हिन्दी फ़ोरम का नामकरण - कृपया सुझाव दें

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Amit

unread,
Apr 12, 2006, 2:45:07 PM4/12/06
to Chit...@googlegroups.com
नमस्कार बिरादरी
भाईयों,

अभी कुछ समय पहले
मैंने एक फ़ोरम लगाने
का सुझाव दिया था
जहाँ पर हर तरह की बहस
की जा सके, जो कि यदा
कदा यहाँ चिट्ठाकार
पर होती रहती है जो कि
उपयुक्त मंच नहीं है।
हाई कमान वालों को
मेरा सुझाव इतना पसंद
आया कि उन्होंने मेरी
पूरी तरह ऐसी की तैसी
फ़िराने की सोची और
फ़ोरम के नामकरण की
ज़िम्मेदारी मुझ पर
डाल दी। अब मुझे कोई
उपयुक्त नाम नहीं सूझ
रहा, एक सूझा था पर वह
किन्हीं गुप्त
कारणों की वजह से
प्रयोग नहीं किया जा
सकता।

इसलिए अब आप लोगों से
सहायता की उम्मीद है।
कृपया अपने अपने
सुझाव प्रस्तुत
करें। जो नाम मैंने
प्रस्तावित किया था
वह "चौपाल" है, पर यह
प्रयोग नहीं किया जा
सकता तो इसलिए इसकी
सलाह न दीजिएगा।

कृपया ध्यान दें कि
फ़ोरम का नाम रखना है,
इसलिए कुछ अच्छा सा
नाम होना चाहिए जो कि
फ़ोरम के अर्थ और भाव
को प्रेषित करता हो,
जैसे कि "चौपाल" करता
है।


आपके सुझावों की
प्रतीक्षा है। :)


cheers
Amit

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ई-स्वामी

unread,
Apr 12, 2006, 2:52:46 PM4/12/06
to Chit...@googlegroups.com
आप जिस फ़ोरम की बात कर रहे हैं वो अपनी भूमिका में अक्षरग्राम से कैसे अलग होगा? यदी किसी को कोई सार्वजनिक चर्चा करना है तो इस बात का निर्धारण कैसे करे की  झोंटानुचव्वल का अखाडा कौन सा हो?

2006/4/12, Amit <guptaam...@yahoo.com>:

jayprakash manas

unread,
Apr 12, 2006, 2:54:08 PM4/12/06
to Chit...@googlegroups.com

अमित जी के लिए
 
फोरम का नाम क्या कुछ इस प्रकार भी हो सकता है-  
1. संगोष्ठी
 
2. बातचीत
 
3. गोष्ठी
 
4. चर्चायन
 
5. चौतरफा
 
6. झरोखा
 
7. गपशप
 
8. अखाडेबाज
 
9. बिरादरी
 
10. बतकही
 
11. चौराहे से
 
12. अक्षर-पर्व
 
जयप्रकाश मानस
 

Amit

unread,
Apr 12, 2006, 3:14:24 PM4/12/06
to Chit...@googlegroups.com

--- ई-स्वामी <esw...@gmail.com> wrote:

> आप जिस फ़ोरम की बात
> कर रहे हैं वो अपनी
> भूमिका में
> अक्षरग्राम से कैसे
> अलग
> होगा?

स्वामी जी, यह निर्णय
लेने का कार्य मैंने
अपने ज़िम्मे नहीं
रखा, मेरे से अधिक
समझदार लोग इस बारे
में सोचने के लिए
बैठे हैं। :)

> यदी किसी को
> कोई सार्वजनिक
> चर्चा करना है तो इस
> बात का निर्धारण
> कैसे करे
> की झोंटानुचव्वल का
> अखाडा कौन सा हो?

यह फ़ोरम किसी भी
प्रकार की चर्चा के
लिए होगी, चाहे वह
टेक्निकल हो या
सामाजिक। यानि कि
चाहें तो आप apple के bootcamp
के बारे में चर्चा कर
सकते हैं या चाहें तो
जेसिका लाल की हत्या
के बारे में। बस कुछ
साधारण से नियम
होंगे, कि किसी तरह की
गाली गलौच और flaming आदि न
हो, सभी शिष्टाचार का
पालन करेंगे तो सब
ठीक रहेगा। :)

इस फ़ोरम का एक मकसद उन
खामियों को पूरा करना
है जो कि चिट्ठाकार
जैसी mailing list में होती
हैं, जैसे कि यदि किसी
बात पर चर्चा हो रही
है तो ईमेल सभी के पास
जाती है, जिसे कोई
रूचि नहीं है उस
चर्चा में उसके पास
भी जाती है, खांमखा inbox
भर जाता है। जबकि
फ़ोरम में कोई भी
चर्चा आदि हो, जिसे
रूचि है वही उसमें
भाग लेगा, जिसने नहीं
लेना वह भाग नहीं
लेगा।

इस तरह इस mailing list को भी
हम विषय पर रख
सकेंगे। :)

Amit

unread,
Apr 12, 2006, 3:24:51 PM4/12/06
to Chit...@googlegroups.com

--- jayprakash manas <rathjay...@gmail.com> wrote:

> 1. संगोष्ठी

यह नाम मुझे कुछ
अच्छा लगा है, अन्य भी
अच्छे हैं पर यह उन
सबसे बढ़िया है। :)

> 4. चर्चायन

अब इसका क्या अर्थ
होता है जी? गूगलवा पर
तो नहीं मिला, आप ही
बताएँ।

बढ़िया प्रयास है
जयप्रकाश जी, दिमाग
के घोड़े थोड़ा और तेज़
दौड़ाईये। :)


वैसे एक नाम मैं
प्रस्तावित करता हूँ,
"परिचर्चा"।

अन्य भाई लोग भी
योगदान दें।

Pankaj Narula

unread,
Apr 12, 2006, 3:29:39 PM4/12/06
to Chit...@googlegroups.com
mujhe swami ka JhottaNuchhaval pasand hai :D
 
I agree with Amit's answer about how this forum would be used.
 
- Pankaj

 
| Beta Thoughts
http://ms.pnarula.com | Mirchiseth

jayprakash manas

unread,
Apr 12, 2006, 3:30:15 PM4/12/06
to Chit...@googlegroups.com
अमित जी के लिए
 
1 चर्चायन यानी चर्चा का केन्द्र या चर्चा की दिशा या
 
2.परिचर्चा भी एक अच्छा नाम है । आप का निहितार्थ इस शब्द में प्रतिबिबिंत हो रहा है ।
 
 


--
Jayprakash Manas
Raipur (chhattishgarh)
India

ई-स्वामी

unread,
Apr 12, 2006, 3:36:47 PM4/12/06
to Chit...@googlegroups.com
अमितजी/पंकजजी
 
मुझे तथाकथित आलाकमान के विचार जानके की उत्कट उत्सुकता है - उन देव का परिचय देवें! आपको इस पुण्य तकनीकी कर्म में झोंकने वाला अतिरथी कौन है? 
 
