हे राम मुझे बचाओ इन नफरत के और इंसानियत के सौदागरों से

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S.M.MAsoom

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Oct 27, 2010, 10:00:23 AM10/27/10
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अमन का पैग़ाम

  • हे राम मुझे बचाओ इन नफरत के और इंसानियत के सौदागरों से
    आज कल बहुत से ब्लोगेर्स ना जाने क्यों नफरतों  के बीज बोने मैं बड़े ही ज़ोर शोर से लगे हुए हैं, धार्मिक आस्था और भावनाओं का सहारा ले के हिन्दू और मुसलमान के बीच नफरत फैला रहे हैं. यकीनन इसमें उनका कोई ना कोई जाती फैदा ही होगा, वरना धर्म तो कोई भी हो इंसानियत के खिलाफ नफरत का पैग़ाम देने को सही नहीं कहता, एक इंसान कभी ज़ालिम नहीं हो सकता जब तक की वोह किसी बड़ी लालच मैं अँधा ना हो जाए.. अध्यात्मवाद को तिलांजलि देकर धार्मिक कट्टरवाद की राह पर चलना इंसानियत के खिलाफ है क्योंकि…
  • वे सिमिलैरिटी यानी समानता की बात करते हैं और हम इक्वैलिटी यानी बराबरी की बात करते हैं
    आज बहुत सी बातें एक साथ घूम रही है, चलिए कुछ इधर की कुछ  उधर  की बातें हो जाएं: पश्चिमी सभ्यता और हिन्दुस्तानी सभ्यता का अंतर:  हमारी पूर्वी तहज़ीब और पश्चिमी तहज़ीब में ख़ास फर्क़ है. वे सिमिलैरिटी यानी समानता की बात करते हैं और हम इक्वैलिटी यानी बराबरी की बात करते हैं. हम समानता की बात इसीलिए नहीं करते कि हर समाज और हर मज़हब में हर काम औरत से नहीं लिया जा सकता. जैसे मुसलमान औरत मुर्दे को क़ब्र में नहीं उतार सकती, क्योंकि खुदा ने उसके दिल को ममता से भरा हुआ बनाया है. ऐसा न…
  • आतंकवाद:आवश्यकता है वास्तविकता को पहचानने की
      एक दिन मैं अपने प्रिय मित्र के घर गया. बड़े  मूड मैं थे, कहने लगे अरे यार अपना यह छत का पंखा आज कल आतंकवादी हो गया है. मैंने आश्चर्य से पुछा भाई माजरा क्या है. बोले मेरे एक कमरे मैं कबूतर बहुत आते थे, कल अचानक एक कबूतर पंखे से टकरा गया. अब कोई भी कबूतर उस पंखे के पास नहीं आता. मैंने कहा किस कंपनी का पंखा है, मित्र बोले खेतान का, मैं सोंचने लगा आतंकवादी इस पंखे को कहूँ या खेतान को? सच तो यह है की आतंकवाद एक विचारधारा है , जिसका ना कोई…
  • मनुष्य के जीने के अधिकार: मानवाधिकार
    आज के दौर मैं प्रेम सन्देश की जगह अब नफरत के गर्म बाज़ार ने ले ली है. बस किसी भी तरह से इंसानों के जज़्बात को भड़काओ और एक दूसरे के दिलों मैं नफरत पैदा करो. धर्म की आड़ मैं, कभी हिन्दुस्तान पाकिस्तान के बटवारे की आड़ मैं, कभी बादशाहों के किरदार की आड़ मैं । नफरत के बीज दिलों मैं ऐसे बोये जा रहे हैं जैसे इंसानियत और मानवाधिकार का कोई वजूद ही नहीं रह गया हो। यह लेख़ उनलोगों के लिए है जो यह नहीं जान पाते की आखिर इस्लाम है क्या? यह अमन और शांति का…
  • हमारे धर्म के सिद्धांत कुछ और कहते हैं और हमारा जीवन कुछ और हो जाता है
    हर  इंसान इस समाज मैं शांति से जीना चाहता  हैं, फिर भी समाज मैं अशांति देखने को मिलती है , क्यों?  धर्म कोई भी हो समाज मैं अमन शांति, प्रेम, भाईचारे का सन्देश देता है. लेकिन यह भी सत्य है की आज धर्म के नाम पे ही सबसे अधिक नफरत फैलाई जा रही है और गन्दी राजनीती की जा रही है . क्यों?  एक समय था जब अगर कोई साधू या मौलवी  होता था तो समाज उसको इज्ज़त की नजर से देखता था. धर्म की बातें करने वाला,धार्मिक उपदेश देने वाला, शांति दूत  लगता था.  आज धर्म की बातें…
  • क्या हम सच मैं इंसान रह गए हैं?
    अक्सर कुछ खबरें ऐसी हुआ करती हैं, जो हमें बहुत कुछ सोंचने पे मजबूर कर देती हैं. आज का हिंदुस्तान टाइम उठाया और मुख्यप्रष्ठ पे ही , एक ऐसी खबर पे नजर गयी जिस से  बहुत देर तक मन विचलित रहा और सोंचता रहा. क्या हम वास्तव मैं  इंसान हैं?  क्या अंधविश्वास अपनी ओलाद के प्रेम से  भी अधिक ताक़तवर हुआ करता है? मुंबई जैसे महानगर का एक सबर्ब है नालासोपारा , वहाँ एक एक ५ साल के बच्चे और ३ साल की बच्ची की गलाघोंट के कुचल के ,हत्या कर दी गयी. इस परिवार मैं, इन बच्चों की…

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