कभी मेहनत करनी पड़ती है - अपनी नेचर को परिवर्तन करने की वा संगठन में चलने की वा सेवा में सफलता कभी कम देख दिलशिकस्त होने की, यह सब समाप्त हो जायेगी।