अक्षरग्राम का परिचय कुछ यूं है
अक्षरग्राम हिन्दी जालजगत में आपके हर कदम का साथी है। यह ग्रुप ब्लॉग हिन्दी के अग्रणी चिट्ठाकारों का मंच हैं जहां अलग अलग विषयों पर चर्चा अथवा हिन्दी ब्लॉगजगत से संबधित सूचनाएं होती हैं। यहाँ आप सर्वज्ञ, नारद, निपुण से भी मिल सकते हैं।
 
मेरे लिये ये काफ़ी था  जरूरत होती तो अक्षरग्राम ही को phpbb पर आधारित कर देते! लगता है आयू के साथ संतोषी हो चला हूं- मुझे हिंदी चिट्ठाकारों के ज्ञान की उफ़नती छलकती गगरियाओं में अंजुरियां भरने, नहाने और धोने के लिए और किन किन कडियों, संसाधनों पर जान होगा?
 
भवदीय,
ई-स्वामी!

 
2006/4/12, Pankaj Narula <pankaj...@gmail.com>:

Amit

unread,
Apr 12, 2006, 3:49:49 PM4/12/06
to Chit...@googlegroups.com

--- jayprakash manas <rathjay...@gmail.com> wrote:

> 1 चर्चायन यानी चर्चा
> का केन्द्र या चर्चा
> की दिशा या

ज्ञानवर्धन के लिए
धन्यवाद, एक नया शब्द
सीखा। :)

> 2.परिचर्चा भी एक
> अच्छा नाम है । आप का
> निहितार्थ इस शब्द
> में प्रतिबिबिंत हो
> रहा है ।

धन्यवाद। मुझे लगा कि
आप "निहितस्वार्थ" कह
रहे हैं, पर दोबारा
पढ़ा तो देखा कि मैं
गलत पढ़ गय!! :D

Pankaj Narula

unread,
Apr 12, 2006, 8:43:01 PM4/12/06
to Chit...@googlegroups.com
फॉरम्स और चिट्ठे अपने अपने जगह पर सही हैं। दोनों का अलग महत्व है। इस बात पर मैं पहले भी लिख चुका हुईं कृप्या यहाँ देखिए
 

जहाँ तक उफनती नदियों की बात है मेरे ख्याल से यह तो प्राकृतिक है पहले कुछ नए विचार आते हैं व कुछ ही लोग उस पर काम कर रहे होते हैं फिर टिपिंग पोइंट और सभी इस पर काम करने लगते हैं। आज कितने ऑनलाईन कैलंडर हैं। फिर कन्सोलिडेशऩ फेज जैसे कि जीमेल, याहू व हॉटमेल से हो चुका है। तो देखें हिन्दी जगत में आगे आगे क्या क्या होता है। कुछ पानी के लोटे इस नदी में हम सभी के होंगे।

--
Pankaj Narula
http://pnarula.com | Beta Thoughts
http://ms.pnarula.com | Mirchiseth

ई-स्वामी

unread,
Apr 12, 2006, 9:25:39 PM4/12/06
to Chit...@googlegroups.com
क्या अक्षरग्राम फ़ोरम नही है? अगर वो ग्रुप ब्लाग है तो वो २-४ लोगों का अड्डा तो है नही  - और अगर सभी का साझा अड्डा है या चौपाल है तो उसे ही फ़ोरम क्यों ना बना दें phpbb का प्रयोग कर के? टिपिंग पाईंट की बात सही है हर एक को अपने जौहर दिखाने का चाव चढेगा - बहुत प्रसन्नता की बात है! लेकिन क्या समूह इतना बडा हो चुका है की एक जगह समा नही सकता? वैसे इन्टरनेट की डैमोक्रेसी है बना के देख लो - हिट काउंट झूठ नही बोलेगी दो दो ठिकाने बनान कितना जस्टीफ़ाईड है पता चल जाएगा अभी थोडे दिन पहले अक्षरग्राम की काऊंट भी गिर गई थी ना! सक्रीयता की बात है.. हो सकता है की शायद फ़िर कंसालिडेशन की जरूरत इस लिए पडेगी की लोग ही कितने हैं? कभी जीतू भाई ने भी यह प्रयास किया था -तब सचमुच कम लोग थे आज भी आंकडा तीन अंको मे है. उस स्थिती में मुझे "मैने पहले ही कहा था" कहने में दु:ख होगा!
 
एक मजेदार बात याद आ रही है - मैं बसंत आने पर फ़ूल खरीदने गया था - फ़ूल बेचने वाला छोटे गमले में पौधे बेच रहा था बोला थोडे दिन बाद इसे मैदान में रोपना अभी नही!  मैने उसकी वजह पूछी तो बोला अभी पौधा छोटा है, रूट्स-बाऊंड है, जितनी जरूरी हो उतनी ही मिट्टी में जडें ज्यादा घनी जमती हैं एक बार जडें मिट्टी को पकड लें फ़िर चाहे उस मिट्टी समेत कितने बडे मैदान मे रोप दें. रोना ये है की जो दो पैसे की बात अनपढ माली के समझ मे आती है पढेलिखे २० रुपये की गलतियां कर के सीखते हैं! मेरी दृष्टी में तो अभी भी समूह रूट्स-बाऊंड है भाईये - झाडीयां बनानी है या बरगद - एक ही स्थल को ग्रेजुअली बढाओ ना!
--
http://hindini.com
http://hindini.com/eswami

Jagdish Bhatia

unread,
Apr 13, 2006, 12:25:18 AM4/13/06
to Chit...@googlegroups.com
साहब, मुझे तो अभी से लग रहा है कि प्रस्तावित फ़ोरम पर खूब गर्मागर्म बहस होगी
और कभी कभी नौबत सरफुटौवल तक जाएगी. एकदम देश की संसद की तरह. संसद नाम कैसा
रहेगा?

