{भारतीयविद्वत्परिषत्} विजयदशमी अथवा विजयादशमी?

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Kushagra Aniket

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Oct 12, 2024, 5:06:49 PMOct 12
to BHARATIYA VIDVAT
विजयदशमी अथवा विजयादशमी?

(भ्रान्तियों का निवारण और मेरा मत)


- कुशाग्र अनिकेत


कुछ लोग कहते हैं कि “दशमी” शब्द स्त्रीलिंग है, जिसके कारण उसका विशेषण “विजया” भी स्त्रीलिंग होना चाहिए। इस प्रकार “विजयादशमी” की निष्पत्ति होती है। किन्तु सोचिए - संस्कृत के शब्दों की सिद्धि में संस्कृत का व्याकरण काम आएगा अथवा हिन्दी का? इस भ्रान्ति से मुक्त हुए बिना इस प्रश्न का समाधान संभव नहीं है। 


सबसे पहले विचारणीय है कि क्या “विजय” दशमी का विशेषण है? हाँ, इसे बहुव्रीहि समास (विशिष्टो जयो यस्य सः) के रूप में देखकर “विजय” को विशेषण माना जा सकता है। यदि “विजय” विशेषण है, तो इसका स्त्रीलिंग रूप “विजया” होगा। किन्तु “दशमी” के साथ समस्त पद में पुनः स्त्री-प्रत्यय का लोप होकर “विजयदशमी” बन जाएगा।


वहीं दूसरी ओर यदि “विजय” दशमी का विशेषण नहीं है, तो स्त्रीलिंग में “विजया” बनने का प्रश्न नहीं उठता, उसी प्रकार जैसे व्यक्तिवाचक संज्ञा “राम” का स्त्रीलिंग “रामा” नहीं बनता। इस मार्ग से चलने पर पुनः “विजयदशमी” ही प्राप्त होता है।


इस प्रकार दोनों मार्ग बन्द हो गए किन्तु विजयादशमी का पर्व आ गया। समाधान यह है कि यहाँ नामवाचक संज्ञा “विजय” नहीं, अपितु “विजया” है। विशिष्ट जय से सम्बद्ध तिथि को विजया कहते हैं। आश्विन शुक्ल पक्ष की दशमी का नाम ही “विजया” है - “आश्विने शुक्लदशमी विजया सा प्रकीर्तिता”*।


इसके अतिरिक्त जो देवी विशिष्ट जय से संपन्न हैं, उन्हें विजया कहते हैं। देवी का यह नाम अनेक पुराणों में आया है।-


विजित्य पद्मनामानं दैत्यराजं महाबलम् ।

विजया तेन सा देवी लोके चैवापराजिता ॥**


इस प्रकार “विजया” नामक देवी से संयुक्त दशमी को भी “विजयादशमी” (विजयाया दशमी अर्थात् विजया की दशमी) कहते हैं।


अब हमने दोनों शब्द - “विजयदशमी” और “विजयादशमी” - सिद्ध कर लिए। प्रश्न है कि इनमें शुद्ध कौन है? व्याकरण की दृष्टि से दोनों शुद्ध हैं - विजयदशमी का अर्थ है विजय की दशमी और विजयादशमी का अर्थ है विजया देवी की दशमी।*** केवल “विजया” अथवा “विजया दशमी” (दो भिन्न शब्द) लिखना भी शुद्ध है।


कहा गया है “प्रयोगशरणा वैयाकरणाः” अर्थात् वैयाकरण भाषा के प्रयोग की शरण लेते हैं। पुराणों में प्रायः “विजया” और “विजया दशमी” के अतिरिक्त वीरमित्रोदय (१७ वीं शताब्दी) के समयप्रकाश में स्पष्ट आया है - “आश्विनशुक्लदशमी विजयादशमी” अर्थात् आश्विन शुक्ल पक्ष की दशमी ही विजयादशमी है। यहाँ समस्त पद प्रयोग द्रष्टव्य है। सामान्य वार्तालाप में भी यह शब्द प्रचलित है।


