तुम जब से रूठी हो

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आओ कि कोई ख़्वाब बुनें ......

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Nov 19, 2006, 10:19:13 PM11/19/06
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तुम जब से रूठी हो
मेरे गीत अपना अर्थ खो बैठे हैं
मेरे ही गीत मुझ से ही खफ़ा हो
मुझ से दूर जा बैठे हैं

माना कि तुम मुझ से नाराज़ हो
लेकिन मेरे गीतों से तो नहीं
क्या तुम उनको भी मनानें नही आओगी ?

मेरे गीत फ़िर से नया अर्थ पानें को बेताब हो रहे हैं ।


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