जगदीश

RamanK

unread,
Apr 13, 2006, 12:50:48 AM4/13/06
to Chithakar
एक सुझाव। चिट्ठाकार या
अक्षरग्राम से अलग फोरम ही
बनाना हो तो phpbb के बजाय
गूगल-ग्रुप्स या याहू
ग्रुप्स पर बनाया जा सकता
है। उस के कई फायदे हैं, जो
शायद गिनाने की ज़रूरत नहीं
है। हाँ, यदि मेल-बॉक्स में
मेल नहीं चाहिए तो उस में वह
भी विकल्प है, और चाहिए तो वह
भी। बल्कि हिन्दी
(http://groups.google.com/group/Hindi) नाम का फोरम
पहले से है, जहाँ हर प्रकार
की चर्चा संभव है, क्यों न
उसी को और आगे बढ़ाया जाए।
या अलग बनाना है तो वह भी
किया जा सकता है। http://www.jitu.info/forum/
पर भी phpbb फोरम बना था, पर चला
नहीं।

हितेन्द्र

unread,
Apr 13, 2006, 1:09:23 AM4/13/06
to Chithakar
हिंदी नेट पर तब बढ़ेगी जब
डेमोक्रेटिक होगा सबकुछ।
है भी वैसे तो। पर ख्यालों
को जिंदा मार देना अच्छी बात
नहीं। और प्रयोगशील होना
बुरी बात नहीं।

.फ़ोरम तो कई बन सकते हैं पर जो
चलेगा वही टिकेगा। सो बन
जाये तो बुरा क्या।

संगठित और केंद्रीयकृत
प्रयास सुविधाकारी तो होते
हैं किंतु होते हैं
लोकतंत्र की मूल भावना के
विपरीत।

अंत में, चिट्ठाकारी के
नवसाक्षर जानना चाहेंगे
आलाकमान का अर्थ।

ई-स्वामी

unread,
Apr 13, 2006, 1:50:27 AM4/13/06
to Chit...@googlegroups.com
साहब, मुझे तो अभी से लग रहा है कि प्रस्तावित फ़ोरम पर खूब गर्मागर्म बहस होगी
और कभी कभी नौबत सरफुटौवल तक जाएगी. एकदम देश की संसद की तरह.  संसद नाम कैसा
रहेगा?

जगदीश

 
जगदीश जी इस समूह की संस्कृति सहयोग है सरफ़ुटव्वल नहीं है! :)
एक कहावत है की जब सब लोग एक जैसा सोच रहे होते हैं तो कहीं कोई नही सोच रहा होता है - ब्रेन स्टार्मिंग तो होगी! बाकी आपने "सत्ते पे सत्ता" देखी है? और जो सिर-फ़ुटव्वल सा दिखे तो वो हमारा प्यार है!   यहां पर आपको एक से एक तकनीकी और प्रबंधन के उस्ताद मिलेंगे जो समूह का हित सर्वोपरी रखते हैं और हमेशा विकल्प खुले रखते हैं. लेकिन बस विकल्प बनाने के लिए विकल्प बनाना कितना हितकर है उसकी पडताल चल रही है! 
 
 - हितेंन्द्र
 
पहले आपको आला कमान का अर्थ बता देता हूं - हिंदी ब्लागिंग आलोक ने शुरु की देवाशीष ने इस समूह की और चिट्ठा-विश्व की स्थापना की. नारद और अक्षरग्राम के पीछे पंकज का तकनीकी दिमाग है सर्वज्ञ हम सब की साझा कोशिशों का नतीजा है. हिंदिनी/ज्ञान-विज्ञान/हिंदीनी टूल में मेरे समेत एकाधिक लोग सहयोगी हैं इस के अलावा चिट्ठा-चर्चा, बुनो कहानी आदी और भी सामूहिक प्रोजेक्ट्स हैं यूनीनागरी जैसे टूल्स हैं, लिनक्स का हिंदीकरण, टाईनीईमसी का हिंदीकरण, वर्डप्रेस और जूमला का हिंदीकरण, IME के इन्स्टालेशन हेक्स, रचनाकार जैसे कितने ही काम इस समूह के सदस्यो ने अकेले किए या  आपसी सहयोगी हैं अब तो  वेब-डिजाईन की पाठशाला चल रही है! क्या क्या गिनाएं?  वरिष्ठ तकनीकी ब्लागर्स मे से किन्ही के लिए अमित ने आला कमान शब्द कहा होगा लेकिन सब एक स्तर पे हैं - अनुभव और योगदान न्यूनाधिक है.
 
तो हम बडे आत्मविश्वास से बोल सकते हैं की हम जानते हैं सामूहिक हित आपसी सहयोग और प्रजातांत्रिकता के अर्थ यहां कोई किसी आईडिये की भ्रूण हत्या नही कर रहा - इस आईडिए पर हाथ आजमाए जा चुके हैं!  आमतौर पर इस प्रकार की कोशिशों को सभी बढावा देते हैं लेकिन इस बार मैने यह प्रश्न इसलिए पूछा की मैं नए फ़ोरम की भूमिका को समझने में असमर्थ था - बेहतर विकल्प और जबरदस्ती के दोहराव में जो महीन फ़र्क है ना उसे प्रवचनों की थ्योरियों से नही तकनीकी और व्यव्हारिक आधार पर समझना चाह रहा हूं! लेकिन मेरे सवालों का जवाब नही मिल रहा है की भाई अगर वेब-बेस्ड ही कुछ चाहिए तो अक्षरग्राम को पूरा फ़ोरम बना सकते हैं. क्या मिस्स किया जा रहा था की नए जुगाड-अड्डे की जरूरत आन पडी? खैर  ...!!
 
आशा है इस प्रयास से संतुष्ट हुए होंगे! :)  व्यस्तता के चलते अभी और इस विषय पर इतना ही!
जै राम जी की!
ई-स्वामी!


 
2006/4/12, Jagdish Bhatia <mai...@gmail.com>:

Pankaj Narula

unread,
Apr 13, 2006, 2:10:44 AM4/13/06
to Chit...@googlegroups.com
हीतेन्द्र व सभी बंधूजन



अंत में,  चिट्ठाकारी के
नवसाक्षर जानना चाहेंगे
आलाकमान का अर्थ।


अमित ने मज़ाक में हिन्दी चिट्ठाकारिता से बहुत पहले (2002-03) से जुड़े कुछ चिट्ठाकारों को आलाकमान कह कर संबोधित किया था। ये चिट्ठाकार अग्रणी जरूर हैं पर सब को साथ लेकर काम करने वालो में से हैं। इसलिए मजाक को अन्यथा न लें। यह ग्रुप भी स्वभाविक ही बना है व इसकी कोई मेम्बरशिप फार्म नहीं है। कभी इस बारें में तफसील से लिखूंगा। अभी इनके कार्यों पर दृष्टि डालते हैं -

- Cann't See Hindi at http://devanaagarii.net/
- अक्षरग्राम
- वर्डप्रैस व मूवेबल टाईप का हिन्दीकरण
- चिट्ठा विश्व
- सर्वज्ञ
बुनो कहानी
- चिट्ठाकार ग्रुप की स्थापना
- निरंतर
- हग, यूनिनागरी, TinyMCE का हिन्दी प्लगइन
- नारद

आशा है आप सभी इन प्रयासों में शामिल होंगे व इन्हें और आगे बढ़ानें में योगदान देंगे।

पंकज नरुला

Pankaj Narula

unread,
Apr 13, 2006, 2:17:16 AM4/13/06
to Chit...@googlegroups.com
ए लो ईस्वामी जी पूरी कहानी भी कह चुके।