ध्वनि की दृष्टि से भी “विजयादशमी” अधिक हृदयङ्गम प्रतीत होता है। “आ”-प्रत्यय का लोप नहीं होने के कारण इस शब्द का उच्चारण करते ही इसके अर्थ से अभिज्ञ सहृदयों के सम्मुख देवी विजया की छवि प्रस्फुटित हो जाती है। पुनश्च “विजयादशमी” कहने पर “विजयदशमी” के गुणों की हानि नहीं होती। “विजयदशमी” में क्रमशः पाँच लघु वर्ण आ जाने के कारण इसका श्लोकों में प्रयोग न्यून दिखता है। इस प्रकार विचारने पर भी “विजयादशमी” में काव्यात्मकता का आधिक्य दिखता है।


इस “विजयादशमी” पर्व का नाम कहीं कहीं “विजयोत्सव” भी मिलता है। कालान्तर में यही पर्व “दशहरा” के नाम से प्रसिद्ध हो गया, यद्यपि प्राचीन काल में ज्येष्ठ शुक्ल दशमी को मनाए जाने वाले गंगा के पर्व को “दशहरा” कहते थे। इन शब्दों पर बहुत विचार करने की आवश्यकता नहीं क्योंकि ये इस पर्व के लिए प्रचलित भी हैं और व्याकरण की दृष्टि से शुद्ध भी।


यह सत्य है कि कुछ ग्रन्थों में “विजयादशमी” के स्थान पर “विजयदशमी” प्राप्त होता है। “विजयदशमीनिर्णय” नामक एक कर्म-काण्ड का ग्रन्थ भी मिलता है। प्रयोग और व्याकरण से पुष्ट होने के कारण “विजयदशमी” को भी ग्रहण कर सकते हैं किन्तु उपर्युक्त प्रमाणों और तर्क के आधार पर “विजयादशमी“ प्रामाणिक, प्रचलित और प्राचीन प्रयोग है - यह मेरा मत है।


* नारदपुराण, पूर्वार्धः, ११९.२०

* शब्दकल्पद्रुम में उद्धृत देवीपुराण ४५ अध्याय।

**विजयस्य / विजयाय दशमी। विजयाया दशमी।


Kushagra Aniket
Economist and Management Consultant
Columbia University'21
Cornell University'15
New York, NY, U.S.A.

Radhakrishna Warrier

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Oct 13, 2024, 10:08:14 AMOct 13
to BHARATIYA VIDVAT
मलयालम में हम विजयदशमि (വിജയദശമി) कहते हैं । शब्द-अंतिम लघु स्वर पर ध्यान न दें । मलयालम में सभी शब्द-अंतिम दीर्घ स्वरों को छोटा कर दिया जाता है। सीता सीत बन जाती है। पाठशाला पाठशाल बन जाती है।

 मेरा मानना ​​है कि तमिल, तेलुगु और कन्नड़ में भी यह विजयदशमि है।

शुभ कामनाएं,
राधाकृष्ण वारियर्


From: bvpar...@googlegroups.com <bvpar...@googlegroups.com> on behalf of Kushagra Aniket <ka...@cornell.edu>
Sent: Saturday, October 12, 2024 2:06 PM
To: BHARATIYA VIDVAT <bvpar...@googlegroups.com>
Subject: {भारतीयविद्वत्परिषत्} विजयदशमी अथवा विजयादशमी?
 
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Rangachari Sridharan

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Oct 14, 2024, 2:11:34 AMOct 14
to भारतीयविद्वत्परिषत्
Will Panini 6.3.34  not apply in this case and the pumvad form vijaya be the purvapada in the samasa?

Kushagra

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Oct 15, 2024, 12:50:31 AMOct 15
to bvpar...@googlegroups.com
But that’s just for बहुव्रीहि. This is तत्पुरुष.


On Oct 14, 2024, at 2:11 AM, Rangachari Sridharan <sridh...@gmail.com> wrote:

Will Panini 6.3.34  not apply in this case and the pumvad form vijaya be the purvapada in the samasa?

