| 03-12-2025 | प्रात:मुरली ओम् शान्ति "बापदादा"' | मधुबन |
| “मीठे बच्चे - तुम अभी होलीएस्ट ऑफ दी होली बाप की गोद में आये हो, तुम्हें मन्सा में भी होली (पवित्र) बनना है'' | |
| प्रश्नः- | होलीएस्ट ऑफ दी होली बच्चों का नशा और निशानियाँ क्या होंगी? |
| उत्तर:- | उन्हें नशा होगा कि हमने होलीएस्ट ऑफ दी होली बाप की गोद ली है। हम होलीएस्ट देवी-देवता बनते हैं, उनके अन्दर मन्सा में भी खराब ख्यालात आ नहीं सकते। वह खुशबूदार फूल होते हैं, उनसे कोई भी उल्टा कर्म हो नहीं सकता। वह अन्तर्मुखी बन अपनी जांच करते हैं कि मेरे से सबको खुशबू आती है? मेरी आंख किसी में डूबती तो नहीं? |
| गीत:- | मरना तेरी गली में.. |
धारणा के लिए मुख्य सार:-
1) ऐसा कोई काम नहीं करना है जो दिल को खाता रहे। पूरा खुशबूदार फूल बनना है। देह-अभिमान की बदबू निकाल देनी है।
2) चलन बड़ी रॉयल रखनी है। होलीएस्ट ऑफ होली बनने का पूरा पुरुषार्थ करना है। दृष्टि ऐसी न हो जो पद भ्रष्ट हो जाये।
| वरदान:- | नाउम्मीदी की चिता पर बैठी हुई आत्माओं को नये जीवन का दान देने वाले त्रिमूर्ति प्राप्तियों से सम्पन्न भव संगमयुग पर बाप द्वारा सभी बच्चों को एवरहेल्दी, वेल्दी और हैप्पी रहने का त्रिमूर्ति वरदान प्राप्त होता है जो बच्चे इन तीनों प्राप्तियों से सदा सम्पन्न रहते हैं उनका खुशनसीब, हर्षितमुख चेहरा देखकर मानव जीवन में जीने का उमंग-उत्साह आ जाता है क्योंकि अभी मनुष्य जिंदा होते भी नाउम्मीदी की चिता पर बैठे हुए हैं। अब ऐसी आत्माओं को मरजीवा बनाओ। नये जीवन का दान दो। सदा स्मृति में रहे कि यह तीनों प्राप्तियाँ हमारा जन्म सिद्ध अधिकार हैं। तीनों ही धारणाओं के लिए डबल अन्डरलाइन लगाओ। |
| स्लोगन:- | न्यारे और अधिकारी होकर कर्म में आना - यही बन्धनमुक्त स्थिति है। |
अव्यक्त इशारे - अब सम्पन्न वा कर्मातीत बनने की धुन लगाओ
कर्मातीत का अर्थ ही है - सर्व प्रकार के हद के स्वभाव-संस्कार से अतीत अर्थात् न्यारा। हद है बन्धन, बेहद है निर्बन्धन। ब्रह्मा बाप समान अब हद के मेरे-मेरे से मुक्त होने का अर्थात् कर्मातीत होने का अव्यक्ति दिवस मनाओ, इसी को ही स्नेह का सबूत कहा जाता है।