स्वामी जी मैं इस बात से सहमत हूं कि आप ब्लॉग व फॉरम सॉफ्टवेयर दोनो का प्रयोग एक ही तरह से कर सकते हैं। पर यहाँ अक्षरग्राम व फॉरम लगाने के पीछे मंशा कुछ इस प्रकार है। अक्षरग्राम को आप नोटिसबोर्ड समझिए जो कि कमरे के बाहिर समय समय पर लगाया जाता है। जबकि फॉरम एक तरह के कमरे हुए जहाँ आप जाकर बातजीत कर रहे हैं। कोई भी आकर बार बार पूछ सकता है कि भाई Inscript कैसे प्रयोग करते हैं या फिर फॉयरफाक्स में पंगा है इत्यादि।

पंकज

शैलेश भारतवासी

unread,
Apr 13, 2006, 2:20:43 AM4/13/06
to Chit...@googlegroups.com

कुछ नामः
१॰ विचार-बिन्दु
२॰ मित्रों! यह लोकतंत्र है
३॰ मंथन
४॰ दर्पण (विचारों का)
५॰ क्योंकि कहने का हक सबको है
६॰ दोहन
७॰ जागृति
८॰ बिम्ब-प्रतिबिम्ब
९॰ समालोचन
शेष सोच कर लिखुँगा, कृपया एक बार इनपर भी विचार करें।
धन्यवाद।
--
शैलेश भारतवासी
जी॰एल॰ए॰ प्राविधिक एवम् प्रबंधन संस्थान
मथुरा, उत्तर प्रदेश

ई-स्वामी

unread,
Apr 13, 2006, 2:33:51 AM4/13/06
to Chit...@googlegroups.com
ए लो ईस्वामी जी पूरी कहानी भी कह चुके।

स्वामी जी मैं इस बात से सहमत हूं कि आप ब्लॉग व फॉरम सॉफ्टवेयर दोनो का प्रयोग एक ही तरह से कर सकते हैं। पर यहाँ अक्षरग्राम व फॉरम लगाने के पीछे मंशा कुछ इस प्रकार है। अक्षरग्राम को आप नोटिसबोर्ड समझिए जो कि कमरे के बाहिर समय समय पर लगाया जाता है। जबकि फॉरम एक तरह के कमरे हुए जहाँ आप जाकर बातजीत कर रहे हैं। कोई भी आकर बार बार पूछ सकता है कि भाई Inscript कैसे प्रयोग करते हैं या फिर फॉयरफाक्स में पंगा है इत्यादि।

पंकज
पंकज,
नोटिस देने के लिए फ़ोरम मे स्टिकी फ़ीचर होता है पर चूंकी ऐसे नोटिस की स्टीकी ओन्ली एक्सक्लूसिव फ़ीड नारद पे नही आएगी,  तो उन लोगों तक नोटिस नही जाएगा जो फ़ोरम पे नही गए -  बस इसी मुद्दे पर दोनो को सेपरेट करने का सेंस बनता है हां अगर ऐसी फ़ीड को वर्क आउट कर लें तो फ़िर अलग-अलग जुगाड लगाने का झंझट नही वरना अलग कर दें! चूंकी अक्षरग्राम के नाम को सब जानते हैं इसका फ़ायदा उठाया जा सकता है! 
ई-स्वामी
 
2006/4/13, Pankaj Narula <pankaj...@gmail.com>:

जीतू | Jitu

unread,
Apr 13, 2006, 4:42:23 AM4/13/06
to Chit...@googlegroups.com
भाई लोगो,
मै रविवार को आपके वार्तालाप या सरफ़ुट्टवल जो कह लो, मे शामिल होऊंगा, तब तक के लिये आप लोग लगे रहिए,
आल द बैस्ट!

-जीतू
--
------------------------------------------------------------------------------------------------------
Jitendra Chaudhary
Email : jitu...@gmail.com Web:www.jituonline.com
------------------------------------------------------------------------------------------------------
When Life gets you down and nothing seems to go your way
Remember you always have a Friend.
------------------------------------------------------------------------------------------------------

jayprakash manas

unread,
Apr 13, 2006, 4:51:05 AM4/13/06
to Chit...@googlegroups.com


अपने वरिष्ठ को कभी आलाकमान कह देना सामान्य बोचचाल की भाषा है । इस पर आपत्ति जैसी स्थिति नहीं होनी चाहिए । ध्यान पर उद्देश्य की ओर रहे । जैसा कि फोरम के नामकरण-संस्कार का हो रहा है । मन और मस्तिष्क उसी पर केन्द्रित हो तो ज्यादा अच्छा । अन्यथा समय भी नष्ट और मेहनत सहित नेट का भी खर्च । सो अर्जुन की भाँति निगाहें मछली की आँखों पर होनी चाहिए ।

Amit

unread,
Apr 13, 2006, 5:12:44 AM4/13/06
to Chit...@googlegroups.com

--- ई-स्वामी <esw...@gmail.com> wrote:

> मुझे तथाकथित
> आलाकमान के विचार
> जानके की उत्कट
> उत्सुकता है - उन देव
> का परिचय
> देवें! आपको इस पुण्य
> तकनीकी कर्म में
> झोंकने वाला अतिरथी
> कौन है?

अभी इस रहसोद्घाटन की
आज्ञा नहीं है, इसलिए
क्षमा करें। यदि ऐसा
न होता तो मुझे बलि का
बकरा बना के आगे
क्यों किया जाता!! ;)
हाँ वे "देव" एक से
अधिक हैं और यदि उचित
जानेंगे तो अपना
परिचय स्वयं दे
देंगे। :)

> लगता है आयू के
> साथ संतोषी हो चला
> हूं- मुझे हिंदी
> चिट्ठाकारों के
> ज्ञान
> की उफ़नती छलकती
> गगरियाओं में
> अंजुरियां भरने,
> नहाने और धोने के लिए
> और किन किन
> कडियों, संसाधनों पर
> जान होगा?

संतोषी होना कोई बुरी
बात नहीं है पर यदि
मनुष्य संतोष कर के
बैठ जाए तो प्रगति
कैसे होगी? ;) एक
उदाहरण प्रस्तुत
करने की गुस्ताखी
करूँगा, दूर-दराज की
यात्रा के लिए तो
पानी के जहाज बहुत थे,
फ़िर ट्रेन क्यों बनाई
गई? और ट्रेन भी
पर्याप्त थी तो फ़िर
हवाई जहाज़ क्यों
बनाया गया? :)

Amit

unread,
Apr 13, 2006, 5:16:44 AM4/13/06
to Chit...@googlegroups.com

--- Jagdish Bhatia <mai...@gmail.com> wrote:

> साहब, मुझे तो अभी से
> लग रहा है कि
> प्रस्तावित फ़ोरम
> पर खूब गर्मागर्म
> बहस होगी
> और कभी कभी नौबत
> सरफुटौवल तक जाएगी.
> एकदम देश की संसद की
> तरह. संसद नाम कैसा
> रहेगा?