Rangachari Sridharan

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Oct 17, 2024, 5:12:06 AMOct 17
to भारतीयविद्वत्परिषत्
As far as I can see, there is nothing in 6.3.34 or its commentaries to restrict it to bahuvrihis, though examples of bahuvrihis are given. 
In the first alternative derivation you have given, विजया as an adjective would be in samanadhikarana with dasami. Thereby, a karmadharaya which is a tatpurusha also. The stri pratyaya lopa that you have referred to is a direct result of 6.3.34, there being no other sutra quoted in support of the lopa.
Monier Williams has an entry for विजयादशमी also, but there is no sista prayoga quoted in support thereof. Apte has shown  विजयादशमी under the entry for  विजया or Durga, as a festival celebrated on the 10th day of Asvina.
Clearly, tatpurushas that are not samanadhikarana, i.e. not karmadharaya, will not be covered under 6.3.34, but if  विजया is used as an adjective, 6.3.34 will apply, in my opinion.

Mahamaho. Subrahmanyam Korada

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Oct 18, 2024, 2:01:28 AMOct 18
to bvpar...@googlegroups.com
नमो विद्वद्भ्यः

Under 6-3-63 , ङ्यापोः संज्ञाछन्दसोः बहुळम् -- हरदत्त (पदमञ्जरी) says -- कर्मधारये पुंवद्भावः प्राप्नोति । So it is विजयदशमी । Rest is अपाणिनीयम्  and difficult to get a प्रामाणिकप्रयोग।

धन्यो’स्मि


Dr.Korada Subrahmanyam
Adju.Professor , Dept of Heritage Science and Technology, IIT, Hyderabad
299 Doyen , Serilingampally, Hyderabad 500 019
Ph:09866110741



Ajay kumar Jha

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Oct 26, 2024, 4:06:56 AMOct 26
to bvpar...@googlegroups.com

अति आनंददायक व्याख्या🙏


Kushagra Aniket

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Oct 26, 2024, 4:45:17 PMOct 26
to bvpar...@googlegroups.com
That is true in कर्मधारय as explained in my first email. But the fact is that विजयादशमी is not a कर्मधारय but षष्ठी-तत्पुरुष. There are plenty of references to विजया and विजयादशमी as cited in my email.



R Sridharan

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Nov 3, 2024, 1:24:59 AMNov 3
to भारतीयविद्वत्परिषत्
The shashthi in विजयायाः दशमी is permissible by 2.3.50 but the samasta padam with this shashthi would appear to be prohibited by 2.2.11 since  दशमी is a पूरणपदं.

K S Kannan

unread,
Nov 3, 2024, 9:56:54 AMNov 3
to bvpar...@googlegroups.com
The defence of avadhāraṇāpūrvapadakarmadhāraya
for Vijayādaśamī cannot be controverted, I suppose.

Under certain conditions, the tithi itself gets the appellation Vijayā.
Śrī has also been called Vijayā. Both grounds have been shown by
Sri Kushagra Aniket.

Hence Vijayādaśamī is defensible, too.




--
Dr. K.S.Kannan  D.Litt.

​Sant Rajinder Singh Ji Maharaj Chair Professor (Retd.), IIT-Madras.

Member, Advisory Board, "Prof. A K Singh AURO Chair of Indic Studies", AURO University, Surat.
Member, Expert Committee for Review of Criticism of Indian Knowledge Traditions, Central Sanskrit University (under MoE, GoI), Ganganath Jha Campus, Prayagraj.
Adjunct Faculty, Dept of Heritage Science and Technology, IIT Hyderabad.
Nominated Member, Academic Committee, Kavi Kula Guru Kalidasa University, Ramtek.
Member, Academic Council, Veda Vijnana Shodha Samsthana.
Academic Director, Swadeshi Indology.
Nominated Member, IIAS, Shimla.

Former Professor, CAHC, Jain University, Bangalore.

Former Director, Karnataka Samskrit University, Bangalore.

Former Head, Dept. of Sanskrit, The National Colleges, Bangalore.

https://sites.google.com/view/kskannan

Kushagra

unread,
Nov 3, 2024, 1:47:13 PMNov 3
to bvpar...@googlegroups.com
२.२.११ is not applicable here. The compound is not विजयानां दशमी (“fifth among Vijayas”). There is no sense of पूरण (बालानां पञ्चमः) here. Furthermore, दशमी can be taken as रूढ for तिथिविशेष.

On Nov 3, 2024, at 8:29 PM, K S Kannan <ks.kann...@gmail.com> wrote:



K S Kannan

unread,
Nov 3, 2024, 9:51:01 PMNov 3
to bvpar...@googlegroups.com
What I meant was sambhāvanāpūrvapadakarmadhāraya.

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