हा हा हा, बढ़िया सुझाव
है!! ;) :P

Amit

unread,
Apr 13, 2006, 6:02:27 AM4/13/06
to Chit...@googlegroups.com

--- RamanK <ra...@kaulonline.com> wrote:

> एक सुझाव।
> चिट्ठाकार या
> अक्षरग्राम से अलग
> फोरम ही
> बनाना हो तो phpbb के
> बजाय
> गूगल-ग्रुप्स या
> याहू
> ग्रुप्स पर बनाया जा
> सकता
> है। उस के कई फायदे
> हैं, जो
> शायद गिनाने की
> ज़रूरत नहीं
> है। हाँ, यदि
> मेल-बॉक्स में
> मेल नहीं चाहिए तो उस
> में वह
> भी विकल्प है, और
> चाहिए तो वह
> भी।

ऐसे ग्रुप फ़ोरम की
तरह चर्चा आदि करने
के लिए पर्याप्त नहीं
हैं। कृपया इस विषय
पर मेरी प्रथम ईमेल
पढ़ें। उसमे मैंने कुछ
कारण बताएँ हैं जिसके
कारण ग्रुप फ़ोरम की
तरह प्रयोग नहीं हो
सकता। ग्रुप में जब
कोई चर्चा आदि होती
है तो जिन लोगों ने
ईमेल द्वारा सूचित
किया जाना चुना हुआ
होता है, उन सभी के पास
ईमेल जाती है, चाहे वे
चर्चा में भाग लेना
चाहें या न चाहें। पर
फ़ोरम में इस तरह नहीं
होता, वहाँ जिसको जिस
चर्चा में भाग लेना
होता है वह उसी में
लेता है और अन्य
विषयों को नज़रअंदाज़
कर सकता है। उसका inbox
अनचाही ईमेलों
द्वारा नहीं भरता।
दूसरे शब्दों में
कहें तो फ़ोरम ईमेल
ग्रुप का ही विकसित
रूप है। ईमेल ग्रुप
में चर्चा आदि का
दायरा छोटा होता है
जबकि फ़ोरम उसे काफ़ी
बढ़ा देता है। :)

> http://www.jitu.info/forum/
> पर भी phpbb फोरम बना था,
> पर चला
> नहीं।

रमण जी, मैं पुनः एक
तुच्छ उदाहरण द्वारा
अपनी बात समझाना
चाहूँगा।

यदि आज कोई इंटरनेट
से जुड़ी थोड़ी तकनीकी
जानकारी रखता है तो
उसने AJAX के बारे में
अवश्य सुना/पढ़ा होगा।
जीमेल इसका प्रयोग
करता है, वर्डप्रैस
इसका प्रयोग करता है,
और भी कई उदाहरण हैं।
आज जिसे देखो वही
इसका नाम और खूबियों
को भजता रहता है, पर यह
बहुत कम लोग जानते
हैं कि इस तकनीक को
सबसे पहले microsoft ने IE4
में xmlHttp के रूप में पेश
किया था(आज भी IE में यह
xmlHttp के रूप में ही है),
पर उस समय अन्य
ब्राउज़र बनाने वालों
ने इसका समर्थन नहीं
किया था। नतीजा यह
हुआ कि cross-browser न होने के
कारण यह तकनीक चली
नहीं, पर बाद में अन्य
ब्राउज़रों ने भी इसको
अलग रूप में अपना
लिया और AJAX के रूप में
हल्ला मच गया। आज
जिसे देखो वह यह
तकनीक प्रयोग करता है
या करना चाहता है।

तो इससे पता चलता है
कि आवश्यक नहीं कि जो
चीज़ पहले नहीं चली वह
बाद में भी नहीं
चलेगी। इसी तरह यह भी
नहीं कहा जा सकता कि
जो चीज़ पहले चल गई वह
बाद में भी चलेगी।
मेरे कहने का अर्थ है
कि भविष्य के गर्भ
में क्या है यह कोई
नहीं बता सकता(केवल
अनुमान लगा सकता है)।
हम अपना कर्म करते
हैं, फल अनुकूल मिलता
है या प्रतिकूल, यह
बाद में पता चलता है।
:)

Amit

unread,
Apr 13, 2006, 6:05:27 AM4/13/06
to Chit...@googlegroups.com

--- हितेन्द्र
<mail.h...@gmail.com> wrote:

> अंत में, चिट्ठाकारी
> के
> नवसाक्षर जानना
> चाहेंगे
> आलाकमान का अर्थ।

भईये, "आलाकमान" तो
मैंने यूँ ही हास्य
रस में कहा था। ;) :D

Amit

unread,
Apr 13, 2006, 6:17:45 AM4/13/06
to Chit...@googlegroups.com

--- शैलेश भारतवासी
<bharat...@gmail.com> wrote:

> ५॰ क्योंकि कहने का
> हक सबको है

कुछ ज्यादा बड़ा नहीं
हो गया? ;)

> शेष सोच कर लिखुँगा,
> कृपया एक बार इनपर भी
> विचार करें।

आप सोच कर और बताएँ,
फ़िलहाल सभी सुझावों
की indexing की जा रही है,
अंत में जो नाम
हाईकमान का खोजी
फ़ार्मूला
सर्वश्रेष्ठ जानेगा
वह रख दिया जाएगा। :)

Amit

unread,
Apr 13, 2006, 6:19:18 AM4/13/06
to Chit...@googlegroups.com

--- jayprakash manas <rathjay...@gmail.com> wrote:

> ध्यान
> पर उद्देश्य की ओर
> रहे । जैसा कि फोरम
> के
> नामकरण-संस्कार का
> हो रहा है । मन और
> मस्तिष्क उसी पर
> केन्द्रित हो तो
> ज्यादा
> अच्छा । अन्यथा समय
> भी नष्ट और मेहनत
> सहित नेट का भी खर्च
> । सो अर्जुन की भाँति
> निगाहें मछली की
> आँखों पर होनी चाहिए
> ।

बिलकुल सही कहा। :)

Jagdish Bhatia

unread,
Apr 13, 2006, 6:18:46 AM4/13/06
to Chit...@googlegroups.com
क्षमा करें महोदय, मेरी टिप्पणी प्रस्तावित फ़ोरम के बारे में थी.
मेरा इरादा वर्तमान बहस पर या समूह पर टिप्पणी करने का कतई नहीं था।
जगदीश
----- Original Message -----
Sent: Thursday, April 13, 2006 11:20 AM
Subject: Chitthakar :: Re: हिन्दी फ़ोरम का नामकरण - कृपया सुझाव दें

2006/4/12, Jagdish Bhatia <mai...@gmail.com>:
और कभी कभी नौबत सरफुटौवल तक जा�¤8

Vijay (विजय) Wadnere (वडनेरे)

unread,
Apr 13, 2006, 6:26:30 AM4/13/06
to Chit...@googlegroups.com


आप सोच कर और बताएँ,
फ़िलहाल सभी सुझावों
की indexing की जा रही है,
अंत में जो नाम
हाईकमान का खोजी
फ़ार्मूला
सर्वश्रेष्ठ जानेगा
वह रख दिया जाएगा। :)

भैय्या,
 
कहीं "खोजी फ़ार्म्युला" ये तो नहीं है ना कि - सारे प्रस्तावित नामों को एक साथ रख कर "अक्कड बक्कड" किया जायेगा??
 
या फ़िर किसी - ज्योतिषी महाराज के "तोते" से एक नाम चुनने के लिये कहा जायेगा?
 
या फ़िर - किसी सिक्के को ले के - चित-पट, चित-पट कर के नामों को रद्द करते चलेंगे फ़िर जो बचेगा उसे रख लेंगे??
 
किसी छोटे बच्चे के हाथों नामों के ढेर में से एक चिट निकलवाई जायेगी??
 
 
नाम के साथ साथ लगे हाथों नाम चुनने की प्रक्रिया पर भी एक चेन मेल हो जाये ;)
 
- विजय

शैलेश भारतवासी

unread,
Apr 13, 2006, 6:27:48 AM4/13/06
to Chit...@googlegroups.com
On 13/04/06, Amit <guptaam...@yahoo.com> wrote:

--- शैलेश भारतवासी
<bharat...@gmail.com> wrote:

> ५॰ क्योंकि कहने का
> हक सबको है

कुछ ज्यादा बड़ा नहीं
हो गया? ;)
 
वैसे शीर्षक तो छोटा और सारगर्भित होना चाहिए
परन्तु कभी-२ बड़े शीर्षक भी काफी लुभावने होते हैं।
मैं एक उदाहरण लेना चाहुँगा।
श्री विनोद कुमार शुक्ल का एक उपन्यास है जो बहुत प्यारा है,
नाम है "दीवार में एक खिड़की रहती थी",
यदि आप पढ़ चुके हैं तो बताने की आवश्यकता नहीं है और
यदि नहीं भी पढ़े हैं तो यही कहुँगा कि इस शीर्षक के अतिरिक्त इस पुस्तक
का और कोई नाम हो भी नहीं सकता था।
इसी लेखक का एक कविता संग्रह जिसका नाम है
"वह (वो) चला गया नरम्गरम कोट पहिनकर विचार की तरह"।
मैं ज्यादा स्पष्टीकरण नहीं दूँगा।
आप वरिष्ट हैं, नाम की महिमा भलि-भाँति जानते हैं।
धन्यवाद।

Amit

unread,
Apr 13, 2006, 6:33:30 AM4/13/06
to Chit...@googlegroups.com

--- "Vijay (विजय) Wadnere

(वडनेरे)" <v.wa...@gmail.com> wrote:

> कहीं "खोजी
> फ़ार्म्युला" ये तो
> नहीं है ना कि - सारे
> प्रस्तावित नामों
> को एक साथ
> रख कर "अक्कड बक्कड"
> किया जायेगा??
>
> या फ़िर किसी -
> ज्योतिषी महाराज के
> "तोते" से एक नाम
> चुनने के लिये कहा
> जायेगा?
>
> या फ़िर - किसी सिक्के
> को ले के - चित-पट,
> चित-पट कर के नामों
> को रद्द करते
> चलेंगे फ़िर जो बचेगा
> उसे रख लेंगे??
>
> किसी छोटे बच्चे के
> हाथों नामों के ढेर
> में से एक चिट
> निकलवाई जायेगी??

अरे आपको कैसे पता चल
गया!! :o खोजी फ़ार्मूला
इन सभी का hybrid है, पर यह
बात तो बहुत ही गुप्त
थी, मेरे और हाईकमान
वालों के अतिरिक्त
कोई नहीं जानता था,
जिसने यह बनाया था
उसे तो सारी टैस्टिंग
पूरी होने के बाद मार
डाला था ताकि किसी और
को यह न बना के दे सके!!
;)

> नाम के साथ साथ लगे
> हाथों नाम चुनने की
> प्रक्रिया पर भी एक
> चेन मेल हो जाये ;)

क्यों मेरी ऐसी तैसी
फ़िरवाने की सोच रहे
हो यार, एक तो पता नहीं
आपको यह गुप्त बात
कैसे पता चल गई, और अब
क्या आप मुझे यहाँ से
बाहर फ़िकवाना चाहते
हो? :P

Amit

unread,
Apr 13, 2006, 6:37:58 AM4/13/06
to Chit...@googlegroups.com

--- शैलेश भारतवासी
<bharat...@gmail.com> wrote:

> वैसे शीर्षक तो छोटा
> और सारगर्भित होना
> चाहिए
> परन्तु कभी-२ बड़े
> शीर्षक भी काफी
> लुभावने होते हैं।

हाँ, कह तो सही रिये हो
भईये। कभी लीक से
हटकर भी कुछ करना
चाहिए!! :)

> आप वरिष्ट हैं, नाम
> की महिमा भलि-भाँति
> जानते हैं।

अजी काहे के वरिष्ठ
हैं, अभी तो बच्चे हैं
और जुम्मा जुम्मा आठ
दिन हुए नहीं पैदा
हुए। मज़ाक में नहीं
कह रहा हूँ, यदि मेरा
अनुमान गलत नहीं है
तो यहा के मेम्बरान
में मैं सबसे कम आयु
का हूँ। :)

विनोद मिश्रा

unread,
Apr 13, 2006, 6:53:06 AM4/13/06
to Chithakar
ईस्वामी जी ऐसी फीड सम्भव
है। phpBB के लिये ऐसे कई मॉड्स
उपलब्ध है। वैसे मेरे एक
मित्र ने phpBB का हिन्दी
अनुवाद भी कर रखा है।

RamanK

unread,
Apr 13, 2006, 9:08:00 AM4/13/06
to Chithakar

Actually I like that feature very much, and I use my google groups and
yahoo groups in exactly the same way. I subscribe to about a dozen
groups on yahoo groups and an equal number on google groups, and get NO
MAIL in my inbox -- not one. I participate in only the threads I want
to, and visit only the forums I have time for. So, everyone who doesn't
like forum emails in their mailbox should set their group settings as
such, and if a forum owner wants that to be the default option, I am
sure that can be set too.

> दूसरे शब्दों में
> कहें तो फ़ोरम ईमेल
> ग्रुप का ही विकसित
> रूप है।

How is it a more developed form?

> ईमेल ग्रुप
> में चर्चा आदि का
> दायरा छोटा होता है
> जबकि फ़ोरम उसे काफ़ी
> बढ़ा देता है। :)

How does that happen?
And calling it an "email-group" is not correct, IMO. It is a group that
can be used as an online forum or an email group or a combination,
depending upon how the users and the owners set it up.

>
> > http://www.jitu.info/forum/
> > पर भी phpbb फोरम बना था,
> > पर चला
> > नहीं।
>
> रमण जी, मैं पुनः एक
> तुच्छ उदाहरण द्वारा
> अपनी बात समझाना
> चाहूँगा।

I understand that everything doesn't have to happen the same way
everytime, and everone has a right to initiate or run a forum in
whatever way they want. I am only expressing my opinion and
preferences, and will tell you what are the shortcomings of a phpbb
board as I know it. You may have something else in mind, and some of
what I say may be invalid.

If I host a forum on my server, my server needs to be as reliable as
google's or yahoo's -- and I can't afford that. What if there is server
downtime on my server? In a year from now, my interests may change, my
preferences and priorities may change, I may no longer be interested in
keeping my domain name, I may be hit by a bus, whatever. We run a forum
called Hindi-forum on yahoo, and the person who started it, and still
owns it, is no longer around in the group, but a couple of group
managers are still successfully running it. This may be harder to
achieve on a personal server based group. Also, people feel more
ownership in a group when it is hosted on a "public" site. All this is
applicable to Akshargram based resources too, but I guess that is an
exception and we should not make too many of them.

That is why I would say, patronize an existing forum, or create a new
one on the same lines. But as I said, that is just the opinion of one
person.

Regards.

Amit

unread,
Apr 13, 2006, 12:09:32 PM4/13/06
to Chit...@googlegroups.com

--- RamanK <ra...@kaulonline.com> wrote:

> > दूसरे शब्दों में
> > कहें तो फ़ोरम ईमेल
> > ग्रुप का ही विकसित
> > रूप है।
>
> How is it a more developed form?

see, both things are for discussion, but in a forum,
you can selectively subscribe to a thread & be
notified of replies to only that. however in a group,
you can't be selective, if you choose to get email
notifications, you will receive all emails.

> And calling it an "email-group" is not correct, IMO.
> It is a group that
> can be used as an online forum or an email group or
> a combination,
> depending upon how the users and the owners set it
> up.

the way I see it, calling it an email-group is
justified in the sense that it started like that
initially. web-browsable interfaces were added to it
later on. :)

> I understand that everything doesn't have to happen
> the same way
> everytime, and everone has a right to initiate or
> run a forum in
> whatever way they want. I am only expressing my
> opinion and
> preferences, and will tell you what are the
> shortcomings of a phpbb
> board as I know it. You may have something else in
> mind, and some of
> what I say may be invalid.

first off, we are not gonna use phpBB, that's
definite. :) and I did take your response as your
opinions, you are free to express them & I respect
them, there's no denying that, you are ofcourse more
experienced than me, so by knowing your opinons etc. I
will definitely be doing myself a favour. :)

> If I host a forum on my server, my server needs to
> be as reliable as
> google's or yahoo's -- and I can't afford that.

who says?

> What
> if there is server
> downtime on my server?

there's nothing like 100% surety, there always is a
chance of technical failure. however, most good hosts
have almost 100% uptime, since they also know that a
downtime looks bad on them. but still its a
possibility, even Yahoo & Google are not immune to it,
sometimes even Yahoo mail is inaccessible & Gmail is
also down sometimes. :)

> In a year from now, my
> interests may change, my
> preferences and priorities may change, I may no
> longer be interested in
> keeping my domain name, I may be hit by a bus,
> whatever. We run a forum
> called Hindi-forum on yahoo, and the person who
> started it, and still
> owns it, is no longer around in the group, but a
> couple of group
> managers are still successfully running it. This may
> be harder to
> achieve on a personal server based group. Also,
> people feel more
> ownership in a group when it is hosted on a "public"
> site. All this is
> applicable to Akshargram based resources too, but I
> guess that is an
> exception and we should not make too many of them.

well, I think that some info has to be released in the
wild to prevent speculation!! ;) this forum will be
hosted at akshargram. :)

RamanK

unread,
Apr 13, 2006, 12:59:11 PM4/13/06
to Chithakar
> अंत में, चिट्ठाकारी के
> नवसाक्षर जानना चाहेंगे
> आलाकमान का अर्थ।

कहीं आप आलाकमान का शाब्दिक
अर्थ तो नहीं पूछ रहे? शायद
"आलाकमान" की जगह "आला कमान"
या "आला-कमान" लिखा जाना
चाहिए ताकि ग़लत उच्चारण
("आलोकमान" जैसा) का भी डर न हो
और सही अर्थ (High Command) भी पता
चले। Implied meaning बता ही दिया गया
है।

Vinay

unread,
Apr 13, 2006, 4:24:07 PM4/13/06
to Chithakar
Amit wrote:
> --- RamanK <ra...@kaulonline.com> wrote:
>
> > > दूसरे शब्दों में
> > > कहें तो फ़ोरम ईमेल
> > > ग्रुप का ही विकसित
> > > रूप है।
> >
> > How is it a more developed form?
>
> see, both things are for discussion, but in a forum,
> you can selectively subscribe to a thread & be
> notified of replies to only that. however in a group,
> you can't be selective, if you choose to get email
> notifications, you will receive all emails.
>

Have you seen Google Groups lately? It gives you this very facility. In
any case, it is not a differentiating factor of groups and forums.
Several forum software don't have this feature while, as I said, Google
groups does. It's just another feature, which can be added to any
forum/group software. These terms - forums and groups - are anyway very
broad in definition and used interchangeably. The two types of
groups/forums that *I think* you are talking about are these:

1. Web-based free services that allow you to create your forums in 5
minutes flat. e.g.: Yahoo!Groups, Google Groups, etc.
Advantages: Free; no installation required; unlimited space and
bandwidth.

2. Forums software that you can download and install on your own web
server e.g. PHPbb, and umpteen others.
Advantages: Extensive customization options; advanced user access
controls; more control; ability to create sub-groups.

Basic and most often required features remain same in both.

<snipped>


>
> > If I host a forum on my server, my server needs to
> > be as reliable as
> > google's or yahoo's -- and I can't afford that.
>
> who says?
>

Affordability is a personal and subjective thing. If Raman K says that
he cannot, you better believe him :). And I agree with him about
Google's and Yahoo's servers being more efficient and reliable than my
$4-a-month-hosting.

> > What
> > if there is server
> > downtime on my server?
>
> there's nothing like 100% surety, there always is a
> chance of technical failure. however, most good hosts
> have almost 100% uptime, since they also know that a
> downtime looks bad on them. but still its a
> possibility, even Yahoo & Google are not immune to it,
> sometimes even Yahoo mail is inaccessible & Gmail is
> also down sometimes. :)
>

Downtime is not the only thing. In fact, it is a non-issue for the most
part. The more important things to ask are - who is going to pay for
everything, and for how long? What if after two years you refuse to
pay? Where would all the messages go? What would happen to the post
that I wrote at 3 a.m. in the morning explaining my philosophy about
life in great detail? Where would that collective community resource
that typically gets generated by a discussion forum go? That's why
Raman's insistence on a "more public" domain. Of course Google and
Yahoo are private companies too. But I still would probably trust them
more on this than paricharcha.com for instance, no offense intended. I
have my own domains as well. And that's why I know that sometimes it
can get difficult to keep them going due to lack of time and resources
(and even interest). I have been able to keep them going so far. But
whether I will be able to do that 3 or 5 years from now? I don't know.
Exactly what Raman says below.


> > In a year from now, my
> > interests may change, my
> > preferences and priorities may change, I may no
> > longer be interested in
> > keeping my domain name, I may be hit by a bus,
> > whatever. We run a forum
> > called Hindi-forum on yahoo, and the person who
> > started it, and still
> > owns it, is no longer around in the group, but a
> > couple of group
> > managers are still successfully running it. This may
> > be harder to
> > achieve on a personal server based group. Also,
> > people feel more
> > ownership in a group when it is hosted on a "public"
> > site. All this is
> > applicable to Akshargram based resources too, but I
> > guess that is an
> > exception and we should not make too many of them.
>
> well, I think that some info has to be released in the
> wild to prevent speculation!! ;) this forum will be
> hosted at akshargram. :)
>
>

Lastly, if you take my advice, do what you want. Don't worry about
naysayers. You didn't really ask for opinions anyway. You asked for a
name. Fair enough. Had you asked for help, suggestions, or support -
which you incidentally may if you want the community to join the forum
- then the community would be within its rights to ask you, "kyo.n
bhai, isakii kyaa zaruurat hai. aisaa kyaa hogaa isase jo abhii maujood
chiizo.n se nahii.n ho sakataa". And then it would expect you to
explain that as well.

Vinay

शैलेश भारतवासी

unread,
Apr 14, 2006, 12:23:12 AM4/14/06
to Chit...@googlegroups.com
नमस्कार बिरादरी
भाईयों,

अभी कुछ समय पहले
मैंने एक फ़ोरम लगाने
का सुझाव दिया था
जहाँ पर हर तरह की बहस
की जा सके, जो कि यदा
कदा यहाँ चिट्ठाकार
पर होती रहती है जो कि
उपयुक्त मंच नहीं है।
हाई कमान वालों को
मेरा सुझाव इतना पसंद
आया कि उन्होंने मेरी
पूरी तरह ऐसी की तैसी
फ़िराने की सोची और
फ़ोरम के नामकरण की
ज़िम्मेदारी मुझ पर
डाल दी। अब मुझे कोई
उपयुक्त नाम नहीं सूझ
रहा, एक सूझा था पर वह
किन्हीं गुप्त
कारणों की वजह से
प्रयोग नहीं किया जा
सकता।

इसलिए अब आप लोगों से
सहायता की उम्मीद है।
कृपया अपने अपने
सुझाव प्रस्तुत
करें। जो नाम मैंने
प्रस्तावित किया था
वह "चौपाल" है, पर यह
प्रयोग नहीं किया जा
सकता तो इसलिए इसकी
सलाह न दीजिएगा।

कृपया ध्यान दें कि
फ़ोरम का नाम रखना है,
इसलिए कुछ अच्छा सा
नाम होना चाहिए जो कि
फ़ोरम के अर्थ और भाव
को प्रेषित करता हो,
जैसे कि "चौपाल" करता
है।


आपके सुझावों की
प्रतीक्षा है। :)


cheers
Amit
 

श्री अमित जी
मैं ९ नाम पहले ही प्रेषित कर चुका हूँ।
बहुत सोचने के बाद कुछ और नाम दिमाग से गुजरे हैं।
लिख भेज रहा हूँ, विचार कीजियेगाः
१॰ संगोष्ठि
२॰ आसुति (आसवन करने की क्रिया मतलब मूल-छालन)
३॰ चलो चर्चा करें
४॰ छिद्रान्वेषण (गुण-दोष ढूँढ़ना)
५॰ तेल और तेल की धार
६॰ द्विपाश्विक (द्विपक्षी)
७॰ अपनी डगर, अपने रास्तें
८॰ प्रत्यालोचना (आलोचना की समीक्षा)
९॰ वाकोपवाक (तर्क-वितर्क)
१०॰ सन्निपात (अनेक बातों का एक साथ उपस्थित होना)

जरूर गौर फरमाइएगा।
धन्यवाद


शैलेश भारतवासी

HindiPremi

unread,
Apr 14, 2006, 5:08:43 AM4/14/06
to Chithakar
अरे भाई चौपाल कैसा रहेगा
ठेठ देसी शब्द है. मगर
सदियों से ज़िंदा है।

हिंदी प्रेमी
मुंबई

Amit

unread,
Apr 14, 2006, 7:49:33 AM4/14/06
to Chit...@googlegroups.com

--- शैलेश भारतवासी
<bharat...@gmail.com> wrote:

> मैं ९ नाम पहले ही
> प्रेषित कर चुका
> हूँ।
> बहुत सोचने के बाद
> कुछ और नाम दिमाग से
> गुजरे हैं।
> लिख भेज रहा हूँ,
> विचार कीजियेगाः

.......

> जरूर गौर फरमाइएगा।

धन्यवाद, आपके सुझाए
गए नाम भी अन्य सुझाए
गए नामों की तरह
नाम-खोजी तंत्र को
खिला दिए गए हैं। :)


cheers
Amit

__________________________________________________

Amit

unread,
Apr 14, 2006, 7:55:45 AM4/14/06
to Chit...@googlegroups.com

--- HindiPremi <satm...@gmail.com> wrote:

> अरे भाई चौपाल कैसा
> रहेगा
> ठेठ देसी शब्द है.
> मगर
> सदियों से ज़िंदा
> है।

हिन्दी प्रेमी
भाईसाहब, "चौपाल" तो
बहुत बढ़िया नाम है और


आप लोगों से सहायता

माँगने से पहले मैंने
यही नाम सुझाया था, पर
हाई कमान वालों ने यह
कह नकार दिया कि यह
प्रयोग नहीं कर सकते,
कुछ गुप्त कारण हैं
जो कि मुझे नहीं बताए
जा सकते। अपनी पहली
ईमेल में मैंने यह
बात aबताई थी कि कोई इस
नाम को न सुझाए, यह
पहले से ही नकारा जा
चुका है!! अब आप इस नाम
को सुझा कर क्यों जले
पर नमक छिड़क रहे हो
भाई!! ;)

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